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Mexico Tariff: मैक्सिको के टैरिफ में भारी बढ़ोतरी के फैसले से भारतीय ऑटो उद्योग में चिंता, क्या होगा आगे!
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 13 Dec 2025 06:08 PM IST
सार
कार इंपोर्ट पर मेक्सिको की तरफ से टैरिफ में भारी बढ़ोतरी से भारत में बनी गाड़ियों के लगभग 1 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट पर खतरा मंडरा रहा है। जिससे वाहन निर्माताओं को उत्पादन, कीमत और मार्केट स्ट्रेटेजी पर फिर से विचार करना पड़ रहा है।
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- फोटो : PTI
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विस्तार
मैक्सिको द्वारा कारों के आयात पर शुल्क को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर अगले साल 50 प्रतिशत करने के फैसले ने भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग में हलचल मचा दी है। यह फैसला उन देशों पर लागू होगा जिनके साथ मैक्सिको का मुक्त व्यापार समझौता नहीं है, और भारत भी इसमें शामिल है। इसके चलते करीब एक अरब डॉलर के भारतीय कार निर्यात पर खतरा मंडराने लगा है। भारतीय ऑटो उद्योग के लिए, जो उत्पादन संतुलन बनाए रखने के लिए निर्यात बाजारों पर काफी हद तक निर्भर रहता है, इसका असर तेजी से और व्यापक रूप में दिख सकता है।
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भारत से होने वाले कार निर्यात पर सीधा असर
मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और सऊदी अरब के बाद भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा पैसेंजर व्हीकल निर्यात बाजार बन चुका है। कई वाहन निर्माताओं के लिए यह सिर्फ एक विदेशी बाजार नहीं, बल्कि बिक्री और उत्पादन को स्थिर रखने वाला अहम गंतव्य है। भारत से मैक्सिको भेजी जाने वाली कुल कारों में लगभग आधी हिस्सेदारी स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन समूह की है। जबकि इसके बाद ह्यूंदै, निसान और मारुति सुजुकी का नंबर आता है।
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मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और सऊदी अरब के बाद भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा पैसेंजर व्हीकल निर्यात बाजार बन चुका है। कई वाहन निर्माताओं के लिए यह सिर्फ एक विदेशी बाजार नहीं, बल्कि बिक्री और उत्पादन को स्थिर रखने वाला अहम गंतव्य है। भारत से मैक्सिको भेजी जाने वाली कुल कारों में लगभग आधी हिस्सेदारी स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन समूह की है। जबकि इसके बाद ह्यूंदै, निसान और मारुति सुजुकी का नंबर आता है।
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- फोटो : Adobe Stock
इनमें से ज्यादातर कारें छोटे इंजन वाली, एक लीटर से कम पेट्रोल क्षमता की होती हैं। जिन्हें खास तौर पर मैक्सिको के ग्राहकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, न कि उत्तर अमेरिकी बाजार के लिए। यही वजह है कि भारतीय वाहन निर्माता यह तर्क देते रहे हैं कि उनकी कारें मैक्सिको के घरेलू उद्योग से सीधे तौर पर प्रतिस्पर्धा नहीं करतीं। क्योंकि वहां का उद्योग बड़े और ज्यादा प्रीमियम मॉडल्स पर केंद्रित है, जो मुख्य रूप से अमेरिका के लिए बनाए जाते हैं।
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लागत बढ़ने से टूटेगा प्रतिस्पर्धात्मक संतुलन
हालांकि आयात शुल्क में सीधे 30 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी ने भारत में बनी कारों की सबसे बड़ी ताकत, यानी लागत में बढ़त, को लगभग खत्म कर दिया है। ज्यादा टैरिफ के चलते मैक्सिको में इन कारों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे खुदरा मांग पर असर पड़ सकता है। ऐसे में कंपनियों के सामने या तो घाटा सहने या फिर निर्यात घटाने जैसे कठिन विकल्प होंगे, जो पहले से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा और कम मुनाफे वाले इस उद्योग के लिए आसान नहीं हैं।
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हालांकि आयात शुल्क में सीधे 30 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी ने भारत में बनी कारों की सबसे बड़ी ताकत, यानी लागत में बढ़त, को लगभग खत्म कर दिया है। ज्यादा टैरिफ के चलते मैक्सिको में इन कारों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे खुदरा मांग पर असर पड़ सकता है। ऐसे में कंपनियों के सामने या तो घाटा सहने या फिर निर्यात घटाने जैसे कठिन विकल्प होंगे, जो पहले से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा और कम मुनाफे वाले इस उद्योग के लिए आसान नहीं हैं।
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उद्योग की अपील और कूटनीतिक अनिश्चितता
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, उद्योग संगठन के एक पत्र और दो सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले से पहले सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) (सियामा) ने भारत सरकार से अपील की थी कि वह मैक्सिको से बातचीत कर मौजूदा टैरिफ ढांचे को बनाए रखने की कोशिश करे।
उद्योग ने यह भी रेखांकित किया था कि भारत से होने वाला कार निर्यात मैक्सिको की कुल सालाना बिक्री का केवल 6 से 7 प्रतिशत ही है और इससे स्थानीय विनिर्माण को कोई खतरा नहीं है। अब जबकि टैरिफ बढ़ोतरी तय हो चुकी है, उद्योग यह देखने का इंतजार कर रहा है कि सरकार आगे कोई कूटनीतिक पहल करेगी या नए व्यापारिक हालात को स्वीकार करेगी।
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मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, उद्योग संगठन के एक पत्र और दो सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले से पहले सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) (सियामा) ने भारत सरकार से अपील की थी कि वह मैक्सिको से बातचीत कर मौजूदा टैरिफ ढांचे को बनाए रखने की कोशिश करे।
उद्योग ने यह भी रेखांकित किया था कि भारत से होने वाला कार निर्यात मैक्सिको की कुल सालाना बिक्री का केवल 6 से 7 प्रतिशत ही है और इससे स्थानीय विनिर्माण को कोई खतरा नहीं है। अब जबकि टैरिफ बढ़ोतरी तय हो चुकी है, उद्योग यह देखने का इंतजार कर रहा है कि सरकार आगे कोई कूटनीतिक पहल करेगी या नए व्यापारिक हालात को स्वीकार करेगी।
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भारत की मैन्युफैक्चरिंग रणनीति पर व्यापक असर
तत्काल होने वाले व्यावसायिक नुकसान से इतर, यह टैरिफ बढ़ोतरी भारत की उस बड़ी रणनीति को भी चुनौती देती है। जिसके तहत वह खुद को चीन के विकल्प के रूप में एक स्थिर और कम लागत वाला मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहता है। निर्यात आधारित ऑटोमोबाइल विकास काफी हद तक बड़े विदेशी बाजारों तक भरोसेमंद पहुंच पर निर्भर करता है। मैक्सिको जैसे अहम गंतव्य में अचानक नीति बदलाव इस रणनीति की कमजोरियों को उजागर करता है।
अब वाहन निर्माताओं को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने, मॉडल रणनीतियों पर दोबारा विचार करने या विदेशों में स्थानीय असेंबली विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं। ये सभी कदम लागत और अनिश्चितता बढ़ाते हैं, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार माहौल पहले से ही अस्थिर बना हुआ है।
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अब वाहन निर्माताओं को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने, मॉडल रणनीतियों पर दोबारा विचार करने या विदेशों में स्थानीय असेंबली विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं। ये सभी कदम लागत और अनिश्चितता बढ़ाते हैं, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार माहौल पहले से ही अस्थिर बना हुआ है।
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