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फ्रांस में गंभीर रूप ले रही है सुरक्षा बलों की नाराजगी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, पेरिस
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 20 May 2021 07:22 PM IST
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सार
विश्लेषकों का कहना है कि मैक्रों सरकार को दोतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। बीते अप्रैल में उसने एक कानून पारित कराया, जिससे पुलिस कर्मियों की तस्वीर को प्रचारित या प्रसारित करने को अपराध बना दिया गया...

इमैनुएल मैक्रों
- फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को लेकर सेना और पुलिस में हाल में जाहिर हुआ असंतोष अधिक गंभीर रूप लेता जा रहा है। मैक्रों की मुश्किल इससे भी बढ़ी हैं कि उनके विरोधी राजनीतिक दल खुल कर सुरक्षाकर्मियों के असंतोष को हवा दे रहे हैं। असंतोष की शुरुआत राष्ट्रपति के नाम लिखे गए दो खुले पत्रों से हुई। बुधवार को मामला ज्यादा गंभीर हो गया, जब हजारों की संख्या में पुलिसकर्मी पेरिस की सड़कों पर उतर आए। उन्होंने पुलिस कर्मियों पर हमला करने वाले दोषियों को ज्यादा कड़ी सजा देने की मांग की।

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बुधवार के प्रदर्शन के दौरान इस बात ने सबका ध्यान खींचा कि पुलिस कर्मियों के प्रदर्शन में कई विपक्षी राजनेता शामिल हुए। इसके पहले तक मौजूदा और पूर्व सैन्य और पुलिसकर्मियों के असंतोष का खुला समर्थन सिर्फ धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी की नेता मेरी ली पेन ने किया था। लेकिन बुधवार को पुलिस कर्मियों के प्रदर्शन में कई वामपंथी नेता और नागरिक संगठनों के नुमाइंदे भी शामिल हुए।
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प्रदर्शन में जिन लोगों शामिल देखा गया, उनमें सोशिलिस्ट पार्टी के नेता ओलिवर फॉरे, ग्रीन पार्टी की नेता यानिक जेडॉ और कम्युनिस्ट नेता फाबियन रसेल भी थे। जो प्रमुख वामपंथी पार्टी शामिल नहीं हुई, वह अनबाउंड है। इस पार्टी के नेता ज्यां-लुक मेलेंशॉ ये एलान कर चुके हैं कि वे अगले साल राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार होंगे। विश्लेषकों का कहना है कि वामपंथी नेता प्रदर्शनों में शामिल हों, यह तो कोई नई बात नहीं है। लेकिन उनके पुलिस के प्रदर्शन में शामिल होना जरूर अहम है।
सोशलिस्ट नेता फॉरे ने इस दौरान कहा- हमें पुलिस कर्मियों की मांग सुननी चाहिए। सबको यह जरूर समझना चाहिए कि वे मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मी का मतलब सिर्फ वर्दी पहना एक व्यक्ति नहीं होता, बल्कि उसका भी परिवार होता है, उसकी भी अपनी जिंदगी है। प्रदर्शन में शामिल राजनेताओं ने उन पुलिस कर्मियों को अपनी श्रद्धांजलि दी, जिनकी हाल में उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी।
देश में चल रही राजनीतिक चर्चाओं से साफ है कि अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले पुलिस कर्मियों की सुरक्षा का मसला सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। इससे मैक्रों सरकार दबाव में है। इसका संकेत बुधवार को भी देखने को मिला, जब गृह मंत्री जेराल्ड दार्मिंन ने पुलिस कर्मियों के प्रदर्शन में जाकर उनके प्रति अपना समर्थन जताया। लेकिन उन्हें वहां विरोध का सामना करना पड़ा। भीड़ के एक हिस्से ने उन्हें निशाना बना कर कहा कि हालत लगातार बिगड़ रही है और इसे इस तरह जारी रहने नहीं दिया जा सकता।
इस बीच राष्ट्रपति मैक्रों ने दस हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की भर्ती का एलान किया है। उधर पुलिस कर्मियों की यूनियनों ने शिकायत की है कि सरकार हिंसा से पुलिस वालों की रक्षा करने में नाकाम हो गई है। उन्होंने न्याय प्रणाली में व्यापक सुधारों की मांग की है, ताकि पुलिस पर हमला करने वालों को ज्यादा सख्त सजा दी जा सके।
विश्लेषकों का कहना है कि मैक्रों सरकार को दोतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। बीते अप्रैल में उसने एक कानून पारित कराया, जिससे पुलिस कर्मियों की तस्वीर को प्रचारित या प्रसारित करने को अपराध बना दिया गया। नागरिक अधिकार संगठनों ने इस कानून की कड़ी आलोचना की। इसे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन बताया गया। लेकिन पुलिस कर्मी यह कहते हुए नाराज हैं कि सरकार उनकी रक्षा के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रही है।