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वियतनाम दौरे पर विदेश मंत्री जयशंकर, कहा- भारत के पास परंपरा, तकनीक को जोड़ने की क्षमता, दुनिया में अलग पहचान
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वियतनाम
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Tue, 17 Oct 2023 10:00 PM IST
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सार
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वियतनाम में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की। उन्होंने भारत के भविष्य को आकार देने में परंपरा और प्रौद्योगिकी को जोड़ने को अहम करार दिया। विदेश मंत्री ने महात्मा गांधी और रविंद्रनाथ टैगोर का भी जिक्र किया।

वियतनाम दौरे पर विदेश मंत्री जयशंकर
- फोटो : ANI
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विस्तार
वियतनाम दौरे पर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने दुनिया में भारत की अनोखी पहचान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि परंपरा और प्रौद्योगिकी के सम्मिश्रण का बहुत महत्व है। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अत्याधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने की भारत की क्षमता ही देश को वैश्विक मंच पर स्थापित करती है।
भारत की वैश्विक पहुंच में प्रवासियों की भूमिका
हनोई में हुआ यह कार्यक्रम जयशंकर के लिए भारत और वियतनाम के बीच गहरे संबंधों को रेखांकित करने का मौका था। इस कार्यक्रम को द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने के एक मंच के रूप में भी देखा जा रहा है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों के महत्व को भी स्वीकार किया। डॉ जयशंकर ने कहा कि भारत की वैश्विक पहुंच को मजबूत करने में भारतीय प्रवासियों की भूमिका सराहनीय है।
परंपरा और प्रौद्योगिकी को मिलाने की जरूरत
जयशंकर ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत के भविष्य में क्या है? इस सवाल से की। उन्होंने कहा, आप जानते हैं कि भारत का एक हिस्सा परंपरा है। देश का एक हिस्सा प्रौद्योगिकी भी है। परंपरा और प्रौद्योगिकी को मिलाने और दोनों के साथ समान रूप से सहज होने के लिए भारत जैसे समाज की जरूरत है। वास्तव में इसी से भारत को दुनिया में अलग पहचान के साथ खड़ा होने का अनुभव मिलेगा।
भारत-वियतनाम संबंध अच्छे, नागरिकों की भूमिका काफी अहम
जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में वियतनाम में भारतीय समुदाय की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, आज इसमें कोई सवाल नहीं है कि कई मायनों में हमारा रिश्ता अच्छा है, हम बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन दिन के अंत में, जब हम सहयोग के बारे में बात करते हैं, तो इसमें दोनों देशों के नागरिकों की भूमिका होती है।
व्यवसाय, शिक्षा और संस्कृति का क्षेत्र
गौरतलब है कि भारतीय प्रवासी भारत और वियतनाम के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। व्यवसाय, शिक्षा और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में दोनों देशों के नागरिकों का अहम योगदान है। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में भी काफी मदद मिली है।
विदेश मंत्री का संदेश भारत के दृष्टिकोण के अनुसार
विदेश मंत्री के अनुसार, जैसे-जैसे भारत अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार कर रहा है, परंपरा और प्रौद्योगिकी को संतुलित करने की इसकी अनूठी क्षमता तेजी से प्रमुख होती जा रही है। वियतनाम में भारतीय समुदाय के लिए जयशंकर का संदेश समावेशी विकास को बढ़ावा देने, अपनी विरासत को संरक्षित करने और आधुनिक दुनिया के अवसरों को अपनाने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण से मेल खाता है।
समकालीन दुनिया में महात्मा गांधी और सत्य, अहिंसा
अपने संबोधन से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने हो ची मिन्ह सिटी में महात्मा गांधी की प्रतिमा के अनावरण समारोह में भाग लिया। उन्होंने आधुनिक वैश्विक परिदृश्यों में महात्मा गांधी के मूल्यों और विश्वासों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यह हमारी दोस्ती का बहुत ही प्रतीकात्मक क्षण है...महात्मा गांधी निस्संदेह समकालीन दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक हैं।" जयशंकर के अनुसार, सत्य, अहिंसा, स्वतंत्रता और लोगों की स्वतंत्रता में उनके योगदान को संयुक्त राष्ट्र ने भी मान्यता दी है। उनकी जयंती- दो अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती है।
वियतनाम में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा
विदेश मंत्री जयशंकर ने वियतनाम की हो ची मिन्ह सिटी पार्टी के सचिव गुयेन वान नेन से भी मुलाकात की। उन्होंने भारत-वियतनाम साझेदारी में एचसीएमसी के योगदान की सराहना की। बता दें कि विदेश मंत्री अपने समकक्ष बुई थान सोन के निमंत्रण पर वियतनाम की आधिकारिक यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री ने वियतनाम के बाक निन्ह प्रांत में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा का अनावरण भी किया। उन्होंने क्वान हो आर्ट थिएटर समूह का प्रदर्शन भी देखा।

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भारत की वैश्विक पहुंच में प्रवासियों की भूमिका
हनोई में हुआ यह कार्यक्रम जयशंकर के लिए भारत और वियतनाम के बीच गहरे संबंधों को रेखांकित करने का मौका था। इस कार्यक्रम को द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने के एक मंच के रूप में भी देखा जा रहा है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों के महत्व को भी स्वीकार किया। डॉ जयशंकर ने कहा कि भारत की वैश्विक पहुंच को मजबूत करने में भारतीय प्रवासियों की भूमिका सराहनीय है।
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परंपरा और प्रौद्योगिकी को मिलाने की जरूरत
जयशंकर ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत के भविष्य में क्या है? इस सवाल से की। उन्होंने कहा, आप जानते हैं कि भारत का एक हिस्सा परंपरा है। देश का एक हिस्सा प्रौद्योगिकी भी है। परंपरा और प्रौद्योगिकी को मिलाने और दोनों के साथ समान रूप से सहज होने के लिए भारत जैसे समाज की जरूरत है। वास्तव में इसी से भारत को दुनिया में अलग पहचान के साथ खड़ा होने का अनुभव मिलेगा।
भारत-वियतनाम संबंध अच्छे, नागरिकों की भूमिका काफी अहम
जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में वियतनाम में भारतीय समुदाय की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, आज इसमें कोई सवाल नहीं है कि कई मायनों में हमारा रिश्ता अच्छा है, हम बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन दिन के अंत में, जब हम सहयोग के बारे में बात करते हैं, तो इसमें दोनों देशों के नागरिकों की भूमिका होती है।
व्यवसाय, शिक्षा और संस्कृति का क्षेत्र
गौरतलब है कि भारतीय प्रवासी भारत और वियतनाम के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। व्यवसाय, शिक्षा और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में दोनों देशों के नागरिकों का अहम योगदान है। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में भी काफी मदद मिली है।
विदेश मंत्री का संदेश भारत के दृष्टिकोण के अनुसार
विदेश मंत्री के अनुसार, जैसे-जैसे भारत अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार कर रहा है, परंपरा और प्रौद्योगिकी को संतुलित करने की इसकी अनूठी क्षमता तेजी से प्रमुख होती जा रही है। वियतनाम में भारतीय समुदाय के लिए जयशंकर का संदेश समावेशी विकास को बढ़ावा देने, अपनी विरासत को संरक्षित करने और आधुनिक दुनिया के अवसरों को अपनाने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण से मेल खाता है।
समकालीन दुनिया में महात्मा गांधी और सत्य, अहिंसा
अपने संबोधन से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने हो ची मिन्ह सिटी में महात्मा गांधी की प्रतिमा के अनावरण समारोह में भाग लिया। उन्होंने आधुनिक वैश्विक परिदृश्यों में महात्मा गांधी के मूल्यों और विश्वासों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यह हमारी दोस्ती का बहुत ही प्रतीकात्मक क्षण है...महात्मा गांधी निस्संदेह समकालीन दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक हैं।" जयशंकर के अनुसार, सत्य, अहिंसा, स्वतंत्रता और लोगों की स्वतंत्रता में उनके योगदान को संयुक्त राष्ट्र ने भी मान्यता दी है। उनकी जयंती- दो अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती है।
वियतनाम में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा
विदेश मंत्री जयशंकर ने वियतनाम की हो ची मिन्ह सिटी पार्टी के सचिव गुयेन वान नेन से भी मुलाकात की। उन्होंने भारत-वियतनाम साझेदारी में एचसीएमसी के योगदान की सराहना की। बता दें कि विदेश मंत्री अपने समकक्ष बुई थान सोन के निमंत्रण पर वियतनाम की आधिकारिक यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री ने वियतनाम के बाक निन्ह प्रांत में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा का अनावरण भी किया। उन्होंने क्वान हो आर्ट थिएटर समूह का प्रदर्शन भी देखा।