कहानी 'क्वींस ऑफ सीरिया' की
साल 2011 में सीरिया की राजधानी दमिश्क में रहने वाली शाम पेशे से एक फार्मसिस्ट थीं। वो चार बच्चों की मां हैं और आराम से जिंदगी जी रही थीं।
सीरिया में कथित इस्लामिक स्टेट (आईएस) का संघर्ष शुरू होने के साथ ही वो और उनके पति उन लाखों शरणार्थियों का हिस्सा बन गए जिन्हें अपना देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
वो संघर्ष से पहले सीरिया में अपनी जिंदगी के बारे में बताती हैं, "हमारी एक खूबसूरत जिंदगी थी। हमारा एक सुंदर सा घर था।
सब कुछ अच्छे से चल रहा था। फिर अचानक हमें सब कुछ गंवाना पड़ा। हम जॉर्डन आ गए। हमारे पास अब कुछ नहीं था। कोई काम नहीं था।"
इस हफ्ते शाम सीरिया छोड़ने और एक शरणार्थी की जिंदगी जीने की अपनी कहानी लंदन के यंग विक थियेटर में जंग विरोधी ग्रीक नाटक 'द टारजन वुमेन' के नए संस्करण में सुनाने वाली हैं।
'द टारजन वुमेन' का यह नया संस्करण 'क्वींस ऑफ सीरिया' नाम से मंचित किया जाएगा।
इसमें 13 महिला सीरियाई शरणार्थी अपनी आपबीती सुनाएंगी
इसमें 13 महिला सीरियाई शरणार्थी अपनी आपबीती सुनाएंगी। यंग विक के आर्ट डायरेक्टर डेविड लैन का कहना है, "हमने इस थियेटर में बहुत सारे शो किए हैं और इस बात से खुश होते हैं कि वे किसी ना किसी रूप में वास्तविक दुनिया से जुड़े होते हैं लेकिन शायद ही ऐसा होता है कि वास्तविक दुनिया थियेटर में चलकर आ जाए।
" 'क्वींस ऑफ सीरिया' का पहली बार 2013 में जॉर्डन की राजधानी अम्मान में मंचन हुआ था। इस नाटक में काम करने वाले दस लोग जॉर्डन में मंचित हुए नाटक में भी शामिल थे।
रीम अपनी मां के साथ इस नाटक में हिस्सा ले रही है। वो कहती हैं, "हममें से कोई कलाकार नहीं है और ना ही कलाकार बनने का सपना देखता है इसलिए हमारे लिए यह करना बहुत अजीब है।
" क्वींस ऑफ सीरिया का मंचन ऑक्सफ़ोर्ड, ब्रिघटन, लीवरपूल, लीड्स, एडिनबरा और डरहम में किया जाएगा। नाटक का सफर 24 जुलाई को वेस्ट एंड के न्यू लंडन थिएटर में मंचन के साथ समाप्त होगा।