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दुर्लभ खनिज की जंग: चीन से तनाव के बीच ट्रंप ने साधे पांच मध्य एशियाई देश, कहा- क्षेत्र की नहीं होगी अनदेखी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 07 Nov 2025 08:40 AM IST
सार
चीन से तनाव के बीच अमेरिका ने दुर्लभ खनिज की जंग को लेकर अपनी नई रणनीति शुरू कर दी है। बीते दिन राष्ट्रपति ट्रंप ने पांच मध्य एशियाई देश के राष्ट्रप्रमुखों से बातचीत की है। बता दें कि, ये वही खनिज हैं जिनकी जरूरत स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और लड़ाकू विमानों जैसी आधुनिक तकनीकों में पड़ती है।
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डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति
- फोटो : X @WhiteHouse
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विस्तार
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को मध्य एशिया के पांच देशों- कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान, के नेताओं की मेजबानी की। यह बैठक व्हाइट हाउस में हुई, जिसका मकसद था चीन पर निर्भरता घटाकर दुर्लभ खनिजों की नई आपूर्ति श्रृंखला बनाना। ये वही खनिज हैं जिनकी जरूरत स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहनों और लड़ाकू विमानों जैसी आधुनिक तकनीकों में पड़ती है। चीन फिलहाल दुनिया के करीब 70% दुर्लभ खनिजों का खनन करता है और 90% प्रसंस्करण पर उसका नियंत्रण है।
यह भी पढ़ें - US: ट्रंप नीति को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की मुहर, पासपोर्ट पर लिंग पहचान सीमित; ट्रांसजेंडर समुदाय में नाराजगी
चीन से तनाव, अब नई रणनीति
हाल के महीनों में चीन और अमेरिका के बीच इन खनिजों को लेकर खींचतान बढ़ गई थी। पिछले महीने बीजिंग ने इन धातुओं के निर्यात पर नई पाबंदियां लगाईं थीं। हालांकि, दक्षिण कोरिया में ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद चीन ने फिलहाल एक साल के लिए इन प्रतिबंधों को टालने का फैसला किया। इसके बावजूद, वॉशिंगटन अब ऐसे विकल्प तलाश रहा है जिससे वह चीन पर निर्भर हुए बिना इन जरूरी धातुओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर सके।
ट्रंप बोले- इस क्षेत्र को अब अनदेखा नहीं किया जाएगा
अमेरिका राष्ट्रपति ने कहा, 'ये देश कभी प्राचीन सिल्क रूट का हिस्सा थे, जो पूर्व और पश्चिम को जोड़ता था। लेकिन अफसोस, पहले के अमेरिकी राष्ट्रपति इस क्षेत्र को नजरअंदाज करते रहे। मैं इसकी अहमियत समझता हूं, हालांकि बहुत से लोग नहीं समझते।' इस बैठक के बाद हुए डिनर में ट्रंप ने सभी नेताओं को बोलने का मौका दिया। सभी ने अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक और सुरक्षा सहयोग का स्वागत किया। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने कहा, 'हमारे देश में अत्यंत समृद्ध खनिज संसाधन हैं। लेकिन हम एक कठिन भू-राजनीतिक इलाके में हैं- रूस और चीन के बीच। इसलिए अमेरिका के साथ करीबी सहयोग हमारे लिए बेहद अहम है।'
संसाधनों से भरपूर लेकिन निवेश की कमी
मध्य एशिया में दुर्लभ खनिजों और यूरेनियम के बड़े भंडार हैं। ये देश दुनिया के करीब आधे यूरेनियम का उत्पादन करते हैं, जो परमाणु ऊर्जा के लिए जरूरी है। मगर क्षेत्र को अभी भी निवेश और तकनीकी सहायता की सख्त जरूरत है। 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, उदाहरण के तौर पर, कजाखस्तान ने चीन को 3.07 अरब डॉलर और रूस को 1.8 अरब डॉलर के खनिज बेचे, जबकि अमेरिका को सिर्फ 54.4 करोड़ डॉलर के निर्यात किए।
अमेरिकी संसद में पहल
इस बैठक से ठीक एक दिन पहले अमेरिकी सीनेटरों ने एक विधेयक पेश किया, जिसके जरिए सोवियत काल के पुराने व्यापार प्रतिबंधों को हटाने का प्रस्ताव है। इन प्रतिबंधों के कारण अब तक अमेरिकी निवेश इन देशों में सीमित रहा है। सीनेटर जिम रिच ने कहा, 'अब भी देर नहीं हुई है। हमें इन देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए ताकि वे रूस और चीन के प्रभाव से मुक्त होकर अपनी दिशा खुद तय कर सकें।'
'सी5+1' का नया अध्याय
यह समूह, 'सी5+1'- 10 साल पहले बना था, जिसका मकसद था अमेरिका और मध्य एशिया के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को बढ़ाना। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा, 'अक्सर हम संकटों में इतने उलझे रहते हैं कि अवसरों पर ध्यान नहीं दे पाते। लेकिन यहां एक नया मौका है, ऐसा मौका जिसमें हमारे राष्ट्रीय हित एक-दूसरे से मेल खाते हैं।'
यह भी पढ़ें - Donald Trump: 'पीएम मोदी से चल रही अच्छी बात, जल्द करूंगा भारत का दौरा'; अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा एलान
व्हाइट हाउस का भरोसा
ट्रंप के विशेष दूत सर्जियो गोर ने बताया कि राष्ट्रपति ने इन देशों को व्हाइट हाउस से सीधा संवाद का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा, 'अमेरिका इस क्षेत्र को वह ध्यान देगा, जिसका यह लंबे समय से हकदार है।' इस बैठक को अमेरिका की एशिया नीति में एक नए मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है, जहां वॉशिंगटन न केवल चीन के प्रभाव को संतुलित करना चाहता है, बल्कि मध्य एशिया को एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभारने की कोशिश भी कर रहा है।
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चीन से तनाव, अब नई रणनीति
हाल के महीनों में चीन और अमेरिका के बीच इन खनिजों को लेकर खींचतान बढ़ गई थी। पिछले महीने बीजिंग ने इन धातुओं के निर्यात पर नई पाबंदियां लगाईं थीं। हालांकि, दक्षिण कोरिया में ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद चीन ने फिलहाल एक साल के लिए इन प्रतिबंधों को टालने का फैसला किया। इसके बावजूद, वॉशिंगटन अब ऐसे विकल्प तलाश रहा है जिससे वह चीन पर निर्भर हुए बिना इन जरूरी धातुओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर सके।
ट्रंप बोले- इस क्षेत्र को अब अनदेखा नहीं किया जाएगा
अमेरिका राष्ट्रपति ने कहा, 'ये देश कभी प्राचीन सिल्क रूट का हिस्सा थे, जो पूर्व और पश्चिम को जोड़ता था। लेकिन अफसोस, पहले के अमेरिकी राष्ट्रपति इस क्षेत्र को नजरअंदाज करते रहे। मैं इसकी अहमियत समझता हूं, हालांकि बहुत से लोग नहीं समझते।' इस बैठक के बाद हुए डिनर में ट्रंप ने सभी नेताओं को बोलने का मौका दिया। सभी ने अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक और सुरक्षा सहयोग का स्वागत किया। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने कहा, 'हमारे देश में अत्यंत समृद्ध खनिज संसाधन हैं। लेकिन हम एक कठिन भू-राजनीतिक इलाके में हैं- रूस और चीन के बीच। इसलिए अमेरिका के साथ करीबी सहयोग हमारे लिए बेहद अहम है।'
संसाधनों से भरपूर लेकिन निवेश की कमी
मध्य एशिया में दुर्लभ खनिजों और यूरेनियम के बड़े भंडार हैं। ये देश दुनिया के करीब आधे यूरेनियम का उत्पादन करते हैं, जो परमाणु ऊर्जा के लिए जरूरी है। मगर क्षेत्र को अभी भी निवेश और तकनीकी सहायता की सख्त जरूरत है। 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, उदाहरण के तौर पर, कजाखस्तान ने चीन को 3.07 अरब डॉलर और रूस को 1.8 अरब डॉलर के खनिज बेचे, जबकि अमेरिका को सिर्फ 54.4 करोड़ डॉलर के निर्यात किए।
अमेरिकी संसद में पहल
इस बैठक से ठीक एक दिन पहले अमेरिकी सीनेटरों ने एक विधेयक पेश किया, जिसके जरिए सोवियत काल के पुराने व्यापार प्रतिबंधों को हटाने का प्रस्ताव है। इन प्रतिबंधों के कारण अब तक अमेरिकी निवेश इन देशों में सीमित रहा है। सीनेटर जिम रिच ने कहा, 'अब भी देर नहीं हुई है। हमें इन देशों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए ताकि वे रूस और चीन के प्रभाव से मुक्त होकर अपनी दिशा खुद तय कर सकें।'
'सी5+1' का नया अध्याय
यह समूह, 'सी5+1'- 10 साल पहले बना था, जिसका मकसद था अमेरिका और मध्य एशिया के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को बढ़ाना। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा, 'अक्सर हम संकटों में इतने उलझे रहते हैं कि अवसरों पर ध्यान नहीं दे पाते। लेकिन यहां एक नया मौका है, ऐसा मौका जिसमें हमारे राष्ट्रीय हित एक-दूसरे से मेल खाते हैं।'
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व्हाइट हाउस का भरोसा
ट्रंप के विशेष दूत सर्जियो गोर ने बताया कि राष्ट्रपति ने इन देशों को व्हाइट हाउस से सीधा संवाद का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा, 'अमेरिका इस क्षेत्र को वह ध्यान देगा, जिसका यह लंबे समय से हकदार है।' इस बैठक को अमेरिका की एशिया नीति में एक नए मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है, जहां वॉशिंगटन न केवल चीन के प्रभाव को संतुलित करना चाहता है, बल्कि मध्य एशिया को एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में उभारने की कोशिश भी कर रहा है।