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Traffic Challan: दिल्ली में 42 दिनों में एक लाख से अधिक PUCC चालान, सबसे ज्यादा टू-व्हीलरों ने किया उल्लंघन
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 26 Nov 2025 08:43 PM IST
सार
दिल्ली फिलहाल बेहद खराब वायु गुणवत्ता से जूझ रही है। विशेषज्ञ और अधिकारी लगातार यह दोहरा रहे हैं कि सर्दियों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियमों के साथ-साथ उनका पालन भी उतना ही आवश्यक है।
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Traffic Challan
- फोटो : AI
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विस्तार
सर्दियों के साथ ही दिल्ली में प्रदूषण का वार्षिक संकट एक बार फिर गहरा गया है। वायु गुणवत्ता लगातार गंभीर स्तर पर बनी हुई है। जिसके कारण ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) (ग्रैप) के तहत कड़े कदम लागू किए गए हैं। इसके बावजूद बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन होता रहा। और इसी वजह से सिर्फ 42 दिनों में PUCC (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) (पीयूसीसी) के एक लाख से अधिक चालान जारी किए गए हैं। यह स्थिति राजधानी में प्रदूषण-नियंत्रण मानकों के पालन की कमजोर स्थिति को उजागर करती है।
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PUCC उल्लंघनों का आंकड़ा 1 लाख पार
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, ग्रैप लागू होने के बाद 14 अक्तूबर से अब तक 1,05,516 पीयूसीसी चालान जारी किए जा चुके हैं। यह संख्या बताती है कि औसतन हर दिन लगभग 23,000 उल्लंघन दर्ज किए गए। इतने कम समय में इतने अधिक चालान जारी होना इस बात का संकेत है कि प्रदूषण-नियंत्रण प्रमाणपत्र नियमों का पालन अभी भी बहुत कमजोर है।
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दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, ग्रैप लागू होने के बाद 14 अक्तूबर से अब तक 1,05,516 पीयूसीसी चालान जारी किए जा चुके हैं। यह संख्या बताती है कि औसतन हर दिन लगभग 23,000 उल्लंघन दर्ज किए गए। इतने कम समय में इतने अधिक चालान जारी होना इस बात का संकेत है कि प्रदूषण-नियंत्रण प्रमाणपत्र नियमों का पालन अभी भी बहुत कमजोर है।
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टू-व्हीलर क्यों बने सबसे बड़े दोषी
रिपोर्ट बताती है कि चालान का सबसे बड़ा हिस्सा दो-पहिया वाहनों से जुड़ा है। कुल चालानों में से लगभग 78 प्रतिशत, यानी 82,774 PUCC चालान, मोटरसाइकिल और स्कूटर चालकों के नाम दर्ज किए गए। कार और जीप श्रेणी में 18,579 चालान, यानी लगभग 20 प्रतिशत, जारी हुए। चूंकि दिल्ली में पंजीकृत कुल वाहनों में 66.5 प्रतिशत दो-पहिया हैं, इसलिए इनका अधिक संख्या में उल्लंघन में शामिल होना स्वाभाविक है। लेकिन यह भी बताता है कि इस श्रेणी में पीयूसीसी मानकों को लेकर जागरूकता और अनुपालन बेहद कमजोर है।
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रिपोर्ट बताती है कि चालान का सबसे बड़ा हिस्सा दो-पहिया वाहनों से जुड़ा है। कुल चालानों में से लगभग 78 प्रतिशत, यानी 82,774 PUCC चालान, मोटरसाइकिल और स्कूटर चालकों के नाम दर्ज किए गए। कार और जीप श्रेणी में 18,579 चालान, यानी लगभग 20 प्रतिशत, जारी हुए। चूंकि दिल्ली में पंजीकृत कुल वाहनों में 66.5 प्रतिशत दो-पहिया हैं, इसलिए इनका अधिक संख्या में उल्लंघन में शामिल होना स्वाभाविक है। लेकिन यह भी बताता है कि इस श्रेणी में पीयूसीसी मानकों को लेकर जागरूकता और अनुपालन बेहद कमजोर है।
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लंबित चालानों की समस्या
दिल्ली सरकार ने अदालत में लंबित पीयूसीसी चालानों की भारी संख्या पर गंभीर चिंता जताई है। परिवहन विभाग द्वारा तिस हजारी अदालत को लिखे गए पत्र में बताया गया कि 90 प्रतिशत से अधिक पीयूसीसी चालान अब भी पेंडिंग हैं। ग्रैप के तहत जारी चालानों की स्थिति भी अलग नहीं है। लगभग 75 प्रतिशत चालान अब तक जमा नहीं किए गए। यह प्रवृत्ति प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि लंबित चालानों की अधिक संख्या सीधे-सीधे प्रवर्तन की प्रभावशीलता को कम करती है। पिछले वर्ष जारी 36,225 पीयूसीसी चालानों में से भी 91 प्रतिशत अभी तक अपूर्ण हैं, जबकि नियमों के अनुसार उल्लंघन पर 10,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है।
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दिल्ली सरकार ने अदालत में लंबित पीयूसीसी चालानों की भारी संख्या पर गंभीर चिंता जताई है। परिवहन विभाग द्वारा तिस हजारी अदालत को लिखे गए पत्र में बताया गया कि 90 प्रतिशत से अधिक पीयूसीसी चालान अब भी पेंडिंग हैं। ग्रैप के तहत जारी चालानों की स्थिति भी अलग नहीं है। लगभग 75 प्रतिशत चालान अब तक जमा नहीं किए गए। यह प्रवृत्ति प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि लंबित चालानों की अधिक संख्या सीधे-सीधे प्रवर्तन की प्रभावशीलता को कम करती है। पिछले वर्ष जारी 36,225 पीयूसीसी चालानों में से भी 91 प्रतिशत अभी तक अपूर्ण हैं, जबकि नियमों के अनुसार उल्लंघन पर 10,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है।
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BS-III और BS-IV वाहनों पर कार्रवाई की सुस्ती
ग्रैप के कड़े प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले पुराने वाहनों पर भी कार्रवाई हुई है, लेकिन वहां भी स्थिति समान है। अक्तूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों के खिलाफ 1,095 चालान दर्ज किए गए थे, और इनमें से 75 प्रतिशत अभी भी पेंडिंग हैं। यह बताता है कि उच्च-उत्सर्जन वाले वाहनों पर कार्रवाई को प्रभावी बनाने के लिए चालानों के त्वरित निपटान की आवश्यकता बेहद महत्वपूर्ण है।
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न्यायपालिका से चालानों के त्वरित निपटान की मांग
परिवहन विभाग का कहना है कि जब तक चालानों को समय पर निपटाने और जुर्माना राशि बिना किसी कटौती के वसूलने की व्यवस्था नहीं बनती, तब तक प्रदूषण-नियंत्रण नीतियों का प्रभाव सीमित रहेगा। इसी वजह से विभाग ने न्यायपालिका से एक ऐसी प्रणाली विकसित करने का अनुरोध किया है, जिसमें प्रदूषण-संबंधी चालानों का त्वरित और सुनिश्चित निपटान हो सके।
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परिवहन विभाग का कहना है कि जब तक चालानों को समय पर निपटाने और जुर्माना राशि बिना किसी कटौती के वसूलने की व्यवस्था नहीं बनती, तब तक प्रदूषण-नियंत्रण नीतियों का प्रभाव सीमित रहेगा। इसी वजह से विभाग ने न्यायपालिका से एक ऐसी प्रणाली विकसित करने का अनुरोध किया है, जिसमें प्रदूषण-संबंधी चालानों का त्वरित और सुनिश्चित निपटान हो सके।
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दिल्ली की हवा पर मंडराता खतरा
दिल्ली फिलहाल बेहद खराब वायु गुणवत्ता से जूझ रही है। विशेषज्ञ और अधिकारी लगातार यह दोहरा रहे हैं कि सर्दियों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियमों के साथ-साथ उनका पालन भी उतना ही आवश्यक है। पीयूसीसी चालानों की बढ़ती संख्या और उनका निपटान न होना यह दिखाता है कि प्रशासन, वाहन मालिकों और न्यायपालिका, तीनों स्तरों पर एक सुव्यवस्थित और प्रभावी ढांचे की तत्काल जरूरत है।
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दिल्ली फिलहाल बेहद खराब वायु गुणवत्ता से जूझ रही है। विशेषज्ञ और अधिकारी लगातार यह दोहरा रहे हैं कि सर्दियों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियमों के साथ-साथ उनका पालन भी उतना ही आवश्यक है। पीयूसीसी चालानों की बढ़ती संख्या और उनका निपटान न होना यह दिखाता है कि प्रशासन, वाहन मालिकों और न्यायपालिका, तीनों स्तरों पर एक सुव्यवस्थित और प्रभावी ढांचे की तत्काल जरूरत है।
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