सीरिया में 'अपनों' ने छोड़ा असद का साथ
गृह युद्ध से जूझ रहे सीरिया में एक अहम घटनाक्रम के तहत राष्ट्रपति बशर अल असद के अलावी संप्रदाय के कई नेताओं ने एक दस्तावेज़ जारी कर असद के शासन से किनारा कर लिया है। बीबीसी को मिले इस दस्तावेज़ में अलावी संप्रदाय के सामुदायिक और धार्मिक नेताओं ने अपने संप्रदाय की भविष्य की रूपरेखा तैयार की है। इस दस्तावेज़ को तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वालों का कहना है कि अलावी संप्रदाय असद के शासन से पहले भी अस्तित्व में था और उसके बाद भी रहेगा। उनका कहना है कि यह दस्तावेज़ अलावी संप्रदाय की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेगा और उनकी अलग पहचान अलावियों और असद शासन के बीच की गर्भनाल को अलग करने का काम करेगा। आठ पन्नों के दस्तावेज़ में अलावियों के लिए इस्लाम के भीतर तीसरे मॉडल की बात कही गई है।
अलावी नेताओं का कहना है कि यह संप्रदाय शिया इस्लाम का हिस्सा नहीं है जैसा कि शिया धार्मिक नेता अब तक बताते रहे हैं। उनका कहना है कि वे इस्लाम में विभिन्न संप्रदायों के बीच मतभेद को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
धर्मनिरपेक्षता को सीरिया का भविष्य बताते हुए इन नेताओं ने कहा कि देश में ऐसी शासन व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें इस्लाम, ईसाई और दूसरे धर्मों को बराबरी का स्थान दिया जाएगा। अलावी संप्रदाय का उदय 10वीं शताब्दी में पड़ोसी देश इराक़ में हुआ था और सीरिया में इनकी आबादी क़रीब 12 प्रतिशत है। अलावियों के धार्मिक विश्वासों के बारे में बहुत कम जानकारी है क्योंकि वे अपनी पहचान छिपाकर रखते हैं। हालांकि अधिकांश स्रोतों के मुताबिक़ अलावी ख़ुद को पहले शिया इमाम अली से जोड़कर देखते हैं। उनकी धार्मिक आस्थाएं शिया इस्लाम के मुख्य फिरके इथना आशरी से कुछ अलग हैं।