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GST 2.0: ऑटो कंपनियों के खातों पर 2,500 करोड़ रुपये का सेस इस तारीख को समाप्त हो जाएगा, जानें डिटेल्स
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 10 Sep 2025 10:38 AM IST
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सार
जीएसटी 2.0 पूरे भारत में 22 सितंबर से प्रभावी होगा, जिससे ऑटोमोबाइल पर कर कम हो जाएगा।

Automobile Industry
- फोटो : PTI
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विस्तार
भारत की ऑटो कंपनियों के खातों में जमा करीब 2,500 करोड़ रुपये का कंपनसेशन सेस (मुआवजा उपकर) 22 सितंबर को खत्म हो जाएगा, जब GST 2.0 (जीएसटी 2.0) लागू होगा। अभी तक के जीएसटी 1.0 सिस्टम में गाड़ियों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जो कि सबसे ऊंचा टैक्स स्लैब है। इसके ऊपर अलग से 1 प्रतिशत से 22 प्रतिशत तक का कंपनसेशन सेस भी लिया जाता है, जो गाड़ी के टाइप पर निर्भर करता है। इस वजह से यात्री वाहनों (पैसेंजर व्हीकल्स) पर कुल टैक्स बोझ करीब 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
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अभी कितना टैक्स देना पड़ता है
मौजूदा जीएसटी स्ट्रक्चर में टैक्स इंजन क्षमता और गाड़ी की लंबाई के आधार पर तय होता है। छोटे पेट्रोल कारों पर कुल टैक्स 29 प्रतिशत लगता है, वहीं एसयूवी पर यह बोझ 50 प्रतिशत तक चला जाता है।
लेकिन 22 सितंबर से लागू होने वाले जीएसटी 2.0 में नए नियम लागू होंगे। इसमें:
पेट्रोल कारें (1,200cc तक) और डीजल कारें (1,500cc तक) पर सिर्फ 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
इससे बड़ी गाड़ियों पर 40 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
यानि छोटे इंजन वाली कारें काफी सस्ती हो जाएंगी और बड़ी गाड़ियों पर भी कुल टैक्स पहले से कम हो जाएगा।
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मौजूदा जीएसटी स्ट्रक्चर में टैक्स इंजन क्षमता और गाड़ी की लंबाई के आधार पर तय होता है। छोटे पेट्रोल कारों पर कुल टैक्स 29 प्रतिशत लगता है, वहीं एसयूवी पर यह बोझ 50 प्रतिशत तक चला जाता है।
लेकिन 22 सितंबर से लागू होने वाले जीएसटी 2.0 में नए नियम लागू होंगे। इसमें:
पेट्रोल कारें (1,200cc तक) और डीजल कारें (1,500cc तक) पर सिर्फ 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
इससे बड़ी गाड़ियों पर 40 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
यानि छोटे इंजन वाली कारें काफी सस्ती हो जाएंगी और बड़ी गाड़ियों पर भी कुल टैक्स पहले से कम हो जाएगा।
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अब सेस क्यों नहीं लगेगा
जीएसटी 2.0 के तहत ऑटोमोबाइल पर कंपनसेशन सेस पूरी तरह खत्म हो जाएगा। इसका मतलब है कि अब गाड़ियों पर सिर्फ तय जीएसटी स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा, कोई अतिरिक्त बोझ नहीं।
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जीएसटी 2.0 के तहत ऑटोमोबाइल पर कंपनसेशन सेस पूरी तरह खत्म हो जाएगा। इसका मतलब है कि अब गाड़ियों पर सिर्फ तय जीएसटी स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा, कोई अतिरिक्त बोझ नहीं।
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कंपनियों की चिंता क्या है
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटो कंपनियों ने सरकार के सामने चिंता जताई है कि उनकी बुक्स में जमा सेस (2,500 करोड़ रुपये) का क्या होगा। उन्होंने मांग की है कि या तो इस रकम को उनकी टैक्स लाइबिलिटी से एडजस्ट करने दिया जाए या फिर इसका रिफंड दिया जाए।
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फिलहाल जीएसटी कानून के हिसाब से, कंपनियां सिर्फ उतना सेस एडजस्ट कर सकती हैं जितना उनका आउटपुट सेस बनता है। ठीक वैसे ही जैसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का एडजस्टमेंट सिर्फ आउटपुट टैक्स से किया जा सकता है।
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