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Nepal: जाते-जाते चीन के साथ इस सौदे को मंजूरी दे गए 'प्रचंड', सरकार गठन पर नेपाली राष्ट्रपति का मंथन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 12 Jul 2024 09:59 PM IST
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सार
नेपाली पीएम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने संसद में विश्वास मत हारने से एक दिन पहले, बीजिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के तहत हिमालयी राष्ट्र को चीन से रेल से जोड़ने के समझौते को मंजूरी दी है। वहीं नेपाल के राष्ट्रपति सरकार गठन पर मंथन कर रहे हैं।

जाते-जाते चीन के साथ इस सौदे को मंजूरी दे गए 'प्रचंड'
- फोटो : X /@cmprachanda
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विस्तार
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने संसद में विश्वास मत हारने से एक दिन पहले, बीजिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के तहत हिमालयी राष्ट्र को चीन से रेल से जोड़ने के समझौते को मंजूरी दी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार माय यह फैसला राजनीतिक महत्व से अधिक परिचालन महत्व रखता है और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बहु-अरब डॉलर की प्रिय अवसंरचना परियोजना में नेपाल की भागीदारी के साथ संरेखित है।
यह एक शुरुआती फैसला है- मंत्री
जानकारी के मुताबिक गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में नेपाल और चीन के बीच 'ट्रांस-हिमालयन बहुआयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क के निर्माण में विकास सहयोग को मजबूत करने' के समझौते को मंजूरी देने का फैसला किया गया। हालांकि, एक मंत्री ने कहा, कि यह एक शुरुआती फैसला है; परियोजना कार्यान्वयन और बीआरआई के तौर-तरीकों का विवरण अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
एनसी ने भी ऋण नहीं लेने का लिया था संकल्प
वहीं प्रधानमंत्री पद से हटने से ठीक पहले प्रचंड की तरफ से उठाए गए इस कदम को न केवल बीआरआई परियोजनाओं को लागू करने की दिशा में प्रगति के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि केरुंग-काठमांडू रेलवे और नेपाल-चीन सीमा पर व्यापक बुनियादी ढांचे के विकास जैसी पहलों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले, यूएमएल के साथ सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले, नेपाली कांग्रेस ने बीआरआई परियोजना के तहत केवल अनुदान स्वीकार करने और ऋण नहीं लेने का संकल्प लिया था।
सरकार गठन पर मंथन कर रहे नेपाल के राष्ट्रपति
नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के संसद में विश्वास मत हासिल करने में विफल रहने के बाद शुक्रवार को संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श शुरू किया और उनसे नई सरकार बनने तक कार्यवाहक के रूप में संभालने को कहा है।
विश्वास मत में प्रचंड को मिले 63 वोट
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रतिनिधि सभा (एचओआर) में विश्वास मत हार गए क्योंकि उन्हें 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में केवल 63 वोट मिले और प्रस्ताव के खिलाफ 194 वोट पड़े। विश्वास मत जीतने के लिए कम से कम 138 वोटों की जरूरत थी। इस दौरान 258 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया जबकि एक सदस्य ने वोट नहीं किया। सदन में नेपाल कांग्रेसी एनसी के पास सदन में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 हैं। उनकी संयुक्त ताकत 167 है जो निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 से ज्यादा है।

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यह एक शुरुआती फैसला है- मंत्री
जानकारी के मुताबिक गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में नेपाल और चीन के बीच 'ट्रांस-हिमालयन बहुआयामी कनेक्टिविटी नेटवर्क के निर्माण में विकास सहयोग को मजबूत करने' के समझौते को मंजूरी देने का फैसला किया गया। हालांकि, एक मंत्री ने कहा, कि यह एक शुरुआती फैसला है; परियोजना कार्यान्वयन और बीआरआई के तौर-तरीकों का विवरण अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
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एनसी ने भी ऋण नहीं लेने का लिया था संकल्प
वहीं प्रधानमंत्री पद से हटने से ठीक पहले प्रचंड की तरफ से उठाए गए इस कदम को न केवल बीआरआई परियोजनाओं को लागू करने की दिशा में प्रगति के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि केरुंग-काठमांडू रेलवे और नेपाल-चीन सीमा पर व्यापक बुनियादी ढांचे के विकास जैसी पहलों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले, यूएमएल के साथ सत्ता-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले, नेपाली कांग्रेस ने बीआरआई परियोजना के तहत केवल अनुदान स्वीकार करने और ऋण नहीं लेने का संकल्प लिया था।
सरकार गठन पर मंथन कर रहे नेपाल के राष्ट्रपति
नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के संसद में विश्वास मत हासिल करने में विफल रहने के बाद शुक्रवार को संवैधानिक और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श शुरू किया और उनसे नई सरकार बनने तक कार्यवाहक के रूप में संभालने को कहा है।
विश्वास मत में प्रचंड को मिले 63 वोट
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को पुष्प कमल दहल प्रचंड प्रतिनिधि सभा (एचओआर) में विश्वास मत हार गए क्योंकि उन्हें 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में केवल 63 वोट मिले और प्रस्ताव के खिलाफ 194 वोट पड़े। विश्वास मत जीतने के लिए कम से कम 138 वोटों की जरूरत थी। इस दौरान 258 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया जबकि एक सदस्य ने वोट नहीं किया। सदन में नेपाल कांग्रेसी एनसी के पास सदन में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 हैं। उनकी संयुक्त ताकत 167 है जो निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 से ज्यादा है।