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Nepal: नेपाल के प्रमुख दलों को कार्की का नेतृत्व स्वीकार, आठ दलों ने संसद भंग करने को बताया 'असांविधानिक'

अमर उजाला ब्यूरो, काठमांडो Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sun, 14 Sep 2025 06:40 AM IST
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सार

नेपाली कांग्रेस समेत सभी प्रमुख दल कार्की सरकार को स्वीकार करते दिख रहे हैं, पर संसद भंग करने के फैसले का दलों ने कड़ा विरोध किया है। इसे असांविधानिक, मनमाना और लोकतंत्र के लिए गंभीर झटका बताया है।
 

Nepal major parties accept Karki government but eight parties call dissolution of parliament unconstitutional
सुशीला कार्की - फोटो : एएचआरसी
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विस्तार
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नेपाल में सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद राजनीतिक स्थिरता के साथ शांति और सामान्य जनजीवन बहाल होने लगा है। पूरे देश से कर्फ्यू हटा दिया गया है। सोमवार से सभी शिक्षण संस्थान भी खुल जाएंगे। नेपाली कांग्रेस समेत सभी प्रमुख दल कार्की सरकार को स्वीकार करते दिख रहे हैं, पर संसद भंग करने के फैसले का दलों ने कड़ा विरोध किया है। इसे असांविधानिक, मनमाना और लोकतंत्र के लिए गंभीर झटका बताया है।

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नेपाली कांग्रेस, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर), राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी, जनमत पार्टी और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी समेत आठ दलों ने साझा बयान में संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा को भंग करने की आलोचना की है। उन्होंने इसे संविधान की भावना और सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या के विरुद्ध करार दिया। नेपाली कांग्रेस ने कहा कि इससे लोकतांत्रिक उपलब्धियां खतरे में पड़ जाएंगी। बयान में सभी दलों ने संसद का सत्र तत्काल बुलाने की मांग की है, ताकि लोगों एवं आंदोलनकारी समूहों की मांगों को पूरा किया जा सके। रवि लामिछाने की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने चेतावनी दी कि आम चुनाव कराने और सुशासन जैसी अपेक्षाएं पूरी नहीं होने पर सरकार का विरोध किया जाएगा। नेपाल बार एसोसिएशन ने भी संसद भंग करने के फैसले का विरोध किया है।
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कैदियों से अपील-जेल लौटें
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने फरार कैदियों से कानून का सम्मान करते हुए जेल लौटने और लूटे हथियार जमा कराने की अपील की है। आयोग ने चिंता जताई कि कैदियों और सुधार गृहों से किशोरों के भागने से समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा हो गया है।

पूर्व पीएम ओली पर एफआईआर
पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि आंदोलन के दौरान गलत फैसले लेकर उन्होंने स्थिति और बिगाड़ी। उन पर आठ सितंबर को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर गोलीबारी का आदेश देने का आरोप भी लगाया गया है। पूर्व सांसद अभिषेक प्रताप शाह की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।

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बैरक से घर भेजे जाने लगे पूर्व मंत्री व नेता
आंदोलन के दौरान तत्कालीन पीएम ओली सहित सभी पूर्व मंत्रियों व नेताओं को सेना ने सुरक्षा कारण से सैन्य बैरकों में रखा था। हालात सामान्य होने पर अब उन्हें घर भेजा जा रहा है।

प्रदर्शनकारियों से मिलने अस्पताल पहुंचीं कार्की
कार्की शनिवार को हिंसा में घायल जेन-जी प्रदर्शनकारियों से मिलने अस्पताल पहुंचीं। घायल युवाओं का ट्रॉमा सेंटर, सिविल अस्पताल और त्रिभुवन विश्वविद्यालय अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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