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Bharat NCAP 2.0: भारत एनसीएपी में कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को शामिल करना क्यों है बेहद जरूरी?

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Wed, 26 Nov 2025 10:36 PM IST
सार

भारत में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने भारत एनसीएपी 2.0 के ड्राफ्ट नियम जारी किए हैं।

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New Bharat NCAP 2.0 Rules Prioritise Pedestrian and Two-Wheeler Safety
राष्ट्रीय राजमार्ग - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने Bharat NCAP 2.0 (भारत एनसीएपी 2.0) के ड्राफ्ट नियम जारी किए हैं। यह नया ढांचा Euro NCAP (यूरो एनसीएपी) मानकों से प्रेरित है और कुल सुरक्षा रेटिंग में कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं (VRU) (वीआरयू) की सुरक्षा को 20 प्रतिशत वेटेज देता है। यह बदलाव उस वास्तविकता को ध्यान में रखकर किया गया है कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में मौतें पैदल यात्रियों, साइकिल सवारों और दोपहिया चालकों की होती हैं।
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नए मूल्यांकन फ्रेमवर्क में क्या बदला है
ड्राफ्ट नियमों के अनुसार, वाहनों को अब पांच प्रमुख सुरक्षा श्रेणियों में आंका जाएगा-
  • सेफ ड्राइविंग, क्रैश अवॉइडेंस, क्रैश प्रोटेक्शन, कमजोर उपयोगकर्ता सुरक्षा और पोस्ट-क्रैश सुरक्षा।
  • इनमें से क्रैश प्रोटेक्शन को 55 प्रतिशत और वीआरयू सुरक्षा को 20 प्रतिशत वेटेज दिया गया है, जो इसकी बढ़ती महत्ता को दर्शाता है।
  • यह संरचना भविष्य में भारत की कार सुरक्षा रेटिंग को अधिक संतुलित और व्यापक बनाने का उद्देश्य रखती है।

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VRU सुरक्षा क्यों है इतनी महत्वपूर्ण
सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पियूष तिवारी बताते हैं कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 1.72 लाख मौतों में से करीब 65 प्रतिशत पैदल यात्रियों, साइकिल और दोपहिया चालकों की होती हैं। 

उनके अनुसार, "दुनियाभर में वाहन निर्माता वीआरयू सुरक्षा मानकों को अपनाते जा रहे हैं, क्योंकि 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पर भी कार की टक्कर किसी पैदल यात्री के लिए घातक हो सकती है। भारत में इस दिशा में कदम बढ़ाना वैश्विक सुरक्षा मानकों के करीब जाने जैसा है।"

तिवारी यह भी कहते हैं कि हेलमेट अनुपालन बढ़ाने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कारों की सुरक्षा प्रणालियां भी सड़क पर मौजूद कमजोर लोगों का ध्यान रखें।

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नए नियम कार निर्माताओं से क्या मांगते हैं
सरकार ने इन ड्राफ्ट नियमों पर 20 दिसंबर 2025 तक टिप्पणियां मांगी हैं, ताकि भारत में कार सुरक्षा रेटिंग को और अधिक आधुनिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जा सके। नए सिस्टम में स्टार रेटिंग पाने के लिए गाड़ियों में कुछ सुरक्षा फीचर्स अनिवार्य होंगे-
  • जैसे इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (ESC) और साइड/कर्टन एयरबैग्स, जो पहले अनिवार्य सूची में नहीं थे।
  • ऑटोनोमस इमरजेंसी ब्रेकिंग (AEBS) निर्माता स्वेच्छा से दे सकते हैं।

2027-29 के लिए 5-स्टार रेटिंग पाने के लिए कम से कम 70 अंक, और 2029-31 के लिए 80 अंक अनिवार्य होंगे। इसका मतलब है कि वाहन निर्माता, विशेषकर एंट्री-लेवल और मास-मार्केट सेगमेंट में, ज्यादा एडवांस्ड सुरक्षा फीचर्स देने के लिए बाध्य होंगे। 

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क्या नया NCAP ग्राहकों और उद्योग दोनों के लिए फायदे का सौदा है
हालांकि भारत एनसीएपी एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है, लेकिन उद्योग में बदलती मांग और ग्राहक जागरूकता ने इसकी अहमियत बढ़ा दी है। तिवारी कहते हैं कि सुरक्षा फीचर्स अब बाजार की मजबूरी बन चुके हैं। वे कहते हैं, "देश की एक लोकप्रिय कंपनी ने अपनी एंट्री-लेवल कार में भी मल्टीपल एयरबैग्स और बेहतर बॉडी स्ट्रक्चर देना शुरू किया है। यह दिखाता है कि जिसने शुरुआत की, उसने दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया।"

नए नियम लागू होने पर भारतीय कार सुरक्षा रेटिंग न केवल अधिक कठोर होगी, बल्कि इसे यूरोप या ग्लोबल एनसीएपी की रेटिंग से सहजता से तुलना भी की जा सकेगी।

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देश में बेहतर सुरक्षा संस्कृति की ओर एक बड़ा कदम
भारत एनसीएपी 2.0 सिर्फ कार की सुरक्षा को नहीं बढ़ाएगा, बल्कि सड़क पर मौजूद कमजोर लोगों की जान बचाने में भी अहम भूमिका निभाएगा। भारत की सड़कों पर मौजूदा चुनौतियों, तेज यातायात, दोपहिया उपयोगकर्ताओं की बड़ी संख्या, और कमजोर पैदल यात्री अवसंरचना, को देखते हुए यह सुधार बेहद सार्थक और समयोचित है। 

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