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आखिर क्यों हो जाता है आदमी वहशी?

बीबीसी Updated Sun, 19 May 2013 10:58 AM IST
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why hell is goth man
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सीरियाई विद्रोही का अपने विरोधी का दिल निकाल कर खा लेने की घटना दहला देने वाली थी। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह क्रूरता इसी युद्ध में की गई और क्या यह सबसे ज़्यादा नृशंस थी?

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सामूहिक कब्रों, उत्पीड़नों, हत्याओं, नागरिकों के अंग-भंग तथा पूरे गांव का ही सफाया करने की खबरों के हम आदी हो गए हैं।

लेकिन इस नृशंस घटना ने लोगों का विशेष ध्यान खींचा। मनुष्य का मांस खाना युद्ध में अपेक्षित एवं अनपेक्षित सामान्य नैतिक एवं नीतिगत विचारों के प्रतिकूल है।
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तो क्या हिंसा अब एक नए धरातल पर पहुंच चुकी है और वो क्या चीज है जो ऐसी घटनाओं के लिए प्रेरणा का काम करती है ?

कॉन्सटांत्स विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की एक विशेष शोध शाखा इसी बात का अध्ययन करती है कि क्रूरता के लिए मनुष्य को कौन सी चीजें प्रेरित करती हैं।

घटनाओं के सबूत
युगांडा, रवांडा, कोलम्बिया तथा लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो के 2500 पूर्व लड़ाकों के साक्षात्कार के दौरान हमने इन क्षेत्रों में हुई नृशंसता की बहुत सी घटनाओं के सबूत पाए जो पश्चिमी मीडिया की नजर में नहीं आईं थी।

ये घटनाएं सीरिया में हाल में हुई घटना से कम नृशंस या अमानवीय नहीं थीं।

जब किसी खास परिप्रेक्ष्य में हिंसा का जायज़ मान लिया जाता है और इसे रोक सकने वाले सभी नैतिक अवरोध खत्म हो जाते हैं तो मनुष्य द्वारा मनुष्य की हत्या भी स्वीकार्य हो जाती है।

पीड़ित को तड़पते हुए देखना हिंसा का सबसे बड़ा पुरस्कार प्रतीत होता है। इसके बदले मिलने वाला सम्मान या धन जैसे दूसरे पुरस्कार कोई खास मायने नहीं रखते।

नकारात्मक भावनाएं
इस तरह के हिंसक व्यवहार के पीछे मुख्यत: दो कारण होते हैं।

सर्वप्रथम इस तरह की हिंसा के लिए क्रोध, घृणा या किसी धमकी की प्रतिक्रिया जैसी नकारात्मक भावनाएं होती हैं।

और कई बार उत्तेजना या सुख जैसी सकारात्मक भावनाएं भी इस तरह की हिंसा के लिए जिम्मेदार होती हैं।

नकारात्मक भावनाओं के वशीभूत की हिंसा को समझना थोड़ा आसान है। सीरियाई वीडियो के पीछे की कहानी तथा उस विद्रोही के व्यवहार का असल मकसद कोई नहीं जानता।

इसके लिए उस विद्रोही का माफी नहीं दी जा सकती लेकिन मेरा सुझाव है कि इस घटना से पहली हुई घटनाओं को ध्यान में रखते हुए इसे समझा जरूर जा सकता है।

सद्दाम हुसैन और ओसामा बिन लादेन की हत्या हमें याद दिलाती है कि विशेष परिस्थितियों में सभ्य नागरिक भी हत्या विरोधी नैतिकताओं एवं मान्यताओं को नजरअंदाज कर सकते हैं।

भावनात्मक उत्तेजना
एक व्यक्ति द्वारा अपने बेडरूम में की गई हत्या के वीडियो को लोगों में भय पैदा करने की बजाय इस तरह देखा गया जैसे किसी को आखेट में मिली कोई ट्राफी हो।

दूसरे तरह की हिंसा को आक्रामकता की भूख कहते हैं। ऐसी हिंसा जो 'सुख' पाने के लिए की जाती है। इससे हमारा कम साबका होता है।

हमने जिन पूर्व लड़ाकों का साक्षात्कार लिया उनमें से एक तिहाई का कहना था कि हिंसा और पीड़ित का तड़पना उन्हें एक खास प्रकार की भावनात्मक उत्तेजना एवं कौतुक प्रदान करता था।

बढ़ती हुई हिंसा एवं युद्ध के परिणामस्वरूप विरोधी को तड़पाने के लिए उसे सुनियोजित रूप से प्रताड़ित करना, आम नागरिकों के कान, होंठों या जननांगों को क्षतिग्रस्त करना तथा मृतक की देह को क्षत विक्षत करना आश्चर्यजनक रूप से सभी संस्कृतियों में होता रहा है।

सशक्त एवं प्रभावी रणनीति
आक्रामकता की भूख ऐसी हिंसा का मुख्य कारण है लेकिन हिंसा खासकर नरभक्षण का सामाजिक एवं पारंपरिक महत्व भी हो सकता है।

कई ऐसे विद्रोही समूह हैं जिनके लिए अंधविश्वासी नरभक्षण उनकी सांस्कृतिक परंपरा का एक अंग है।

लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो के पूर्व विद्रोहियों में करीब दस प्रतिशत ने हमारे एक अध्ययन में स्वीकार किया कि उन्हें मानव मांस का भक्षण किया था।

इन विद्रोहियों में प्रत्येक चार में से एक विद्रोही ने माना कि उसने अपने साथियों के नरभक्षण का गवाह रहा है।

आम नागरिकों के संग की गई हिंसा और दुश्मन के प्रति की जाने वाली अवकथनीय क्रूरताएं अपने विरोधियों को हतोत्साहित एवं भयभीत करने की एक सशक्त एवं प्रभावी रणनीति है।

उन्हें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता क उनसे इस बात का बदला लिया जा सकता है। क्रूर मानवीय व्यवहार के पीछे के कारण जटिल हैं।

सीरिया की इस घटना का समुचित मूल्यांकन के लिए जितनी जानकारी चाहिए वह कभी कभार ही उपलब्ध हो पाती है। सीरिया के संदर्भ में तो यह बात और भी ज्यादा सही है।

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