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G20: भारत में जी20 की सफलता से तिलमिलाया चीन, अमेरिका-पश्चिम देशों पर लगाया अपने एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग Published by: काव्या मिश्रा Updated Sun, 10 Sep 2023 12:12 PM IST
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सार

चीन के एक अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि भारत इस वर्ष के जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आर्थिक सुधार और बहुपक्षीय कूटनीति पर चर्चा कर ध्यान केंद्रित करना चाहता है। हालांकि, यह अमेरिका और पश्चिम देशों के चाहत से अलग है। 

Who is the spoiler of the G20 summit in New Delhi
चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने स्वागत किया। - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले दिन ही दिल्ली डिक्लेरेशन के लिए सभी देशों को मनाकर झंडे गाड़ दिए। रूस-युक्रेन जंग के बीच पश्चिमी देशों और रूस-चीन के दो अलग-अलग धड़ों को किसी बात पर राजी कर पाना आसान नहीं था, लेकिन भारत ने यह करके दिखा दिया। वहीं, ब्रिटेन ने ग्रीन क्लाइमेट फंड को दो अरब डॉलर देने का एलान किया। इस बीच चीन के दैनिक अखबार का एक संपादकीय सामने आया है, जिससे स्पष्ट है कि भारत में जी-20 की सफलता से चीन भड़क उठा है। उसने अमेरिका-पश्चिम देशों पर अपने एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

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भारत से अलग अमेरिका की चाहत

दरअसल, चीन के एक अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि भारत इस वर्ष के जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान आर्थिक सुधार और बहुपक्षीय कूटनीति पर चर्चा कर ध्यान केंद्रित करना चाहता है। हालांकि, यह अमेरिका और पश्चिम देशों के चाहत से अलग है। संपादकीय में उम्मीद जताई कि इस साल नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन व्यवधानों को दूर करेगा और एक सफलता की कहानी बनाएगा। चीन ने अमेरिका और पश्चिम देशों पर अपने स्वयं के एजेंडे को बढ़ावा देने और वैश्विक उत्तर और दक्षिण को विभाजित करने के साथ-साथ पश्चिम और पूर्व के बीच टकराव को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया। 

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उसने निशाना साधते हुए कहा कि अमेरिका और पश्चिम, जो अक्सर दावा करते हैं कि वे भारत के साथ खड़े हैं, ने जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के बीच मतभेदों को प्रचारित करने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। वे आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख विश्व मंच पर अपने एजेंडे को बढ़ावा देना चाहते हैं।


भारत के लिए ये मुद्दे महत्वपूर्ण

अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा कि भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए छह मुद्दों को प्राथमिकता दी है। इनमें हरित विकास और जलवायु वित्त, समावेशी विकास, डिजिटल अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण में सुधार शामिल हैं। 

चीन के संपादकीय में कहा गया कि इस मुद्दों से साफ है कि भारत आर्थिक सुधार और बहुपक्षीय कूटनीति पर चर्चा पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है, जो हमेशा से जी-20 मंच का मुख्य विषय रहा है। नई दिल्ली ने बार-बार कहा है कि यह मंच भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा का स्थान नहीं है। चीन ने कहा कि उदाहरण के लिए भारत-चीन संघर्ष ले सकते हैं, जिसे अमेरिका और पश्चिम देश बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। जबकि, हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने मीडिया में साफ कहा था कि मैं इसे उस तरह से बिल्कुल नहीं देखूंगा जैसा  दूसरे लोग सुझाएंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर ध्यान

चीन ने कहा कि जहां तक उस मुद्दे का सवाल है जिस पर पश्चिम सबसे अधिक ध्यान दे रहा है, वह है रूस-यूक्रेन युद्ध। जबकि भारत ने इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यूक्रेनी नेता को आमंत्रित नहीं किया। संपादकीय में आगे कहा गया कि हालांकि यह भी वह परिणाम नहीं है, जो अमेरिका और पश्चिम चाहते हैं। 

जी-20 को तोड़ना लक्ष्य

यह लोग जी-20 को तोड़ना चाहते हैं। इन्होंने पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में हुए शिखर सम्मेलन के बाद जी-20 को तोड़ने की इच्छा दिखाई है। इस वर्ष, उन्होंने इसे लेकर अपने प्रयास भी तेज कर दिए हैं। अमेरिका की मीडिया में हाल ही में एक भड़काऊ सवाल पूछा गया कि क्या दुनिया को अभी भी जी-20 की जरूरत है? 

अमेरिका पर सवालों की बौछार
चीन ने कहा कि फिलहाल इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि जी-20, जो साल 2008 के वित्तीय संकट के समय बनाया गया था उसे बरकरार रखा जाए। उसने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन से न केवल विकासशील देशों को, बल्कि अमेरिका और पश्चिम को भी भारी लाभ हुआ है। हालांकि, अब कौन सा देश बार-बार विभिन्न वैश्विक सहयोग तंत्रों से पीछे हट रहा है? ऊंची बाड़ कौन बना रहा है? अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में गुट टकराव को कौन बढ़ावा दे रहा है?  कौन दुनिया भर में समस्याएँ फैला रहा है और सामान्य सहयोग को कमजोर कर रहा है? उन्होंने कहा कि इन कारणों की वजह से जी-20 सहित वैश्विक सहयोग तंत्र प्रभावित हुआ है। 

ड्रैगन और हाथी के बीच मतभेद कराना उद्देश्य

ड्रैगन ने आरोप लगाया कि शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिका ने बेवजह चीन को एक चेतावनी जारी की और उससे जी-20 शिखर सम्मेलन में स्थिति बिगाड़ने वाली भूमिका न निभाने का आग्रह किया। इस संबंध में हम यह कहना चाहेंगे कि अगर हम चीन की अदला-बदली अमेरिका से करें तो ये शब्द बिल्कुल सटीक हैं। अगर अमेरिका दो देशों में लड़ाई बढ़वाना बंद कर दे, तो सही रहेगा। 

चीन के संपादकीय में कहा गया है कि पिछले साल, इंडोनेशिया की जी20 अध्यक्षता के तहत कड़ी मेहनत से प्राप्त परिणाम प्राप्त किए गए थे। हमें उम्मीद है कि इस साल नई दिल्ली में होने वाला जी-20 शिखर सम्मेलन व्यवधानों को दूर करेगा और एक सफलता की कहानी बन जाएगा।


 

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