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दुनिया पर फिर मंडराने लगा कि परमाणु हथियारों की होड़ का खतरा, रूस और ब्रिटेन आमने-सामने!

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मास्को Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 22 Mar 2021 03:11 PM IST
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सार

रूस और ब्रिटेन के बीच बढ़ रहे इस तनाव से अमेरिका और उसके नेतृत्व वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के लिए भी नई चुनौतियां खड़ी हुई हैँ। अमेरिका ने पिछले महीने के आरंभ में रूस के साथ स्टार्ट संधि को आगे बढ़ाने का फैसला किया था...

Russia ambassador to Britain said diplomatic ties between the two countries were nearly dead, after a UK strategic review this week branded Moscow an acute direct threat
बोरिस जॉनसन और व्लादिमीर पुतिन - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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अमेरिका और यूरोपियन यूनियन से बढ़ रहे तनाव के बीच रूस अब ब्रिटेन के खिलाफ भी जवाबी आक्रामक मुद्रा में सामने आ गया है। उसने ये बात सार्वजनिक रूप से कह दी है कि ब्रिटेन के साथ उसका राजनयिक संबंध ‘लगभग मृत’ हो गया है। इससे अंतरराष्ट्रीय जगत में एक और तनाव खड़ा हो जाने की संभावना पैदा हो गई है। सबसे बड़ा खतरा परमाणु हथियारों की होड़ फिर से चालू हो जाने का है।

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ताजा विवाद ब्रिटेन के उस दस्तावेज से खड़ा हुआ, जिसमें रूस को ‘गंभीर प्रत्यक्ष खतरा’ बताया गया है। जब ब्रिटेन ने ये दस्तावेज जारी किया, तो कूटनीतिक विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि रूस शायद इस पर संयमित प्रतिक्रिया दे और बातचीत से ब्रिटेन की गलतफहमियां दूर करने की इच्छा जताए। लेकिन लंदन स्थित रूसी राजदूत आंद्रेई केलिन ने रविवार को जवाबी हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का अपने परमाणु हथियारों में बढ़ोतरी करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है।
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रूस और ब्रिटेन के बीच बढ़ रहे इस तनाव से अमेरिका और उसके नेतृत्व वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के लिए भी नई चुनौतियां खड़ी हुई हैँ। अमेरिका ने पिछले महीने के आरंभ में रूस के साथ स्टार्ट संधि को आगे बढ़ाने का फैसला किया था। ये संधि परमाणु हथियारों की होड़ पर रोक लगाने के लिए हुई थी। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संधि से हटने का फैसला किया था।

लेकिन जो बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद वह फैसला पलट दिया। नाटो में शामिल तमाम देशों ने भी स्टार्ट संधि को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई थी। पिछले महीने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने एक बयान में कहा था कि अस्त्र नियंत्रण और परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में अमेरिकी नेतृत्व बहाल कर राष्ट्रपति बाइडन अमेरिकी जनता को परमाणु खतरे से सुरक्षित रखना चाहते हैं। लेकिन ब्रिटेन के ताजा फैसले और रूस की उस पर आक्रामक प्रतिक्रिया से परमाणु अप्रसार के लक्ष्य के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है।

विश्लषकों ने ब्रिटिश समीक्षा रिपोर्ट और उस पर रूसी प्रतिक्रिया को देखते हुए कहा है कि दुनिया में अब हथियारों और खास कर परमाणु हथियारों की नई होड़ शुरू हो सकती है। ब्रिटेन के नए परमाणु हथियार बनाने से संभावित असंतुलन को देखते हुए रूस भी अपने हथियारों में इजाफा कर सकता है। तब उसका अमेरिका क साथ असंतुलन पैदा होगा, जिसे भरने के लिए अमेरिका को भी नए परमाणु हथियार निर्माण की तरफ बढ़ने की स्थिति पैदा हो जाएगी। इससे दुनिया और खास कर यूरोप में नए तनाव पैदा होंगे।

गौरतलब है कि ब्रिटेन ने पिछले हफ्ते अपनी सामरिक समीक्षा रिपोर्ट जारी की थी। जानकारों का कहना है कि ब्रिटेन की सुरक्षा और विदेश नीतियों में आमूल बदलाव लाने के लिहाज से यह शीत युद्ध के बाद सबसे बड़ी पहल है। ब्रिटेन ने ये दस्तावेज तैयार करने की तैयारी पिछले साल शुरू की थी। तब बताया गया था कि ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन की विदेश और रक्षा नीति तय करने के लिए ये पहल की गई है। पिछले हफ्ते जब ये रिपोर्ट जारी हुई तो उसमें ये चौंकाने वाली बात सामने आई कि ब्रिटेन 2030 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा कर 260 तक ले जाएगा। अभी उसके पास ऐसे 180 हथियार हैं।

ब्रिटेन ने अपने इस फैसले की वजह रूस से पैदा हो रहे कथित खतरे को बताया है। ब्रिटेन का आरोप है कि 2018 में रूस ने ब्रिटिश धरती पर एक पूर्व केजीबी (रूसी खुफिया एजेंसी) एजेंट की हत्या करा दी, जबकि एक की हत्या की नाकाम कोशिश की। इसके अलावा उसने ब्रिटेन के कोरोना वायरस संबंधी रिसर्च को हैक करने और 2019 के ब्रिटिश आम चुनाव में दखल देने की कोशिश भी की।

इस दस्तावेज पर पहली रूसी प्रतिक्रिया रविवार को सामने आई। रूसी राजदूत केलिन ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ब्रिटेन ने रूस के बार-बार दिए इस सुझाव को ठुकरा दिया है कि दोनों देश अपने मतभेदों के बारे में आमने-सामने बैठ कर बात करें। उन्होंने कहा कि बातचीत ना करने और रूस पर आरोप मढ़ते जाने से दोनों देशों के आपसी संबंध ‘ध्वस्त’ हो गए हैं। उन्होंने कहा- आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में हमारे संबंध अब भी हैं, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में लगभग मृत हो गए हैं।

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