Rawalpindi Protest: इमरान खान के समर्थकों में आक्रोश, रावलपिंडी में हल्लाबोल के बीच प्रशासन ने लगाए प्रतिबंध
Rawalpindi Protest: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों में आक्रोश बढ़ने लगा है। आज रावलपिंडी में हल्लाबोल की तैयारी के बीच प्रशासन ने इमरान समर्थकों के जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक रावलपिंडी में स्थानीय पुलिस और सेना ने बड़े पैमाने पर होने वाले प्रदर्शन के मद्देनजर निषेधाज्ञा लागू की है। जानिए कैसा है पड़ोसी मुल्क का हाल
विस्तार
पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों में आक्रोश बढ़ रहा है। उनके राजनीतिक दल- पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता-कार्यकर्ता और इमरान समर्थकों ने रावलपिंडी में मेगा प्रोटेस्ट यानी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। इसी बीच प्रशासन ने इमरान समर्थकों के एक जगह जमा होने और विरोध-प्रदर्शन जैसी गतिविधि पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है। रावलपिंडी प्रशासन, पुलिस और सेना इमरान के समर्थकों के गुस्से से निपटने के लिए मुस्तैद है।
राजनीतिक रैलियों और जुलूस पर भी प्रतिबंध
रिपोर्ट्स के मुताबिक इमरान खान के समर्थक रावलपिंडी में पांच या इससे अधिक लोगों के जमा होने पर रोक लगा दी गई है। किसी भी तरह की सभा, जलसे, धरने, राजनीतिक रैलियों और जुलूस को भी प्रतिबंधित किया गया है। डिप्टी कमिश्नर डॉ. हसन वकार चीमा की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक सरकार ने रावलपिंडी में धारा 144 लागू कर दी है। सरकार ने कहा है कि नागरिकों पर हथियार, कीलें, लदे हुए डंडे, गुलेल, बॉल बेयरिंग, पेट्रोल बम, विस्फोटक या कोई अन्य उपकरण ले जाने पर रोक लगाई गई है।
इमरान के समर्थकों में क्यों बढ़ रहा है गुस्सा?
गौरतलब है कि पाकिस्तान की वर्तमान सरकार और सेना पर इमरान खान को प्रताड़ित करने के आरोप लग रहे हैं। पहले इमरान की बहनों ने कहा कि अदियाला जेल में उनसे मिलने का प्रयास करने पर उन्हें निराशा हाथ लगी। बाद में बड़ी संख्या में पीटीआई समर्थकों ने जेल के बाहर धरना भी दिया। इमरान समर्थकों की भावनाओं को देखते हुए सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए जरूरी प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। इसके तहत 1 से 3 दिसंबर तक पाबंदियां लागू रहेंगी।
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पाकिस्तान के पूर्व PM के परिवार का बयान
दरअसल, इमरान के राजनीतिक दल- पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेताओं और उनके परिजनों ने उनसे मिलने की अनुमति मांगी है। सरकार ने उन्हें रावलपिंडी की अदियाला जेल में रखा है। एहतियात बरतते हुए लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में प्रशासन ने कहा, 'खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ समूह विरोध-प्रदर्शन की आड़ में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की ताक में हैं। प्रमुख प्रतिष्ठानों और संवेदनशील जगहों पर हिंसा की आशंका को देखते हुए प्रतिबंध लगाए गए हैं।'
बेटों ने सेहत को लेकर चिंता जताई
प्रशासनिक पाबंदियों और जेल में मुलाकात की अनुमति नहीं देने के बीच इमरान खान के परिवार का आरोप है कि बीते एक महीने से उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। परिजनों ने सरकार और जेल प्रशासन से उनके जिंदा होने का सबूत मांगा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इमरान के बेटे कासिम ने कहा, 'साप्ताहिक मुलाकात के न्यायिक आदेश के बावजूद सीधी मुलाकात या संपर्क से रोका जा रहा है। इस बात की जानकारी न होना कि पिता सुरक्षित, घायल या जीवित हैं, मनोवैज्ञानिक यातना जैसा है।' उन्होंने कहा कि पिता को मृत्युदंड पाने वाले कैदियों की तरह अलग सेल में रखा गया है। सरकार उनके बारे में ठोस जानकारी नहीं दे रही है। इस कारण हमारा सबसे बड़ा डर यही है कि कुछ ऐसा छिपाया जा रहा है, जो ठीक नहीं है।
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भीषण संघर्ष के मुहाने पर पड़ोसी देश
दरअसल, पाकिस्तान का वर्तमान संकट इमरान खान बनाम सेना की लड़ाई से कहीं बड़ा हो चुका है। अब सत्ता का दांव सिर्फ राजनीतिक वर्चस्व का नहीं, बल्कि सेना के संस्थागत प्रभुत्व, प्रांतों की क्षेत्रीय पहचान और अर्थव्यवस्था की बुनियादी जीवंतता से जुड़ चुका है। सैन्य रणनीति, जनसमर्थन का भूगोल और आर्थिक दिवालियापन एक दूसरे से टकराते हैं तो देश खतरनाक मायनों में पुनर्गठन के दौर में प्रवेश करता है। पाकिस्तान में भी यही हो रहा है। विद्रोह की सुलगती चिंगारी से वह भीषण संघर्ष के मुहाने पर पहुंच चुका है।
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