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Fake e-Challan: क्या आपके फोन पर भी आया है ई-चालान का मैसेज? जानें क्लिक करने से पहले क्यों बरतनी है सावधानी?

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Fri, 26 Dec 2025 03:15 PM IST
सार

भारत में वाहन चालकों को निशाना बनाकर ई-चालान के नाम पर एक बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा हुआ है। साइबल रिसर्च एंड इंटेलिजेंस लैब्स (CRIL) की रिपोर्ट के अनुसार, 36 से ज्यादा फर्जी वेबसाइट्स सक्रिय हैं जो लोगों की क्रेडिट और डेबिट कार्ड डिटेल चुरा रही हैं।

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Alert for Drivers: Over 36 Fake e-Challan Websites Running Massive Scam Across India
नकली ई-चालान फ्रॉड (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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भारत में वाहन मालिकों के लिए एक खतरे की घंटी है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर अपराधी ई-चालान के नाम पर एक बड़ा फ्रॉड कैंपेन चला रहे हैं। स्कैमर्स फर्जी वेबसाइटों और फिशिंग लिंक का इस्तेमाल कर लोगों की संवेदनशील वित्तीय जानकारी, खासकर क्रेडिट और डेबिट कार्ड का डाटा चुरा रहे हैं। साइबर सुरक्षा फर्म साइबल रिसर्च एंड इंटेलिजेंस लैब्स (CRIL) की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस तरह के 36 से ज्यादा फर्जी वेबसाइट्स अभी सक्रिय हैं जो भारतीय चालकों को निशाना बना रही हैं।

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कैसे काम करता है यह स्कैम?

यह धोखाधड़ी लोगों के डर और सरकारी सिस्टम पर उनके भरोसे का फायदा उठाती है। इन वेबसाइट्स के जरिए शिकार को एक एसएमएस भेजा जाता है जिसमें दावा किया जाता है कि उनका ट्रैफिक चालान बाकी है। संदेश में अक्सर ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने या कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाती है ताकि व्यक्ति घबराकर तुरंत कदम उठाए। मैसेज में एक शॉर्ट लिंक होता है। इस पर क्लिक करते ही यूजर एक ऐसी वेबसाइट पर पहुंच जाता है जो बिल्कुल असली क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) या ई-चालान पोर्टल जैसी दिखती है। वेबसाइट पर गाड़ी का नंबर डालते ही फर्जी उल्लंघन की जानकारी दिखाई जाती है। आमतौर पर जुर्माने की रकम छोटी रखी जाती है ताकि लोग ज्यादा सोच-विचार किए बिना भुगतान कर दें।

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पेमेंट के नाम पर डाटा चोरी (कार्ड क्लोनिंग का खतरा)

इस स्कैम की सबसे बड़ी पहचान इसका भुगतान तरीका है। असली सरकारी वेबसाइट्स पर यूपीआई और नेट बैंकिंग की सुविधा होती है। लेकिन ये फर्जी पोर्टल्स जानबूझकर केवल क्रेडिट और डेबिट कार्ड से पेमेंट का विकल्प देते हैं। यूजर से कार्ड नंबर, सीवीवी और एक्सपायरी डेट जैसी पूरी जानकारी मांगी जाती है। अगर पेमेंट फेल भी हो जाए तो भी सिस्टम बार-बार कार्ड डिटेल्स डालने को कहता है। इसका मकसद पैसे काटना नहीं, बल्कि आपके कार्ड का डाटा चुराना है ताकि बाद में आपके खाते से बड़ी रकम उड़ाई जा सके।

भरोसा जीतने के लिए 'लोकल' ट्रिक्स

रिपोर्ट में पाया गया है कि लोगों का भरोसा जीतने के लिए स्कैमर्स भारतीय मोबाइल नंबरों से एसएमएस भेज रहे हैं। कुछ लिंक तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) जैसे बड़े बैंकों से जुड़े होने का दिखावा करते हैं, जिससे यह स्कैम और भी असली लगता है। जांच में यह भी सामने आया है कि यही अपराधी नेटवर्क सिर्फ ई-चालान ही नहीं, बल्कि डीटीडीसी और डेल्हीवेरी जैसी कुरियर सेवाओं और एचएसबीसी जैसे बैंकों के नाम पर भी फर्जी वेबसाइट्स चला रहा है।

अपनी सुरक्षा कैसे करें?

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने जनता के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। अनजान नंबर से आए किसी भी मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें, भले ही उसमें भारी जुर्माने की बात कही गई हो। अगर आपको लगता है कि आपका चालान कटा है, तो सीधे सरकार की आधिकारिक वेबसाइट parivahan.gov.in या अपने राज्य की ट्रैफिक पुलिस वेबसाइट पर जाकर चेक करें। अगर कोई वेबसाइट केवल कार्ड से पेमेंट मांग रही है और यूपीआई का विकल्प नहीं है, तो तुरंत सावधान हो जाएं। किसी भी संदिग्ध मैसेज या वेबसाइट की सूचना तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर दें।

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