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Saudi Arabia: कौन है सलमा अल शहाब, जिसकी 34 साल की सजा माफ कर सऊदी सरकार ने किया रिहा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रियाद
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 11 Feb 2025 09:08 AM IST
सार
लंदन स्थित सऊदी अधिकार समूह ALQST ने सलमा की रिहाई की घोषणा की। जनवरी में, ALQST और अन्य समूहों ने बताया था कि अल-शहाब की सजा घटाकर चार साल कर दी गई है। अब उन्होंने सोमवार को बताया कि दो बच्चों की मां सलमा अल-शहाब को रिहा कर दिया गया है।
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सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
सऊदी अरब की सरकार ने 34 साल जेल की सजा पाने वाली डॉक्टरेट छात्रा सलमा अल शहाब को रिहा कर दिया है। मानवाधिकार संगठन ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। सलमा को सऊदी सरकार के खिलाफ ट्वीट करने के लिए जेल में डाल दिया गया था और बाद में उस पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप लगाकर उसे 34 साल जेल की सजा सुना दी गई थी। अब खबर आई है कि सऊदी सरकार का दिल पसीज गया है और सलमा को रिहा कर दिया गया है।
सलमा अल शहाब पर थे ये आरोप
लंदन स्थित सऊदी अधिकार समूह ALQST ने सलमा की रिहाई की घोषणा की। जनवरी में, ALQST और अन्य समूहों ने बताया था कि अल-शहाब की सजा घटाकर चार साल कर दी गई है। अब उन्होंने सोमवार को बताया कि दो बच्चों की मां सलमा अल-शहाब को रिहा कर दिया गया है। सलमा को साल 2022 में उनके ट्वीट के लिए 34 साल की सज़ा सुनाई गई थी। यह सरकार के खिलाफ असहमति जताने वालों के खिलाफ सऊदी के युवराज मोहम्मद बिन सलमान की कार्रवाई के तहत किया गया। समूह ने मांग की कि, 'उसे अब पूरी आज़ादी दी जानी चाहिए, जिसमें उसकी पढ़ाई पूरी करने के लिए यात्रा करने का अधिकार भी शामिल है।'
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी अल-शहाब की रिहाई की पुष्टि की। एमनेस्टी में मध्यपूर्व शोधकर्ता दाना अहमद ने बताया, 'सलमा अल शहाब ने लगभग 300 दिन एकांत कारावास में बिताए, उसे कानूनी प्रतिनिधित्व से वंचित रखा गया, और फिर आतंकवाद के आरोपों में उसे बार-बार दोषी ठहराया गया और दशकों तक की सज़ा सुनाई गई। यह सब सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि उसने महिला अधिकारों के समर्थन में ट्वीट किया और सऊदी महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के ट्वीट को रीट्वीट किया।'
दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों ने जताई खुशी
वाशिंगटन स्थित मिडिल ईस्ट डेमोक्रेसी सेंटर और फ्रीडम हाउस दोनों ने भी सलमा की रिहाई का स्वागत किया। फ्रीडम हाउस ने कहा, 'अल-शहाब की अन्यायपूर्ण और मनमानी सजा सऊदी न्याय प्रणाली की बुनियादी रूप से खराब स्थिति का प्रतीक है, जहां मुकदमे निष्पक्ष नहीं होते, प्रतिवादियों के पास बहुत कम अधिकार होते हैं, और पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा यातना और दुर्व्यवहार के आरोप आम बात है।' हालांकि अभी तक सऊदी अरब की सरकार ने आधिकारिक तौर पर सलमा की रिहाई को लेकर कुछ नहीं कहा है।
साल 2021 में किया गया था गिरफ्तार
सलमा अल-शहाब, यूके की लीड्स यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही थी। यूके से ही शहाब ने सऊदी सरकार के खिलाफ कुछ ट्वीट किए और सऊदी अरब में महिला अधिकारों की मुखर होकर वकालत की। 15 जनवरी, 2021 को, जब सलमा सऊदी अरब में अपने रिश्तेदारों से मिलने आई हुई थी, उसी दौरान उसे हिरासत में लिया गया था। सलमा का ताल्लुक सऊदी अरब के अल्पसंख्यक शिया मुस्लिम समुदाय से है। सुन्नी बहुल सऊदी अरब में शिया समुदाय के खिलाफ भेदभाव की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं।
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सलमा अल शहाब पर थे ये आरोप
लंदन स्थित सऊदी अधिकार समूह ALQST ने सलमा की रिहाई की घोषणा की। जनवरी में, ALQST और अन्य समूहों ने बताया था कि अल-शहाब की सजा घटाकर चार साल कर दी गई है। अब उन्होंने सोमवार को बताया कि दो बच्चों की मां सलमा अल-शहाब को रिहा कर दिया गया है। सलमा को साल 2022 में उनके ट्वीट के लिए 34 साल की सज़ा सुनाई गई थी। यह सरकार के खिलाफ असहमति जताने वालों के खिलाफ सऊदी के युवराज मोहम्मद बिन सलमान की कार्रवाई के तहत किया गया। समूह ने मांग की कि, 'उसे अब पूरी आज़ादी दी जानी चाहिए, जिसमें उसकी पढ़ाई पूरी करने के लिए यात्रा करने का अधिकार भी शामिल है।'
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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी अल-शहाब की रिहाई की पुष्टि की। एमनेस्टी में मध्यपूर्व शोधकर्ता दाना अहमद ने बताया, 'सलमा अल शहाब ने लगभग 300 दिन एकांत कारावास में बिताए, उसे कानूनी प्रतिनिधित्व से वंचित रखा गया, और फिर आतंकवाद के आरोपों में उसे बार-बार दोषी ठहराया गया और दशकों तक की सज़ा सुनाई गई। यह सब सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि उसने महिला अधिकारों के समर्थन में ट्वीट किया और सऊदी महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के ट्वीट को रीट्वीट किया।'
दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों ने जताई खुशी
वाशिंगटन स्थित मिडिल ईस्ट डेमोक्रेसी सेंटर और फ्रीडम हाउस दोनों ने भी सलमा की रिहाई का स्वागत किया। फ्रीडम हाउस ने कहा, 'अल-शहाब की अन्यायपूर्ण और मनमानी सजा सऊदी न्याय प्रणाली की बुनियादी रूप से खराब स्थिति का प्रतीक है, जहां मुकदमे निष्पक्ष नहीं होते, प्रतिवादियों के पास बहुत कम अधिकार होते हैं, और पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा यातना और दुर्व्यवहार के आरोप आम बात है।' हालांकि अभी तक सऊदी अरब की सरकार ने आधिकारिक तौर पर सलमा की रिहाई को लेकर कुछ नहीं कहा है।
साल 2021 में किया गया था गिरफ्तार
सलमा अल-शहाब, यूके की लीड्स यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही थी। यूके से ही शहाब ने सऊदी सरकार के खिलाफ कुछ ट्वीट किए और सऊदी अरब में महिला अधिकारों की मुखर होकर वकालत की। 15 जनवरी, 2021 को, जब सलमा सऊदी अरब में अपने रिश्तेदारों से मिलने आई हुई थी, उसी दौरान उसे हिरासत में लिया गया था। सलमा का ताल्लुक सऊदी अरब के अल्पसंख्यक शिया मुस्लिम समुदाय से है। सुन्नी बहुल सऊदी अरब में शिया समुदाय के खिलाफ भेदभाव की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं।