{"_id":"6863967ec2aee19e66072034","slug":"automakers-raise-alarm-over-heavy-penalties-under-india-s-overly-aggressive-emission-norms-2025-07-01","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Carbon Emission: कार्बन उत्सर्जन को लेकर सरकार की सख्ती पर ऑटो कंपनियों की नाराजगी, अरबों के जुर्माने का डर","category":{"title":"Automobiles","title_hn":"ऑटो-वर्ल्ड","slug":"automobiles"}}
Carbon Emission: कार्बन उत्सर्जन को लेकर सरकार की सख्ती पर ऑटो कंपनियों की नाराजगी, अरबों के जुर्माने का डर
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Tue, 01 Jul 2025 01:34 PM IST
विज्ञापन
सार
भारत सरकार ने 2027 से कारों के कार्बन उत्सर्जन को एक तिहाई तक घटाने की योजना बनाई है। ये पहले के लक्ष्य से दोगुना तेज है। इस कदम को लेकर देश की प्रमुख ऑटो कंपनियां चिंतित हैं और इसे "बहुत आक्रामक" बताया है।

Delhi Traffic
- फोटो : PTI
विज्ञापन
विस्तार
भारत सरकार ने 2027 से कारों के कार्बन उत्सर्जन को एक तिहाई तक घटाने की योजना बनाई है। ये पहले के लक्ष्य से दोगुना तेज है। इस कदम को लेकर देश की प्रमुख ऑटो कंपनियां चिंतित हैं और इसे "बहुत आक्रामक" बताया है। उनके अनुसार, अगर इसे लागू किया गया तो इंडस्ट्री का टिकाऊ विकास खतरे में पड़ सकता है।
SIAM ने जताई चिंता
भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ (SIAM) ने सरकार को एक नोट भेजा है जिसमें चेतावनी दी गई है कि अगर प्रस्तावित नियम लागू हुए तो इंडस्ट्री को अरबों रुपये के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है और भविष्य के निवेश भी रुक सकते हैं। यह सुझाव देश की कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) नॉर्म्स के तीसरे चरण को लेकर हो रही बातचीत का हिस्सा है। यह नियम 2017 में शुरू किए गए थे ताकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाया जा सके और तेल पर निर्भरता कम की जा सके।
यह भी पढ़ें - DCT SUV: मैनुअल गियर वाली कारों से हो गई है थकान? ये हैं DCT गियरबॉक्स वाली कुछ बेहतरीन कॉम्पैक्ट एसयूवी

Trending Videos
SIAM ने जताई चिंता
भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता संघ (SIAM) ने सरकार को एक नोट भेजा है जिसमें चेतावनी दी गई है कि अगर प्रस्तावित नियम लागू हुए तो इंडस्ट्री को अरबों रुपये के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है और भविष्य के निवेश भी रुक सकते हैं। यह सुझाव देश की कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) नॉर्म्स के तीसरे चरण को लेकर हो रही बातचीत का हिस्सा है। यह नियम 2017 में शुरू किए गए थे ताकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाया जा सके और तेल पर निर्भरता कम की जा सके।
विज्ञापन
विज्ञापन
यह भी पढ़ें - DCT SUV: मैनुअल गियर वाली कारों से हो गई है थकान? ये हैं DCT गियरबॉक्स वाली कुछ बेहतरीन कॉम्पैक्ट एसयूवी
2 जुलाई को सरकार से होगी बैठक
खबरों के मुताबिक, 2 जुलाई को दिल्ली में एक अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें ऑटो कंपनियां सीधे परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने अपना पक्ष रखेंगी। हालांकि, बिजली मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय और SIAM ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यह भी पढ़ें - EV: ईवी चार्जिंग व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में यूपी एक कदम आगे, यह काम करने वाला बना देश का पहला राज्य
छोटी-बड़ी कारों के लिए अलग नियम बनाने पर भी विरोध
सरकार का प्रस्ताव है कि हल्की और छोटी कारों के लिए अलग मानक हों और भारी गाड़ियों के लिए अलग। लेकिन कंपनियां इसका भी विरोध कर रही हैं। इस तरह के नियम से मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है। जो छोटी कारों के बाजार में मजबूत स्थिति रखती हैं और सीएनजी व हाइब्रिड तकनीक में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं।
फिर भी SIAM का कहना है कि इंडस्ट्री एकजुट होकर इसका विरोध करेगी। क्योंकि इससे नीति में असंतुलन आ सकता है और कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ मिल सकता है।
यह भी पढ़ें - Apple CarPlay Ultra: मर्सिडीज, ऑडी और वोल्वो ने एपल कारप्ले अल्ट्रा को अपनाने से किया इनकार, जानें वजह
खबरों के मुताबिक, 2 जुलाई को दिल्ली में एक अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें ऑटो कंपनियां सीधे परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने अपना पक्ष रखेंगी। हालांकि, बिजली मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय और SIAM ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यह भी पढ़ें - EV: ईवी चार्जिंग व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में यूपी एक कदम आगे, यह काम करने वाला बना देश का पहला राज्य
छोटी-बड़ी कारों के लिए अलग नियम बनाने पर भी विरोध
सरकार का प्रस्ताव है कि हल्की और छोटी कारों के लिए अलग मानक हों और भारी गाड़ियों के लिए अलग। लेकिन कंपनियां इसका भी विरोध कर रही हैं। इस तरह के नियम से मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है। जो छोटी कारों के बाजार में मजबूत स्थिति रखती हैं और सीएनजी व हाइब्रिड तकनीक में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं।
फिर भी SIAM का कहना है कि इंडस्ट्री एकजुट होकर इसका विरोध करेगी। क्योंकि इससे नीति में असंतुलन आ सकता है और कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ मिल सकता है।
यह भी पढ़ें - Apple CarPlay Ultra: मर्सिडीज, ऑडी और वोल्वो ने एपल कारप्ले अल्ट्रा को अपनाने से किया इनकार, जानें वजह
हाइब्रिड, गैस और एथनॉल गाड़ियों को ईवी जैसे प्रोत्साहन की मांग
मारुति और टोयोटा किरलोस्कर जैसे ब्रांड मिलकर यह मांग कर रहे हैं कि हाइब्रिड, एथनॉल मिश्रित ईंधन और गैस से चलने वाली गाड़ियों को भी वैसा ही एमिशन क्रेडिट मिलना चाहिए जैसा इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलता है।
2040 तक पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की बिक्री बंद करने का प्रस्ताव भी सवालों के घेरे में
सरकार की यह भी योजना है कि 2040 तक पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए। लेकिन SIAM का मानना है कि यह कड़ा कदम निवेश के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्होंने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी 2035 तक पेट्रोल-डीजल पर बैन को लेकर फिर से विचार किया जा रहा है। जबकि वहां ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर भारत से कहीं बेहतर है।
यह भी पढ़ें - EV: टैक्स बिल को लेकर एलन मस्क का ट्रंप पर गुस्सा, ईवी टैक्स क्रेडिट खत्म करने के प्रस्ताव पर भड़के मस्क
मारुति और टोयोटा किरलोस्कर जैसे ब्रांड मिलकर यह मांग कर रहे हैं कि हाइब्रिड, एथनॉल मिश्रित ईंधन और गैस से चलने वाली गाड़ियों को भी वैसा ही एमिशन क्रेडिट मिलना चाहिए जैसा इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलता है।
2040 तक पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की बिक्री बंद करने का प्रस्ताव भी सवालों के घेरे में
सरकार की यह भी योजना है कि 2040 तक पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए। लेकिन SIAM का मानना है कि यह कड़ा कदम निवेश के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्होंने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी 2035 तक पेट्रोल-डीजल पर बैन को लेकर फिर से विचार किया जा रहा है। जबकि वहां ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर भारत से कहीं बेहतर है।
यह भी पढ़ें - EV: टैक्स बिल को लेकर एलन मस्क का ट्रंप पर गुस्सा, ईवी टैक्स क्रेडिट खत्म करने के प्रस्ताव पर भड़के मस्क
भारत की क्लीन व्हीकल नीति की दिशा
सरकार और इंडस्ट्री के बीच चल रही इस चर्चा का असर आने वाले वर्षों की ग्रीन मोबिलिटी नीति पर पड़ेगा। भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटना है, लेकिन साथ ही 140 करोड़ लोगों की आर्थिक स्थिति और वाहन की सुलभता का भी ध्यान रखना होगा।
यह भी पढ़ें - Rare Earths: चीनी मंजूरी का इंतजार कर रहा भारतीय ऑटो इंडस्ट्री का प्रतिनिधिमंडल, चीन यात्रा के लिए अब तक नहीं हो सका रवाना
सरकार और इंडस्ट्री के बीच चल रही इस चर्चा का असर आने वाले वर्षों की ग्रीन मोबिलिटी नीति पर पड़ेगा। भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटना है, लेकिन साथ ही 140 करोड़ लोगों की आर्थिक स्थिति और वाहन की सुलभता का भी ध्यान रखना होगा।
यह भी पढ़ें - Rare Earths: चीनी मंजूरी का इंतजार कर रहा भारतीय ऑटो इंडस्ट्री का प्रतिनिधिमंडल, चीन यात्रा के लिए अब तक नहीं हो सका रवाना
यह भी पढ़ें - Second Hand Cars: क्या पुरानी कार खरीदना बहुत रिस्की है? नए खरीदारों ने क्यों कहा 'ना', रिपोर्ट से खुलासा
SIAM के सुझावों की झलक
यह भी पढ़ें - 2025 Suzuki Alto: 2025 सुजुकी ऑल्टो लॉन्च, 28 Kmpl का माइलेज, दमदार सेफ्टी फीचर्स
- सरकार के प्रस्तावित फ्यूल इकोनॉमी मापने के तरीके से असल सुधार दिखने की बजाय कागज पर उत्सर्जन ज्यादा दिख सकता है।
- 33% की बजाय 15% तक उत्सर्जन कटौती का ज्यादा व्यावहारिक प्रस्ताव रखा गया है।
- E20 (20% एथनॉल मिश्रित ईंधन) से चलने वाले वाहनों के लिए 14.3% कटौती का प्रस्ताव है।
- बायोगैस से चलने वाली गाड़ियों के लिए भी इसी तरह की छूट की मांग की गई है।
- कार्बन ट्रेडिंग सिस्टम बनाने का सुझाव दिया गया है, जिसमें जो कंपनियां अपने लक्ष्यों से बेहतर प्रदर्शन करेंगी, वो अतिरिक्त क्रेडिट बेच सकेंगी।
यह भी पढ़ें - 2025 Suzuki Alto: 2025 सुजुकी ऑल्टो लॉन्च, 28 Kmpl का माइलेज, दमदार सेफ्टी फीचर्स