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‘स्पोर्ट्स वॉशिंग’ या कुछ और मकसद: सऊदी प्रिंस ने इंग्लैंड में क्यों खरीदा फुटबॉल क्लब?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 18 Oct 2021 06:04 PM IST
सार

कुछ विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि सऊदी प्रिंस पर मानवाधिकारों के घोर हनन का आरोप है। उन्हें मशहूर पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। अब यह पूछा यह जा रहा है कि क्या इंग्लैंड में फुटबॉल क्लब खरीदना उनकी अपनी छवि सुधारने के प्रयास का हिस्सा है...

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Saudi Arab Crown Prince Mohammed bin Salman buy newcastle united football club
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान - फोटो : Agency (File Photo)
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सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान इंग्लिश प्रीमियर लीग के क्लब न्यूकैसल यूनाइटेड को क्यों खरीदा, इसको लेकर कयासों का दौर तेज होता जा रहा है। कई जानकार यह मानने को तैयार नहीं हैं कि प्रिंस सलमान ने सिर्फ अपने फुटबॉल प्रेम के कारण यह दांव लगाया है। सऊदी प्रिंस के इस दांव से अचानक न्यूकैसल की गिनती सबसे धनी फुटबॉल क्लबों में होने लगी है।

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कुछ विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि सऊदी प्रिंस पर मानवाधिकारों के घोर हनन का आरोप है। उन्हें मशहूर पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। अब यह पूछा यह जा रहा है कि क्या इंग्लैंड में फुटबॉल क्लब खरीदना उनकी अपनी छवि सुधारने के प्रयास का हिस्सा है? क्या इसके जरिए वे अपने बारे में नकारात्मक चर्चाओं से दुनिया का ध्यान हटाना चाहते हैं? आलोचकों इसे प्रिंस सलमान की ‘स्पोर्ट्स वॉशिंग’ (यानी खेल के जरिए अपनी छवि के दाग धोना) कहा है।
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क्लब न्यूकैसल यूनाइटेड की स्थापना 1892 में हुई थी। तब से कभी भी उसे धनी क्लबों में नहीं गिना गया। अब अचानक उसका मालिकाना सऊदी अरब के उस सॉवरेन वेल्थ फंड के हाथ में चला गया है, जिसके पास 400 अरब डॉलर की संपत्ति है। इस तरह वह अब दुनिया के सबसे धनी फुटबॉल क्लबों में शामिल हो गया है।

सऊदी राज घराने पर मनमाने ढंग से लोगों का सिर कलम करने की सजा देने और समलैंगिक समुदाय का उत्पीड़न करने के आरोप भी हैं। मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ताजा सौदे के बाद कहा- ‘इससे सऊदी अधिकारियों को दुनिया में अपना नाम, अपना ब्रांड और अपने बारे में सकारात्मक संदेश पहुंचाने में मदद मिलेगी।’ इस सौदे के साथ ही यूरोपीय फुटबॉल में पश्चिम एशिया के राज घरानों की पैठ और गहरी हो गई है। गौरतलब है कि इंग्लैंड के क्लब मैनचेस्टर सिटी का स्वामित्व अबू धाबी के शाही परिवार के हाथ में है। उधर फ्रांस के पेरिस सेंट जरमाइन क्लब का स्वामित्व कतर के सॉवरेन वेल्थ फंड के पास है।

लेकिन सऊदी अरब के क्लब खरीदने को लेकर जितना विवाद हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा- ‘इस देश में अपनी ही जनता के खिलाफ मानवाधिकारों का सबसे खराब ढंग का, व्यवस्थागत उल्लंघन होता है। वहां स्थिति सुधरने के बजाय बदतर होती जा रही है।’ सऊदी प्रिंस ने ये फुटबॉल क्लब खरीदने के लिए ब्रिटिश व्यापारी अमान्डा स्टेवेली की कंपनी पीसीपी कैपिटल पार्टनर्स के साथ साथ साझा कंपनी बनाई। 40 करोड़ डॉलर में हुई इस खरीदारी में 80 फीसदी धन सऊदी सॉवरेन वेल्थ फंड ने लगाया है।

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस दांव के पीछे ‘स्पोर्ट्स वॉशिंग’ के अलावा प्रिंस सलमान के दूसरे मकसद भी हैं। लंदन के किंग्स कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डेविड रॉबर्ट्स ने अमेरिकी टीवी चैनल एनबीसी से कहा- ‘प्रिंस सलमान अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। वे जानते हैं कि सऊदी अरब के तेल भंडार हमेशा कायम नहीं रहेंगे। सऊदी अरब में बड़े पैमाने पर बदलाव हों, यह अब वहां अस्तित्व से जुड़ा सवाल बन गया है। इसलिए प्रिंस सलमान हर क्षेत्र में नई समझ अपनाना चाहते हैं।’

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