Car Fuel: पेट्रोल कार में डीजल डाल दिया? जानिए क्या होगा अंजाम और कैसे बचें भारी नुकसान से?
गलत ईंधन भरवाना ड्राइवरों की सबसे आम लेकिन सबसे महंगी गलतियों में से एक है। अगर किसी पेट्रोल कार में गलती से डीजल भर दिया जाए और इंजन स्टार्ट कर दिया जाए, तो इसका असर पूरे फ्यूल सिस्टम पर पड़ता है।
विस्तार
एक ड्राइवर के तौर पर हम सभी से गलतियां होती हैं। सबसे बड़ी गलतियों में से एक है अपनी कार में गलत ईंधन भरवा लेना। अक्सर हम यह काम बिना ज्यादा सोचे-समझे करते हैं क्योंकि हमने इसे हजारों बार किया है। लेकिन कभी-कभी, अगर आप किसी दोस्त की कार चला रहे हैं या किराए की कार में हैं तो पेट्रोल और डीजल पंप के बीच कंफ्यूजन होना आम बात है। चाहे गलती कैसे भी हुई हो अगर आपने अपनी पेट्रोल कार में डीजल डाल दिया है, तो आपको पता होना चाहिए कि आगे क्या करना है। इसके परिणाम काफी गंभीर और महंगे हो सकते हैं। अगर आपको कार स्टार्ट करने से पहले ही अपनी गलती का एहसास हो गया है तो कार को स्टार्ट बिल्कुल न करें।
पेट्रोल कार में डीजल डालने से इंजन को क्या नुकसान होता है?
इसके लिए हमें सबसे पहले पेट्रोल और डीजल के बीच का अंतर समझना होगा। डीजल, पेट्रोल की तुलना में ज्यादा गाढ़ा होता है और यही सारी समस्याओं की जड़ है। अगर आपने टैंक में डीजल भर दिया और कार स्टार्ट करने की कोशिश की, तो आपका फ्यूल सिस्टम उस गाढ़े ईंधन को खींचकर सीधा इंजेक्टर में भेज देगा। पेट्रोल इंजन बहुत ही पतले ईंधन के लिए बना होता है इसलिए डीजल वहां जाकर नली और इंजेक्टर को ब्लॉक कर देगा। डीजल के कारण आपके स्पार्क प्लग और फ्यूल पंप भी खराब हो सकते हैं। अगर इंजन स्टार्ट हो भी गया तो डीजल आपके 'कैटेलिटिक कन्वर्टर' को डैमेज कर सकता है जो गाड़ी के धुएं को कंट्रोल करता है। इससे नतीजा ये होगा कि आपको नए इंजेक्टर, स्पार्क प्लग, फ्यूल पंप और शायद नया कैटेलिटिक कन्वर्टर लगवाना पड़ सकता है। इसके अलावा पूरे सिस्टम से डीजल को साफ करना एक महंगा काम है।
पंप पर इस गलती से कैसे बचा जा सकता है?
पेट्रोल पंप और कार निर्माता इस गलती को रोकने के लिए कई उपाय करते हैं। डीजल पंप का नोजल अक्सर पेट्रोल पंप के नोजल से चौड़ा होता है। इसलिए पेट्रोल कार के छोटे टैंक मुंह में डीजल का नोजल आसानी से फिट नहीं होता। अगर आपको नोजल डालने में जोर लगाना पड़ रहा है तो समझ जाएं कि कुछ गड़बड़ है। डीजल पंप अक्सर हरे रंग के होते हैं और उन पर स्पष्ट रूप से 'डीजल' लिखा होता है। पेट्रोल की गंध पेंट थिनर जैसी होती है, जबकि डीजल से मिट्टी के तेल जैसी महक आती है। अगर तेल भराते समय अजीब गंध आए तो तुरंत रुक जाना चाहिए। अगर आप अक्सर भूल जाते हैं तो अपनी कार के फ्यूल कैप के अंदर एक चमकीले रंग का 'PETROL ONLY' स्टिकर लगा लें। साथ ही पेट्रोल भरवाते समय जल्दबाजी न करें।
कितना भारी पड़ेगा यह नुकसान?
इस गलती को सुधारने का खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कार स्टार्ट की या नहीं।
केस 1: अगर आपको तुरंत गलती का एहसास हो गया और आपने चाबी नहीं घुमाई, तो आपका इंजन सुरक्षित है। आपको बस अपनी कार उठवाकर वर्कशॉप ले जाना होगा। वहां फ्यूल टैंक को खाली किया जाएगा और साफ किया जाएगा। इसमें टोइंग और सफाई का खर्च आएगा जो अपेक्षाकृत कम होगा।
केस 2: अगर आपने गाड़ी चला दी तो डीजल पूरे सिस्टम में फैल चुका होगा। टोइंग और ड्रेनिंग के अलावा आपको फ्यूल पंप, इंजेक्टर, फ्यूल फिल्टर और कैटेलिटिक कन्वर्टर बदलने पड़ सकते हैं। इसका खर्च हजारों या लाखों रुपये तक जा सकता है।
क्या डीजल कार में पेट्रोल डालना भी उतना ही खतरनाक है?
डीजल इंजन मजबूत होते हैं लेकिन गलत ईंधन उन्हें भी बर्बाद कर सकता है। पेट्रोल, डीजल इंजन के लुब्रिकेशन को खत्म कर देता है जिससे मेटल के पार्ट्स आपस में रगड़ खाने लगते हैं। अगर आप डीजल गाड़ी में पेट्रोल डालकर चलाते हैं तो इंजन में से अजीब आवाज आएगी। इंजन काला धुआं छोड़ेगा और रफ चलेगा।