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Nepal: खतरे में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की सत्ता, आठ मंत्रियों ने सामूहिक रूप से दिया इस्तीफा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Wed, 03 Jul 2024 05:08 PM IST
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सार
नेपाल में सीपीएन-यूएमएल के मंत्रियों ने सामूहिक रूप से सरकार से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को औपचारिक रूप से मंत्रिमंडल से बाहर निकलने और समर्थन वापस लेने के लिए इस्तीफा सौंप दिया। वहीं नेपाली कांग्रेस ने देश के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' से इस्तीफा देकर नई सरकार के गठन के लिए रास्ता खाली करने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री 'प्रचंड' के आठ मंत्रियों ने सामूहिक रूप से दिया इस्तीफा
- फोटो : ANI
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विस्तार
नेपाल में सीपीएन-यूएमएल के मंत्रियों ने सामूहिक रूप से सरकार से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को औपचारिक रूप से मंत्रिमंडल से बाहर निकलने और समर्थन वापस लेने के लिए आठ मंत्रियों ने इस्तीफा सौंप दिया।
एक दिन पहले देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी ने पूर्व गुरिल्ला नेता के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को बदलने के लिए सीपीएन-यूएमएल के साथ सत्ता साझा करने का समझौता किया है। वहीं नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्य निष्पादन समिति ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति और पार्टी की भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधनीलकांठा में पार्टी अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के आवास पर बैठक की। बता दें कि पार्टी की प्रमुख समिति की बैठक नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली की तरफ से प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ गठबंधन को बदलने के लिए और नई सरकार बनाने के लिए सोमवार को एक समझौते को अंतिम रूप देने के एक दिन बाद हुई है।
प्रधानमंत्री को रास्ता साफ करना चाहिए- महत
इस बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी प्रवक्ता डॉ. प्रकाश शरण महत ने कहा, प्रधानमंत्री को रास्ता साफ करना चाहिए, क्योंकि सबसे बड़ी पार्टियों - नेपाली कांग्रेस और यूएमएल - ने कहा है कि वे मिलकर नई सरकार बनाएंगे। जबकि अन्य पार्टियां भी नए नेपाली कांग्रेस-यूएमएल गठबंधन का समर्थन कर रही हैं। इसलिए, नेपाली कांग्रेस सीडब्ल्यूसी ने प्रधानमंत्री से रास्ता साफ करने का अनुरोध किया है,
विश्वास मत का सामना करना चाहते हैं 'प्रचंड '
महत ने आगे कहा कि यदि प्रधानमंत्री नई सरकार के गठन के लिए रास्ता साफ नहीं करते हैं तो संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से नई सरकार बनाई जाएगी। बता दें कि, संकटग्रस्त प्रधानमंत्री प्रचंड ने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे। नेपाली संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, सदन में बहुमत खोने वाले प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित करना होगा। यह पांचवीं बार होगा जब प्रधानमंत्री प्रचंड डेढ़ साल के कार्यकाल के भीतर विश्वास मत मांगेंगे।
तीन साल के लिए दोनों पार्टियों में हुआ समझौता
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए समझौते में संसद के बचे हुए तीन साल के कार्यकाल को दोनों दलों के बीच साझा करना, मंत्रिस्तरीय विभाजन, प्रांतीय नेतृत्व की भूमिकाएं और प्रधानमंत्री पद के लिए रोटेशन शामिल है। इस समझौते के तहत, सीपीएन-यूएमएल प्रमुख ओली संसद के बचे हुए कार्यकाल के पहले चरण में सरकार का नेतृत्व करेंगे और बचे हुए कार्यकाल के लिए देउबा प्रधानमंत्री होंगे। इसलिए सीपीएन-यूएमएल ने पहले ही प्रधानमंत्री प्रचंड से पद छोड़ने का आग्रह किया है ताकि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार नई सरकार बनाई जा सके।
प्रधानमंत्री दहल के पास 275 में से मात्र 32 सीटें
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास फिलहाल 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। निचले सदन में 138 सीटों के बहुमत के लिए उनकी संयुक्त ताकत 167 है। जबकि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी के पास मात्र 32 सीटें हैं। बता दें कि पड़ोसी देश नेपाल में पिछले 16 सालों में 13 सरकारें बनी हैं, जो हिमालयी राष्ट्र की राजनीतिक प्रणाली की नाजुक पहलू को दर्शाता है।

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एक दिन पहले देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी ने पूर्व गुरिल्ला नेता के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को बदलने के लिए सीपीएन-यूएमएल के साथ सत्ता साझा करने का समझौता किया है। वहीं नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्य निष्पादन समिति ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति और पार्टी की भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधनीलकांठा में पार्टी अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के आवास पर बैठक की। बता दें कि पार्टी की प्रमुख समिति की बैठक नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली की तरफ से प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ गठबंधन को बदलने के लिए और नई सरकार बनाने के लिए सोमवार को एक समझौते को अंतिम रूप देने के एक दिन बाद हुई है।
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प्रधानमंत्री को रास्ता साफ करना चाहिए- महत
इस बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी प्रवक्ता डॉ. प्रकाश शरण महत ने कहा, प्रधानमंत्री को रास्ता साफ करना चाहिए, क्योंकि सबसे बड़ी पार्टियों - नेपाली कांग्रेस और यूएमएल - ने कहा है कि वे मिलकर नई सरकार बनाएंगे। जबकि अन्य पार्टियां भी नए नेपाली कांग्रेस-यूएमएल गठबंधन का समर्थन कर रही हैं। इसलिए, नेपाली कांग्रेस सीडब्ल्यूसी ने प्रधानमंत्री से रास्ता साफ करने का अनुरोध किया है,
विश्वास मत का सामना करना चाहते हैं 'प्रचंड '
महत ने आगे कहा कि यदि प्रधानमंत्री नई सरकार के गठन के लिए रास्ता साफ नहीं करते हैं तो संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से नई सरकार बनाई जाएगी। बता दें कि, संकटग्रस्त प्रधानमंत्री प्रचंड ने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे। नेपाली संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, सदन में बहुमत खोने वाले प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित करना होगा। यह पांचवीं बार होगा जब प्रधानमंत्री प्रचंड डेढ़ साल के कार्यकाल के भीतर विश्वास मत मांगेंगे।
तीन साल के लिए दोनों पार्टियों में हुआ समझौता
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए समझौते में संसद के बचे हुए तीन साल के कार्यकाल को दोनों दलों के बीच साझा करना, मंत्रिस्तरीय विभाजन, प्रांतीय नेतृत्व की भूमिकाएं और प्रधानमंत्री पद के लिए रोटेशन शामिल है। इस समझौते के तहत, सीपीएन-यूएमएल प्रमुख ओली संसद के बचे हुए कार्यकाल के पहले चरण में सरकार का नेतृत्व करेंगे और बचे हुए कार्यकाल के लिए देउबा प्रधानमंत्री होंगे। इसलिए सीपीएन-यूएमएल ने पहले ही प्रधानमंत्री प्रचंड से पद छोड़ने का आग्रह किया है ताकि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार नई सरकार बनाई जा सके।
प्रधानमंत्री दहल के पास 275 में से मात्र 32 सीटें
नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास फिलहाल 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। निचले सदन में 138 सीटों के बहुमत के लिए उनकी संयुक्त ताकत 167 है। जबकि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी के पास मात्र 32 सीटें हैं। बता दें कि पड़ोसी देश नेपाल में पिछले 16 सालों में 13 सरकारें बनी हैं, जो हिमालयी राष्ट्र की राजनीतिक प्रणाली की नाजुक पहलू को दर्शाता है।