US-Turkiye Deal : पाकिस्तान के दोस्त तुर्किये को अमेरिका देगा 53 एयर-टू-एयर मिसाइल; 225 मिलियन डॉलर में डील
अमेरिका ने तुर्किये के साथ एक महत्वपूर्ण हथियारों का समझौता किया है। इस समझौते के तहत अमेरिका तुर्किये को 52 एयर-टू-एयर मिसाइल देगा। गौरतलब है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष में तुर्किये ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था। जिसको लेकर भारत में तुर्किये के प्रति भारी नाराजगी है।


विस्तार
आतंक के पनाहगाह पाकिस्तान के समर्थक तुर्किये को अब अमेरिका हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल देगा। तुर्किये और अमेरिका के बीच मिसाइल बेचने का समझौता भी हो गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इस डील के बारे में जानकारी दी है। इस बयान में कहा गया है कि यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने तुर्की गणराज्य को AIM-120C-8 उन्नत श्रेणी की मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की संभावित विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दी है। इस सौदे की अनुमानित लागत 225 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, इसके सौदे में 53 AIM-120C-8 उन्नत श्रेणी की मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और 6 गाइडेंस सेक्शन शामिल हैं।
अपने बयान में अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि यह प्रस्तावित बिक्री नाटो में अपसी सहयोग का हिस्सा है। यह उसके सहयोगी तुर्किये की सुरक्षा में सुधार करके और यूएस विदेश नीति के लक्ष्यों और राष्ट्रीय सुरक्षा का समर्थन करेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि यह समझौता तुर्किये को अपनी रक्षा और वहां तैनात अमेरिकी कर्मियों की रक्षा के लिए क्षमता प्रदान करेगा। अमेरिकी विदेश विभाग ने यह भी कहा है कि इस मिसाइल समझौते से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा।
भारत से संघर्ष में तुर्किये ने किया पाकिस्तान का समर्थन
गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला किया। तो तुर्किये ने ही पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई के लिए ड्रोन्स मुहैया कराए थे। इतना ही नहीं तुर्किये ने पाकिस्तान को न सिर्फ ड्रोन्स दिए, बल्कि उन ड्रोन्स के संचालक भी उपलब्ध कराए। इस तरह कह सकते हैं कि तुर्किये ने पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत पर हमले की नाकाम कोशिश की। विश्लेषकों की मानें तो तुर्किये इस्लामिक सहयोग संगठन या ओआईसी में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। 57 सदस्यीय ब्लॉक में सऊदी अरब और ईरान का वर्चस्व है और तुर्किये एक इस्लामी राष्ट्र के समर्थन के नाम पर अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहता है। राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के शासनकाल में तुर्किये में इस्लामी प्रभाव बढ़ा है और एर्दोगन पाकिस्तान के समर्थन में शुरू से ही रहे हैं। कश्मीर मुद्दे पर भी एर्दोआन ने पाकिस्तान का पक्ष लिया है।
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तुर्किये और अजरबैजान के खिलाफ भारी नाराजगी
भारत में तुर्किये और अजरबैजान के खिलाफ भारी नाराजगी देखी गई है। 7 मई के बाद से सोशल मीडिया पर लगातार बॉयकॉट तुर्किये और बॉयकॉट अजरबैजान जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। सोशल मीडिया में चलने वाले इस अभियान में आम लोगों के साथ-साथ अब पर्यटन सेवाओं से जुड़ी भारतीय कंपनियां भी शामिल हो गई हैं।
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भारतीयों के बॉयकॉट के डर से तुर्किये को जारी करनी पड़ी अपील
भारतीय पर्यटकों के बॉयकॉट के डर से बीच तुर्किये पर्यटन विभाग को अपील जारी करनी पड़ी है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इससे जुड़ा नोटिस अपने एक्स प्लेटफॉर्म पर साझा भी किया। तुर्किये ने कहा है, "स्थानीय आबादी को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष की जानकारी नहीं है और यहां के पर्यटन के माहौल पर इसका कोई असर नहीं है। भारतीय पर्यटकों का यहां स्वागत और उन्हें तुर्किये के होटलों, रेस्तरां, दुकानों और पर्यटन केंद्रों में पूरा सम्मान दिया जा रहा है। इसलिए हम पुष्टि करते हैं कि मौजूदा स्थिति के बीच तुर्किये का दौरा रद्द करने या टालने की कोई वजह नहीं है। सभी यात्राएं योजनाओं के आधार पर जारी रखें। भारतीय मेहमानों के लिए तुर्किये में कोई प्रतिबंध या सुरक्षा का मुद्दा नहीं है।"
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