{"_id":"694e2913fb9ad39fb208b4b5","slug":"myanmar-elections-criticism-military-rule-mount-democracy-army-civil-war-facade-aung-san-suu-kyi-voting-2025-12-26","type":"story","status":"publish","title_hn":"Myanmar: क्या म्यांमार में हो रहे आम चुनाव दिखावा हैं? आगामी रविवार को मतदान, सैन्य शासन पर लग रहे गंभीर आरोप","category":{"title":"World","title_hn":"दुनिया","slug":"world"}}
Myanmar: क्या म्यांमार में हो रहे आम चुनाव दिखावा हैं? आगामी रविवार को मतदान, सैन्य शासन पर लग रहे गंभीर आरोप
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बैंकॉक
Published by: देवेश त्रिपाठी
Updated Fri, 26 Dec 2025 11:50 AM IST
सार
म्यांमार की 80 वर्षीय पूर्व नेता और उनकी पार्टी चुनाव में भाग नहीं ले रही हैं। सू की वर्तमान में उन आरोपों में 27 साल की जेल की सजा काट रही हैं जिन्हें व्यापक रूप से फर्जी और राजनीतिक रूप से प्रेरित माना जाता है।
विज्ञापन
म्यामांर में सैन्य जुंटा के शासन को चुनाव के जरिये वैधता दिलाने की कोशिश के आरोप लग रहे हैं।
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
म्यांमार में पांच वर्षों बाद पहली बार रविवार को आम चुनाव का पहला चरण शुरू होगा। आलोचकों का कहना है कि यह प्रक्रिया न तो 2021 में सेना की ओर से सत्ता पर कब्जा करने से देश की नाजुक लोकतंत्र व्यवस्था को बहाल करेगी और न ही देश के कठोर सैन्य शासन की वजह से शुरू हुए विनाशकारी गृहयुद्ध को खत्म करेगी।
Trending Videos
म्यांमार की सेना ने चुनावों को बहुदलीय लोकतंत्र की वापसी के रूप में पेश किया है। हालांकि, इसे सैन्य शासन को वैधता दिलाने के लिए एक दिखावा देने की कोशिश कहा जा रहा है। जो चार साल पहले सेना द्वारा आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार को सत्ता से हटाने के बाद शुरू हुआ था।
विज्ञापन
विज्ञापन
तीन चरणों में होगा म्यांमार में चुनाव
सत्ता हस्तांतरण की वजह से म्यांमार में व्यापक जनविरोध पैदा हुआ, जो गृहयुद्ध में तब्दील हो गया। इस संघर्ष ने कई विवादित क्षेत्रों में चुनाव कराना जटिल बना दिया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में तीन चरणों में मतदान होगा। चुनाव का दूसरा चरण 11 जनवरी को और तीसरा चरण 25 जनवरी को होगा।
मानवाधिकार और विपक्षी समूहों का कहना है कि मतदान न तो स्वतंत्र होगा और न ही निष्पक्ष, और सत्ता शायद सैन्य नेता सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग के हाथों में ही रहेगी। आलोचकों को नागरिक शासन की वास्तविक बहाली पर शक है।
ये भी पढ़ें: Bangladesh Unrest: आम चुनाव से पहले अंतरिम सरकार के विशेष सहायक खुदा बख्श का इस्तीफा, जानें क्या है वजह
सरकार पर रहेगा सेना का दबदबा
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के म्यांमार विश्लेषक रिचर्ड हॉर्सी ने कहा कि यह चुनाव उसी सेना की ओर से कराया जा रहा है, जो 2021 के तख्तापलट के पीछे थी। उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस से बातचीत में कहा, 'ये चुनाव बिल्कुल भी विश्वसनीय नहीं हैं। इनमें उन राजनीतिक दलों में से कोई भी शामिल नहीं है जिन्होंने पिछले चुनाव या उससे पहले के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था।'
होर्सी का कहना है कि सेना की रणनीति यह है कि उसकी पसंदीदा यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी भारी बहुमत से जीते। इससे म्यांमार में प्रत्यक्ष सैन्य शासन एक ऐसी सरकार में बदल जाए, जिसमें लोकतंत्र का दिखावा हो और जो सेना के नियंत्रण को बरकरार रखे।
इससे सेना को यह दावा करने का मौका मिलेगा कि चुनाव कराने से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के 11 सदस्यीय संगठन (आसियान) के शांति प्रस्ताव की भावना के अनुरूप समावेशिता की दिशा में प्रगति हुई है, जिसमें सभी संबंधित पक्षों के बीच रचनात्मक संवाद का आह्वान किया गया है ताकि वे लोगों के हित में एक शांतिपूर्ण समाधान खोज सकें।
अन्य वीडियो
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get latest World News headlines in Hindi related political news, sports news, Business news all breaking news and live updates. Stay updated with us for all latest Hindi news.
विज्ञापन
विज्ञापन