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PLI: केंद्र ईवी बैटरियों के लिए एक और पीएलआई योजना कर सकता है पेश, ईवी अपनाने को बढ़ावा देना लक्ष्य

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Mon, 16 Oct 2023 05:30 PM IST
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सार

केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार लागत कम करने और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बैटरी के लिए एक और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (प्रॉडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना लाएगी।

Govt may offer another PLI scheme for EV batteries to boost adoption of electric vehicles in India
Electric Vehicles in Indian Army - फोटो : ANI
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विस्तार
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केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार लागत कम करने और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बैटरी के लिए एक और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (प्रॉडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना लाएगी।
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ओएमआई फाउंडेशन के ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) रेडी इंडिया डैशबोर्ड पर बोलते हुए, केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा, "हम (स्टोरेज या बैटरी की) बिक्री बढ़ाने के लिए एक और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) लेकर आ रहे हैं। ।" उनका विचार था कि स्टोरेज की कीमत (उच्च) मात्रा के साथ कम हो जाएगी। उन्होंने कहा, "स्टोरेज की कीमत तभी कम होगी जब आप बिक्री बढ़ाएंगे। इसीलिए स्टोरेज के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) है।"।
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उन्होंने दुनिया में लिमिटेड बैटरी मैन्युफेक्चरिंग क्षमता की ओर इशारा किया और इसे ऊंची कीमतों का कारण बताया।

मंत्री ने कहा कि ईवी को अपनाने में कमी के कारणों में ज्यादा कीमतें और कम ड्राइविंग रेंज जैसे मुद्दे अहम हैं।

केंद्र सरकार ने मई 2021 में 18,100 करोड़ रुपये के अनुमानित परिव्यय पर एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी के निर्माण के लिए (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी थी, जिसका मकसद 45,000 करोड़ रुपये के विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित करना था।

इस योजना का लक्ष्य 50GW बैटरी स्टोरेज की मैन्युफेक्चरिंग हासिल करना था।

ACC (एसीसी) एडवांस्ड स्टोरेज टेक्नोलॉजी की नई पीढ़ी है जो इलेक्ट्रिक एनर्जी को इलेक्ट्रोकेमिकल या केमिकल एनर्जी के रूप में स्टोर कर सकती हैं और जरूरत पड़ने पर इसे वापस इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदल सकती है।

मंत्री ने कहा, "एक देश के रूप में हमारे लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर स्विच करना बेहद महत्वपूर्ण है। एक पावर (अर्थव्यवस्था) के रूप में उभरने के लिए एक शर्त यह है कि आप ऊर्जा पर निर्भर नहीं हो सकते। ईवी की ओर बढ़ने का यही हमारा प्राथमिक कारण है।"

सिंह ने बताया कि ईवी को अपनाने से भारत में उत्सर्जन में कमी आएगी।

उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत लिथियम संसाधन एक ही देश से बंधे हैं और 88 प्रतिशत लिथियम का प्रसंस्करण भी एक ही देश में है।

उन्होंने कहा, "हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास जम्मू में कुछ लिथियम भंडार हैं।"

उन्होंने लिथियम से अन्य रसायन (बैटरी के) की ओर शिफ्ट होने की आवश्यकता का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा, "सोडियम आयनों पर शोध चल रहा है। यदि यह ठीक काम करता है। वैकल्पिक रसायन विज्ञान बिल्कुल आवश्यक है। एक बार जब आपके पास वैकल्पिक रसायन शास्त्र होता है, तो आपके पास आपूर्ति श्रृंखला (भंडारण की) की सुरक्षा होती है। आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे रणनीतिक मुद्दे हैं।"

सिंह ने अक्तूबर के पहले पखवाड़े में 16 प्रतिशत की उच्च बिजली मांग की ओर भी इशारा किया।

उन्होंने कहा, "बिजली की मांग बहुत बढ़ रही है। अगस्त में (बिजली) मांग पिछले साल अगस्त की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़ी। सितंबर में यह फिर से 20 प्रतिशत बढ़ी। अक्तूबर में, पिछले चौदह दिनों में, इसमें लगभग 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।"

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले दो या तीन दशकों में भी यह बनी रहेगी।

उन्होंने कहा, "पिछले साल हम 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़े थे। इस साल हम 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं और मेरा आकलन है कि हम 7.5 से 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ते रहेंगे। इसलिए विकास दर बढ़ेगी और स्थिर नहीं रहेगी।"

मंत्री ने बताया कि भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 425 गीगावॉट है और यह 2030 तक बढ़कर 800 गीगावॉट हो जाएगी क्योंकि भारत की मांग 2030 तक दोगुनी होने वाली है।

मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की नॉन फॉसिल फ्यूल (गैर-जीवाश्म ईंधन) आधारित स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 185GW है जो कुल (425GW) का 43 प्रतिशत है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि 2030 तक भारत में हमारी 65 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली से आएगी। उन्होंने कहा, "हमने प्रतिज्ञा की है कि 2030 तक हम अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम कर देंगे। हम उस (उपलब्धि) को भी पार कर लेंगे।"
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