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Pakistan: पाकिस्तान में सऊदी अरब का खेल क्या है? युवराज सलमान 21 नवंबर को आ रहे हैं इस्लामाबाद

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद Published by: Harendra Chaudhary Updated Wed, 09 Nov 2022 05:07 PM IST
सार

Pakistan: पर्यवेक्षकों के मुताबिक सऊदी अरब ने काफी पहले पाकिस्तान के ग्वादार में दस बिलियन डॉलर के निवेश के ऑयल रिफानरी बनाने की की इच्छा जताई थी। उस सिलसिले में कुछ बातचीत भी हुई थी। लेकिन पूर्व इमरान खान सरकार के कुछ फैसलों से सऊदी अरब नाराज हो गया...

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Pakistan: Crown Prince mohammed bin salman coming to Islamabad on 21st November
saudi crown prince mohammed bin salman with pakistan PM Shahbaz Sharif - फोटो : Agency (File Photo)
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क्या सऊदी अरब पाकिस्तान में अपना दांव बढ़ा रहा है? पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की अचानक बुधवार से शुरू हुई सऊदी यात्रा से कूटनीतिक हलकों में ये चर्चा शुरू हुई है। सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के अगले 21 नवंबर से पाकिस्तान की यात्रा पर आने का कार्यक्रम है। उसके पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री के दो दिन की यात्रा पर सऊदी अरब जाने से इन चर्चाओं को बल मिल मिला है कि प्रिंस सलमान की यात्रा के दौरान सऊदी अरब यहां किसी बड़ी परियोजना शुरू करने का एलान करेगा। चर्चा यह भी है कि इस संभावित परियोजना में चीन, सऊदी अरब और पाकिस्तान तीनों की हिस्सेदारी होगी।

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पर्यवेक्षकों के मुताबिक सऊदी अरब ने काफी पहले पाकिस्तान के ग्वादार में दस बिलियन डॉलर के निवेश के ऑयल रिफानरी बनाने की की इच्छा जताई थी। उस सिलसिले में कुछ बातचीत भी हुई थी। लेकिन पूर्व इमरान खान सरकार के कुछ फैसलों से सऊदी अरब नाराज हो गया। इसलिए ये परियोजना आगे नहीं बढ़ी। लेकिन अब उसकी फिर से इसमें दिलचस्पी जगी है।

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सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस बीच पाकिस्तान ने प्रस्ताव रखा है कि इस रिफाइनरी को लगाने के लिए सऊदी अरब, चीन और पाकिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हो। इसके तहत चीनी कंपनियां रिफाइनरी लगाएं और उसके लिए धन सऊदी अरब और चीन दोनों मिल कर मुहैया कराएं। हाल में सऊदी अरब की चीन में बढ़ी दिलचस्पी को देखते हुए समझा जाता है कि उसे पाकिस्तान के प्रस्ताव पर एतराज नहीं होगा।

कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक ये घटनाक्रम ठीक उस समय सामने आया है, जब सऊदी अरब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अपने यहां स्वागत करने की तैयारी में है। हाल में सऊदी अरब ने अमेरिकी इच्छाओं को नजरअंदाज करते हुए कई फैसले लिए हैं। उनमें कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती भी है। पाकिस्तान ने सऊदी अरब के इस फैसले का खुला समर्थन किया था। इस बीच सऊदी अरब रूस के साथ भी अपने संबंध लगातार आगे बढ़ा रहा है।

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में शी जिनपिंग की सऊदी यात्रा के बारे में कहा है कि प्रिंस सलमान पश्चिमी देशों और रूस-चीन की धुरी के बीच संतुलन बनाने की नीति पर चल रहे हैं। इस अखबार से बातचीत में आरबीसी कैपिटल मार्केट्स की विश्लेषक हेलिमा क्रॉफ्ट ने कहा- एक तरह का पुनर्ध्रुवीकरण हो रहा है। यही भविष्य की दिशा है। सऊदी अपने संबंधों को बहुआयामी बना रहे हैं। उनकी नजर अब पूरब की ओर है।’

पाकिस्तान के परंपरागत रूप से सऊदी अरब और चीन दोनों के साथ बेहतर रिश्ते रहे हैं। मौजूदा आर्थिक संकट के बीच उसे इन दोनों देशों में मदद मिली है। लेकिन सऊदी अरब की मदद अब तक वित्तीय रूप में थी। अब अगर वह चीन के साथ मिल कर पाकिस्तान में बड़ा निवेश करता है, तो उससे यहां उसकी दीर्घकालिक पैठ बनेगी। कूटनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसका प्रभाव इस पूरे क्षेत्र के भू-राजनीतिक समीकरण पर पड़ सकता है।

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