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Health: नींद के घंटे नहीं...सोने के समय से तय होता है मस्तिष्क और हृदय का स्वास्थ्य

अमर उजाला नेटवर्क Published by: लव गौर Updated Thu, 23 Oct 2025 06:17 AM IST
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सार

यह अध्ययन यूनाइटेड किंगडम के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर और अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के नींद-विज्ञान विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से किया है। इसे ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्लीप मेडिसिन तथा नेशनल ज्योग्रैफिक हेल्थ सेक्शन में प्रकाशित किया गया है।

new scientific report suggests that going to bed and waking up at same time is essential for better health
बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक ही समय पर सोना और जागना बेहद जरूरी - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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एक नई वैज्ञानिक रिपोर्ट कहती है कि रात में देर से सोने और फिर समय बदल-बदल कर देर तक सोने की आदत शरीर की आंतरिक जैविक घड़ी को असंतुलित कर सकती है।विशेषज्ञों का कहना है कि नींद की कुल अवधि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण यह है कि आप रोजाना एक ही समय पर सोने और जागने की आदत बनाए रखें, क्योंकि यही लय मस्तिष्क और हृदय दोनों के लिए बेहतर साबित होती है।
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यह अध्ययन यूनाइटेड किंगडम के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर और अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के नींद-विज्ञान विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से किया है। इसे ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्लीप मेडिसिन तथा नेशनल ज्योग्रैफिक हेल्थ सेक्शन में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सोने का समय व्यक्ति की नींद की गुणवत्ता और शरीर के समग्र स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। अगर कोई व्यक्ति देर रात तक जागता रहता है और अगले दिन देर तक सोकर नींद की कमी पूरी करने की कोशिश करता है, तो उसका शरीर जैविक असंतुलन (सर्केडियन रिद्म डिसरप्शन) का शिकार हो सकता है।
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अनियमित नींद के समय से मस्तिष्क की कार्यक्षमता, ध्यान केंद्रण की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा इससे हृदय रोग, मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। शोध में 40,000 से अधिक प्रतिभागियों के नींद-पैटर्न, जीवनशैली और स्वास्थ्य संकेतकों का दीर्घकालिक विश्लेषण किया गया। प्रतिभागियों की औसत आयु 18 से 65 वर्ष के बीच थी।

देर रात सोने वाले पेशेवर समय सुनिश्चित करें
जो लोग अपने पेशे के कारण देर रात तक जागने के लिए मजबूर होते हैं जैसे डॉक्टर, मीडिया कर्मी, आईटी पेशेवर या नाइट-शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारी  उनके लिए शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि वे अपने स्लीप रूटीन को यथासंभव स्थिर बनाए रखें। नींद का समय रात का न सही, लेकिन दिन रात के 24 घंटे के चक्र में लगभग एक ही समय पर सोना और उठना शरीर की जैविक घड़ी को संतुलित रखता है। विशेषज्ञों के अनुसार, भले ही नींद दिन में पूरी करनी पड़े, उसे गहरी और बिना व्यवधान वाली बनाना जरूरी है।
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