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E20 Fuel: पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा- 'E20 पेट्रोल से नहीं घटती माइलेज, इंजन परफॉर्मेंस भी होती है बेहतर'
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Tue, 05 Aug 2025 02:14 PM IST
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सार
E20 Petrol: पेट्रोलियम मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उन दावों को खारिज किया है जिनमें कहा जा रहा है कि E20 पेट्रोल से गाड़ियों की माइलेज में भारी गिरावट आती है। मंत्रालय ने कहा, यह दावा तथ्यहीन और वैज्ञानिक आधार से रहित है।

पेट्रोल पंप
- फोटो : AdobeStock
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विस्तार
देशभर में E20 पेट्रोल को लेकर मचे शोर पर अब पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर चल रहे उन दावों को झूठा और भ्रामक बताया है, जिनमें कहा गया था कि 20% एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) से वाहनों की माइलेज में जबरदस्त गिरावट आ रही है।
मंत्रालय ने कहा है कि एथनॉल की एनर्जी डेंसिटी भले ही पेट्रोल से कम हो, लेकिन इससे माइलेज में गिरावट सिर्फ 1-2% (E10-E20 ट्यून किए गए वाहनों में) होती है, जबकि अन्य सामान्य वाहनों में भी यह कमी 3-6% के बीच सीमित रहती है। यह कमी भी बेहतर इंजन ट्यूनिंग और E20-कम्पैटिबल पुर्जों के उपयोग से और भी कम की जा सकती है।
SIAM ने भी दी पुष्टि
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने भी पुष्टि की है कि अप्रैल 2023 से ही बाजार में E20-रेडी वाहन उपलब्ध हैं जिनमें खासतौर पर अपग्रेडेड पार्ट्स लगे होते हैं, जो ईंधन मिश्रण को आसानी से संभाल सकते हैं।
यह भी पढ़ें: भारत में धीमी है इलेक्ट्रिक वाहनों की रफ्तार, 2030 तक 30% EV लक्ष्य को हासिल करना बड़ी चुनौती
क्या पुरानी गाड़ियों पर असर पड़ेगा?
मंत्रालय ने कहा कि पुराने वाहनों में कुछ रबर पार्ट्स या गास्केट्स को 20,000-30,000 किलोमीटर के बाद बदला जा सकता है, लेकिन यह सामान्य सर्विसिंग का हिस्सा है और बेहद सस्ते होते हैं।
E20 पेट्रोल के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स (AIS) के तहत सेफ्टी स्टैंडर्ड्स तय किए जा चुके हैं, जिससे किसी तरह के मैटेरियल करप्शन की चिंता भी बेमानी है।
पर्यावरण के लिए फायदेमंद है एथनॉल
मंत्रालय ने बताया कि एथनॉल न केवल नवीकरणीय ईंधन है बल्कि इससे CO₂ उत्सर्जन में भी भारी कमी आती है। नीति आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक, गन्ना आधारित एथनॉल से 65% और मक्का आधारित एथनॉल से 50% कम ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं। अब भारत में एथनॉल केवल गन्ने से नहीं, बल्कि अनुपयोगी चावल, मक्का, खराब अनाज और कृषि अपशिष्ट से भी तैयार किया जा रहा है।
इंजन परफॉर्मेंस में भी सुधार
एथनॉल का ऑक्टेन नंबर (108.5) पेट्रोल (84.4) से अधिक होता है, जिससे इंजन की पावर और राइड क्वालिटी बेहतर होती है। साथ ही, एथनॉल की हाई हीट ऑफ वेपोराइजेशन इंजन में एयर-फ्यूल मिक्सचर की डेंसिटी बढ़ाती है, जिससे प्रदर्शन और एफिशिएंसी में इजाफा होता है।
यह भी पढ़ें: हीरो ने बंद की अपनी सबसे प्रीमियम बाइक Mavrick 440, लॉन्च के 18 महीने बाद ही अलविदा
देश की अर्थव्यवस्था को लाभ
मंत्रालय के अनुसार, एथनॉल ब्लेंडिंग से भारत ने 2014-15 से अब तक 1.40 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की है। साथ ही, किसानों को 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हुआ है, जिससे ग्रामीण आय और रोजगार को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा, 700 लाख टन CO₂ उत्सर्जन में भी कमी आई है।
E20 पेट्रोल को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पूरी तरह से तथ्यहीन हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह फ्यूल न केवल सुरक्षित और प्रभावी है, बल्कि इंजन परफॉर्मेंस, पर्यावरण और देश की अर्थव्यवस्था तीनों के लिए फायदेमंद है।

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मंत्रालय ने कहा है कि एथनॉल की एनर्जी डेंसिटी भले ही पेट्रोल से कम हो, लेकिन इससे माइलेज में गिरावट सिर्फ 1-2% (E10-E20 ट्यून किए गए वाहनों में) होती है, जबकि अन्य सामान्य वाहनों में भी यह कमी 3-6% के बीच सीमित रहती है। यह कमी भी बेहतर इंजन ट्यूनिंग और E20-कम्पैटिबल पुर्जों के उपयोग से और भी कम की जा सकती है।
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SIAM ने भी दी पुष्टि
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने भी पुष्टि की है कि अप्रैल 2023 से ही बाजार में E20-रेडी वाहन उपलब्ध हैं जिनमें खासतौर पर अपग्रेडेड पार्ट्स लगे होते हैं, जो ईंधन मिश्रण को आसानी से संभाल सकते हैं।
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क्या पुरानी गाड़ियों पर असर पड़ेगा?
मंत्रालय ने कहा कि पुराने वाहनों में कुछ रबर पार्ट्स या गास्केट्स को 20,000-30,000 किलोमीटर के बाद बदला जा सकता है, लेकिन यह सामान्य सर्विसिंग का हिस्सा है और बेहद सस्ते होते हैं।
E20 पेट्रोल के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स (AIS) के तहत सेफ्टी स्टैंडर्ड्स तय किए जा चुके हैं, जिससे किसी तरह के मैटेरियल करप्शन की चिंता भी बेमानी है।
पर्यावरण के लिए फायदेमंद है एथनॉल
मंत्रालय ने बताया कि एथनॉल न केवल नवीकरणीय ईंधन है बल्कि इससे CO₂ उत्सर्जन में भी भारी कमी आती है। नीति आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक, गन्ना आधारित एथनॉल से 65% और मक्का आधारित एथनॉल से 50% कम ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं। अब भारत में एथनॉल केवल गन्ने से नहीं, बल्कि अनुपयोगी चावल, मक्का, खराब अनाज और कृषि अपशिष्ट से भी तैयार किया जा रहा है।
इंजन परफॉर्मेंस में भी सुधार
एथनॉल का ऑक्टेन नंबर (108.5) पेट्रोल (84.4) से अधिक होता है, जिससे इंजन की पावर और राइड क्वालिटी बेहतर होती है। साथ ही, एथनॉल की हाई हीट ऑफ वेपोराइजेशन इंजन में एयर-फ्यूल मिक्सचर की डेंसिटी बढ़ाती है, जिससे प्रदर्शन और एफिशिएंसी में इजाफा होता है।
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देश की अर्थव्यवस्था को लाभ
मंत्रालय के अनुसार, एथनॉल ब्लेंडिंग से भारत ने 2014-15 से अब तक 1.40 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की है। साथ ही, किसानों को 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान हुआ है, जिससे ग्रामीण आय और रोजगार को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा, 700 लाख टन CO₂ उत्सर्जन में भी कमी आई है।
E20 पेट्रोल को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पूरी तरह से तथ्यहीन हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह फ्यूल न केवल सुरक्षित और प्रभावी है, बल्कि इंजन परफॉर्मेंस, पर्यावरण और देश की अर्थव्यवस्था तीनों के लिए फायदेमंद है।