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Vastu Tips: वास्तु के अनुसार घर बनाने के लिए कैसे करें भूमि का चयन, जानिए जरूरी नियम

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Wed, 03 Dec 2025 12:45 PM IST
सार

वास्तु शास्त्र के अनुसार उस भूमि पर घर बनवाना काफी शुभ और अच्छा होता है, जिसमें किसी भी तरह का कोई वास्तु दोष नहीं होता है।। भूमि में वास्तु दोष होने पर परिवार में लगातार अशांति और तनाव बना रहता है। आइए जानते हैं घर बनवाने से पहले उस भूमि का वास्तु कैसा होना चाहिए। 

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Vastu Tips For Land How to Choose Right Plot for Building a House as per Vastu
भूमि के चयन के लिए वास्तु शास्त्र के नियम - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी घर, भवन या व्यापारिक प्रतिष्ठान के निर्माण से पहले सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है भूमि का सही चयन। ऐसी मान्यता है कि जिस भूमि पर घर बनाया जाए, उसकी ऊर्जा ही आगे चलकर परिवार के स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और सुख-शांति को प्रभावित करती है। प्राचीन वास्तु ग्रंथों में भूमि को जीवित ऊर्जा वाला तत्व माना गया है। इसलिए अगर भूमि शुभ हो, तो घर में स्वतः ही सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है और जीवन में प्रगति के अवसर खुलते जाते हैं। आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार भूमि चयन के प्रमुख नियम।
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भूमि का आकार और दिशा
वास्तु के अनुसार चतुर्भुज या वर्गाकार भूमि सबसे शुभ मानी जाती है। ऐसी भूमि सौभाग्य, स्थिरता और संतुलन का प्रतीक है। आयताकार जमीन भी शुभ है, बशर्ते कि उसकी लंबाई पूर्व-पश्चिम दिशा में हो। इसके विपरीत त्रिकोण, वृत्ताकार, या किसी असामान्य आकार की भूमि को अशुभ माना गया है। ऐसी भूमि परिवार में तनाव, बाधा और आर्थिक अस्थिरता ला सकती है। भूमि की दिशा भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पूर्वमुखी और उत्तरमुखी भूमि को धन और प्रगति प्रदान करने वाली माना गया है। दक्षिणमुखी भूमि से बचना चाहिए, जबकि पश्चिममुखी भूमि सामान्य फल देती है।
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भूमि का ढलान और ऊंच-नीच
वास्तु शास्त्र कहता है कि भूमि पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ढलान वाली हो तो अत्यंत शुभ फल देती है। यह दिशा सूर्य ऊर्जा और कुबेर दिशा मानी जाती है, इसलिए इस ढलान से सुख-समृद्धि बढ़ती है। दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर ढलान वाली भूमि अशुभ मानी जाती है, क्योंकि इन दिशाओं की ओर ढलान से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कम होता है। भूमि का स्तर भी समान होना चाहिए। बहुत ऊंची या बहुत नीची जमीन पर घर बनाना वास्तु दोष पैदा करता है। नीची भूमि में जल भरने की समस्या रहती है, जो आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी बाधा उत्पन्न कर सकती है।

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भूमि की मिट्टी और रंग
वास्तु के अनुसार पीली, हल्की लाल या हल्की काली मिट्टी वाली भूमि शुभ मानी गई है। यह भूमि उर्वरता, ऊर्जा और स्थिरता का संकेत देती है। बहुत अधिक सफेद या गहरे काले रंग की मिट्टी अशुभ मानी गई है। इसके अलावा, भूमि का स्पर्श भी महत्वपूर्ण है। मुलायम और सुगंधित मिट्टी सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होती है, जबकि खुरदरी और दुर्गंधयुक्त मिट्टी नकारात्मक प्रभाव बढ़ाती है।

भूमि का इतिहास और आसपास का वातावरण
भूमि का पूर्व इतिहास भी वास्तु शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। जिस भूमि पर पहले कोई विवाद, बीमारी, शमशान गतिविधि, कारावास या क्रूर घटनाएं हुई हों, उस भूमि पर निर्माण से बचना चाहिए। इस प्रकार की भूमि को अशुभ माना गया है।

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भूमि के आसपास मंदिर, बहता जल स्रोत, बगीचा या खुला स्थान हो तो इसे अत्यंत सकारात्मक माना जाता है। वहीं, कूड़ाघर, कब्रिस्तान, शराब की दुकान, बिजलीघर, या किसी प्रकार की नकारात्मक गतिविधि वाली जगह पास हो तो भूमि के शुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।

भूमि पर ऊर्जा परीक्षण
वास्तु शास्त्र में एक सरल परीक्षण है, भूमि से थोड़ी मिट्टी हाथ में लें और सूंघें। यदि सुगंध हल्की, प्राकृतिक और शीतल लगे, तो भूमि सकारात्मक है। यदि मिट्टी भारी, दुर्गंधयुक्त या चिपचिपी हो, तो यह भूमि नकारात्मक प्रभाव दे सकती है।


 
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