चीन की चाल: नेपाल को खोखला कर रहा ड्रैगन? पोखरा एयरपोर्ट घोटाले में रंगे मिले 'अपनों' के हाथ; जांच शुरू
चीन की नजरें अब नेपाल पर है। ये बात तब साफ हो गई जब नेपाल के भ्रष्टाचार जांच आयोग ने पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माण में 55 नेपाली अधिकारियों और चीनी कंपनी सीएएमसी पर 74 मिलियन डॉलर की गड़बड़ी का आरोप लगाया। ऐसे में नेपाल में होने वाले आम चुनाव को लेकर जारी रस्साकशी के बीच सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या ड्रैगन नेपाल को खोखला करनी तैयारी कर रहा है?
विस्तार
नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कारण है कि नेपाल के भ्रष्टाचार जांच आयोग ने पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माण में 55 नेपाली अधिकारियों और चीनी कंपनी सीएएमसी पर 74 मिलियन डॉलर की गड़बड़ी का आरोप लगाया है। इसके साथ ही इन 55 अधिकारियों और चीनी कंपनी सीएएमसी पर मामला भी दर्ज किया है। माना जा रहा है कि यह नेपाल में अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है।
आयोग के अनुसार, सरकार और चीनी कंपनी ने निर्माण खर्चों में गड़बड़ी करके 74 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की रकम बढ़ा दी। इसके तहत 2012 में जो बिडिंग तय हुई थी, वह 169.6 मिलियन डॉलर थी, लेकिन इसे बढ़ाकर 244 मिलियन डॉलर कर दिया गया।
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पोखरा एयरपोर्ट और चीन का संबंध, समझिए
नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट में चीन की भूमिका को ऐसे समझा जा सकता है कि पोखरा एयरपोर्ट चीन के एक्जिम बैंक के लोन पर बनाया गया था। यह शहर नेपाल के प्रमुख पर्यटन स्थलों और ट्रेकिंग रूट्स की शुरुआत का केंद्र है, लेकिन 2023 में संचालन शुरू होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को आकर्षित नहीं कर सका।
ऐसे में नेपाल में चीन की यह भूमिका नेपाल में बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक दबाव की चिंता बढ़ा रही है। नेपाल में भ्रष्टाचार व्यापक है और सितंबर में युवाओं के नेतृत्व में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हुई और सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।
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काठमांडू कोर्ट में होगी मामले की सुनवाई
हालांकि अब मामले की सुनवाई विशेष अदालत काठमांडू में होगी, लेकिन नेपाल में कोर्ट केस अक्सर महीनों या वर्षों तक चल सकते हैं। गौरतलब है कि ये पूरा मामला तब सामने आया है जब नेपाल में मार्च 2025 में आम चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में यह मामला राजनीतिक हलचलों को भी प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की कंपनियों और निवेशों के जरिए नेपाल में भीतर से राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव बढ़ाने की रणनीति दिखाई दे रही है।
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