Nepal: हिंसा कभी मकसद नहीं था...अब युवा करेंगे नए नेपाल का निर्माण; जेन-जी की ताकत ठीक से नहीं समझ सकी सरकार
नई सुबह : जेन-जी ने लिया संकल्प-नुकसान वाली जगहों पर श्रमदान करेंगे, नए भवन बनाने में करेंगे मदद...राजनीति में आने के सवाल पर बोले-नेपाल की बेहतरी के लिए था आंदोलन, ध्यान उसी पर

विस्तार
नेपाल में अंतरिम सरकार बनने के अगले दिन शनिवार को जेन-जी के कई समूहों का नेपाल रिपोर्टर्स क्लब के बाहर जमावड़ा था। युवाओं की अच्छी खासी भीड़ थी। इसी बीच, स्थानीय युवाओं में टिकटॉक के स्टार के तौर पर पहचाने जाने वाले प्रदीप भटराई मिलते हैं। मुस्कुराते हुए कहते हैं कि वेलकम टू न्यू नेपाल। इसके बाद रिपोर्टर्स क्लब के अंदर प्रेस वार्ता शुरू होती है, तो जोश भरे नारे लगते हैं। एक युवा शौर्य गीत गाता है, तो आंदोलन के दौरान मारे गए साथियों को नमन भी किया जाता है।

युवा समाजसेवी केपी खनाल भी शुरुआती दौर से जेन-जी का हिस्सा रहे। उन्होंने मंच पर आकर कहा कि आंदोलन नेपाल की बेहतरी के लिए था। एक नए नेपाल के लिए। हिंसा करना किसी का मकसद नहीं था। उन्होंने हिंसा के दौरान हुए नुकसान पर प्रायश्चित भी किया। इसके बाद जारी प्रेसनोट में कहा गया कि जेन-जी अब देश को फिर से खड़ा करने में मदद करेंगे। जहां-जहां नुकसान हुआ है, वहां पर उनकी टीमें जाएंगी और श्रमदान करेंगी। नए भवन बनाने में मदद करेंगे और साफ-सफाई भी करेंगे। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि व्हाट्सएप नंबर के सहारे उनकी टीमें लोगों की मदद के लिए उपलब्ध रहेंगी और नए नेपाल का निर्माण करेंगे। बबलू यादव ने कहा कि जेन जी एक युवा और नए देश का निर्माण करेंगे।
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पहली बार ग्रुप एकसाथ सामने आए
जेन-जी की टीमों के कुछ चेहरे तो अभी तक दिखाई दिए थे, लेकिन पहली बार कई ग्रुप एकसाथ आए। इतना ही नहीं, आसपास के इलाकों के कई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर इस दौरान इकट्ठा हुए। सक्षम कार्मी की उम्र 26 साल है, लेकिन वह जेन-जी आंदोलन में इसलिए शामिल हैं ताकि नेपाल विकसित देश बन सके। प्रेसवार्ता में जेन-जी ने दस साल में विकसित राष्ट्र बनाने की बात कही। राजनीति में किस तरह से आएंगे या फिर बाहर रहकर ही सेवा करेंगे, इस पर ज्यादातर ने मुस्कुराकर टाल दिया और कहा कि अभी नेपाल की बेहतरी पहले है।

नाराजगी तो थी ही, नेपो किड्स ने भी उकसाया
जेन-जी के कई युवाओं का कहना था कि भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ गुस्सा तो पहले से ही था, लेकिन नेपो किड्स ने भी उकसाने का काम किया। जब लोग नेपो किड्स की सोशल मीडिया पर दिखाई गई शानो-शौकत पर कमेंट करते, तो उनमें से भी कई जवाबी कमेंट किया करते थे। एक नेपो किड का नाम तो नहीं लिया गया, लेकिन बताया गया कि उसने लिखा कि जब उनके जेन-जी के माता-पिता कमा नहीं सकते, तो दूसरों से क्यों चिढ़ा जाए। हालांकि जेन-जी का कहना है कि उनके पास लंबी वजहें थीं, सामने भी आईं लेकिन अब आगे की बात करनी है।
जेन-जी की ताकत ठीक से नहीं समझ सकी सरकार
नेपाल के योजना आयोग की सदस्य डॉ रीना यादव का कहना है कि सरकार को इसे सामान्य आंदोलन नहीं समझना चाहिए था। पिछले दिनों गन्ना किसानों और शिक्षकों का आंदोलन हुआ था। दोनों आंदोलनों में अंतर था। इसे गृहमंत्री को खुद देखना चाहिए था। बेहतर है कि संविधान बच गया है। अब नई सरकार पर जिम्मेदारी है कि देश को आगे ले जाएं। भ्रष्टाचार और नेपो किड्स के जो मुद्दे जेन- जी ने उठाए थे, उनकी जांच अब की जानी चाहिए।
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कार्की से बड़ी उम्मीदें
यह तस्वीर शुक्रवार देर रात की है। सुशीला कार्की जब देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, तो जेन-जी के नेता सुदन गुरुंग ने उनका स्वागत कुछ इस तरह किया, मानो कह रहे हों कि नेपाल के नवनिर्माण की जिम्मेदारी अब आप पर ही है।
तबाही के निशान देखने संसद भवन के बाहर जुट रहे लोग
जले हुए संसद भवन के बाहर शनिवार को भी युवाओं की भीड़ उमड़ी। सभी जले हुए अवशेष देखने आ रहे हैं। एक बुजुर्ग अर्जुन ने गुस्से से कहा कि यह इमारत एक तरह से भ्रष्ट नेताओं के जमावड़े की गवाह बन गई थी। उनके बच्चों ने वह कर दिखाया, जो वह नहीं कर सके। जब उनसे पूछा गया कि वह क्या करते हैं, तो कहा कि कुछ नहीं। नेपाल में रोजगार पर बात ही कहां की गई।