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Saudi Arabia: सऊदी के युवराज को सता रहा अपनी हत्या का डर, अमेरिकी अधिकारियों के सामने जताई आशंका

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रियाद Published by: नितिन गौतम Updated Fri, 16 Aug 2024 02:27 PM IST
सार

समझौते के तहत अमेरिका, सऊदी अरब की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, साथ ही अमेरिका, सऊदी अरब के नागरिक परमाणु कार्यक्रम में भी मदद करेगा। अमेरिका समझौते के तहत अमेरिका, सऊदी अरब में तकनीक के क्षेत्र में भी निवेश करेगा।

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सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान को अपनी हत्या का डर सता रहा है। ये खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि खुद मोहम्मद बिल सलमान ने ही किया है। दरअसल सऊदी युवराज को डर है कि अगर वे इस्राइल, अमेरिका और सऊदी अरब की संभावित डील पर आगे बढ़ते हैं तो उनकी हत्या हो सकती है।  
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सऊदी युवराज ने जताया इस बात का डर
पॉलिटिको में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद बिन सलमान से इस्राइल-सऊदी अरब-अमेरिका की संभावित डील को लेकर अमेरिकी अधिकारियों ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान ही सऊदी युवराज ने कहा कि अगर वे इस डील पर आगे बढ़ते हैं तो उनकी हत्या भी हो सकती है। इस पर जब अमेरिकी अधिकारियों ने उनकी सुरक्षा का कथित आश्वासन दिया तो मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिकी अधिकारियों से पूछा कि जब मिस्त्र के राष्ट्रपति अनवर सादात को साल 1981 में इस्लामिक आतंकियों ने मार डाला था, तब अमेरिका ने क्या किया था? हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी युवराज ने संभावित खतरे के बावजूद डील पर आगे बढ़ने का आश्वासन दिया क्योंकि यह समझौता उनके देश के भविष्य के हित में है। 
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समझौते के तहत सऊदी अरब को मिलेगा ये फायदा
उल्लेखनीय है कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समझौते के तहत अमेरिका, सऊदी अरब की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, साथ ही अमेरिका, सऊदी अरब के नागरिक परमाणु कार्यक्रम में भी मदद करेगा। अमेरिका समझौते के तहत अमेरिका, सऊदी अरब में तकनीक के क्षेत्र में भी निवेश करेगा। इसके बदले में सऊदी अरब को चीन के साथ अपने संबंधों को सीमित करना होगा और साथ ही इस्राइल के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को कायम करना होगा। अगर सऊदी अरब, इस्राइल के साथ अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित करता है तो इससे इस्राइल को बड़ा फायदा मिलेगा क्योंकि अरब दुनिया में सऊदी अरब का बहुत बड़ा प्रभाव है। हालांकि सऊदी अरब के युवराज इसी बात से डरे हुए हैं कि अगर उन्होंने फलस्तीन को अलग देश का दर्जा दिलाए बगैर इस्राइल के साथ कूटनीतिक रिश्ते स्थापित किए तो वह इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर आ सकते हैं।  
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