Russia Ukraine War: भारत और म्यांमार को बेचे हथियारों को उनसे वापस खरीद रहा है रूस?
Russia Ukraine War: ब्रसेल्स स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप से जुड़े रूसी विश्लेषक ओलेग इगनातोव ने कहा है- ‘रूस के पास बड़ी संख्या में पुराने टी-72 टैंक हैं, जिनके आधुनिकीकरण की जरूरत है, ताकि उन्हें युद्ध में भेजा सके...
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क्या रूस ने भारत और म्यांमार को जो सैन्य उपकरण बेचे थे, उन्हें वह उन दोनों देशों से वापस खरीद रहा है? ऐसा दावा वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम ने अपने एक विश्लेषण के आधार पर किया है। वेबसाइट का दावा है कि कस्टम क्लीयरेंस डाटा के विश्लेषण के आधार पर वह इस नतीजे पर पहुंची है।
वेबसाइट के मुताबिक उसे भारत और म्यांमार से रूस द्वारा टैंकों और मिसाइलों की वापस खरीदारी के दस्तावेज मिले हैं। वेबसाइट ने अनुमान लगाया है कि रूस संभवतः यूक्रेन युद्ध में अपनी मोर्चाबंदी को मजबूत करने के इरादे से ऐसा कर रहा है। इस युद्ध काल में उसने उन देशों पर भरोसा किया है, जिनके साथ उसके बहुत पुराने रक्षा संबंध हैं।
यूक्रेन युद्ध को देखते हुए अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और जापान ने रूस को हथियार बेचने पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। निक्कईएशिया.कॉम के मुताबिक उसे रूस पहुंची खेपों के बारे में कस्मट क्लीयरेंस डाटा अमेरिकी रिसर्च फर्म इम्पोर्टजीनियस से मिले। इसके अलावा उसने भारत तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त निर्यात-आयात आंकड़ों का भी अध्ययन किया। इसमें उसने हथियार के पाट-पुर्जों के रूस में हुए आयात पर गौर किया। इन हथियारों में टैंक और मिसाइलें शामिल हैं।
निक्कईएशिया का दावा है कि रूसी सेना के लिए टैंक बनाने वाली कंपनी यूरलवैगॉनजेवोड ने म्यांमार की सेना से दो करोड़ 40 लाख डॉलर के सैन्य उत्पादों का आयात पिछले साल नौ दिसंबर को किया था। इन पाट-पुर्जों का उत्पादन पहले इसी कंपनी ने किया था। वेबसाइट का दावा है कि इस कंपनी ने 6,775 दूरबीनों और टैंकों में लगाए जाने वाले 200 कैमरों का वापस खरीदारी की है। जापान की सेना से रिटायर्ड हुए अधिकारी नोबुयुकी अकातनी ने निक्कईएशिया को बताया कि इन उपकरणों का संबंध संभवतः लक्ष्यों की दूरी का अनुमान लगाने से है।
ब्रिटिश थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज ने इस वर्ष जारी अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि रूसी सेना के पास करीब पांच हजार टैंक हैं। ब्रसेल्स स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप से जुड़े रूसी विश्लेषक ओलेग इगनातोव ने कहा है- ‘रूस के पास बड़ी संख्या में पुराने टी-72 टैंक हैं, जिनके आधुनिकीकरण की जरूरत है, ताकि उन्हें युद्ध में भेजा सके। इन टैंकों में दूर तक देखने वाले (ऑप्टिकल) सिस्टम की समस्या है। यह हो सकता है कि रूस ने अब यह कमी दूर करने का ये तरीका अपनाया हो।’ विश्लेषकों के मुताबिक रूस पहले टैंकों के ऑप्टिकल उपकरणों के लिए पश्चिमी टेक्नोलॉजी पर निर्भर था। लेकिन अब प्रतिबंधों के कारण उसके लिए इन्हें हासिल करना कठिन हो गया है।
निक्कईएशिया के मुताबिक मिसाइल उत्पादन से जुड़ी रूसी कंपनी एनपीके केबीएम ने जमीन से हवा में मार करने वाली अपनी मिसाइल प्रणाली के लिए छह नाइट विज़न सिस्टम की भारत से वापस खरीदारी पिछले साल की थी। डेढ़ लाख डॉलर के इन उपकरणों का पिछले साल अगस्त से नवंबर के बीच रूस में आयात किया गया। निक्कईएशिया के मुताबिक उसने इस बारे में केबीएम और भारत सरकार से संपर्क किया, लेकिन दोनों जगहों से उसे कोई उत्तर नहीं मिला।