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Electric Buses: बंगलूरू में जानलेवा दुर्घटनाओं के लिए ध्वनिहीन ई-बसों को ठहराया गया जिम्मेदार, क्या है समाधान
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 23 Aug 2025 02:34 PM IST
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सार
बंगलूरू में पिछले एक महीने में बंगलूरू मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (BMTC) (बीएमटीसी) की बसों से जुड़े चार हादसों में चार लोगों की जान चली गई। एक बड़ी समस्या यह मानी जा रही है कि इलेक्ट्रिक बसें लगभग बिना आवाज के चलती हैं। ऐसे में पैदल चलने वालों और अन्य वाहन चालकों के लिए उन्हें सुनकर पहचानना मुश्किल हो जाता है। जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है।

Electric Bus
- फोटो : Freepik
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विस्तार
बंगलूरू में पिछले एक महीने में बंगलूरू मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (BMTC) (बीएमटीसी) की बसों से जुड़े चार हादसों में चार लोगों की जान चली गई। इनमें से तीन हादसे इसी हफ्ते हुए, जिनमें 10 साल की तन्वी कृष्णा की मौत भी शामिल है।
ई-बसों पर उठ रहे सवाल
जानकारी के मुताबिक, इन हादसों के पीछे इलेक्ट्रिक बसों का तेज एक्सेलेरेशन और अचानक लगने वाला ब्रेक बड़ा कारण बताया जा रहा है। साथ ही इन बसों के ड्राइवरों को सीधे बीएमटीसी नहीं बल्कि निजी कंपनियां नियुक्त करती हैं, जो ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी) के तहत बसें चलाती हैं।
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ई-बसों पर उठ रहे सवाल
जानकारी के मुताबिक, इन हादसों के पीछे इलेक्ट्रिक बसों का तेज एक्सेलेरेशन और अचानक लगने वाला ब्रेक बड़ा कारण बताया जा रहा है। साथ ही इन बसों के ड्राइवरों को सीधे बीएमटीसी नहीं बल्कि निजी कंपनियां नियुक्त करती हैं, जो ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी) के तहत बसें चलाती हैं।
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"अनुभवहीन ड्राइवरों से हो रहे हादसे"
कर्नाटक प्राइवेट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशंस फेडरेशन के अध्यक्ष नटराज शर्मा ने कहा कि बीएमटीसी अपने ड्राइवरों की सख्त परीक्षा लेता है। लेकिन इलेक्ट्रिक बसें निजी कंपनियों के ड्राइवर चलाते हैं, जिनमें से कई पहले छोटे वाहन चलाते थे। अचानक उन्हें इतनी बड़ी ई-बसें सौंप दी जाती हैं, जिससे हादसे हो रहे हैं।
ई-बसों की खामोशी भी वजह
एक और बड़ी समस्या यह है कि इलेक्ट्रिक बसें लगभग बिना आवाज के चलती हैं। ऐसे में पैदल चलने वालों और अन्य वाहन चालकों के लिए उन्हें सुनकर पहचानना मुश्किल हो जाता है। जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है।
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कर्नाटक प्राइवेट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशंस फेडरेशन के अध्यक्ष नटराज शर्मा ने कहा कि बीएमटीसी अपने ड्राइवरों की सख्त परीक्षा लेता है। लेकिन इलेक्ट्रिक बसें निजी कंपनियों के ड्राइवर चलाते हैं, जिनमें से कई पहले छोटे वाहन चलाते थे। अचानक उन्हें इतनी बड़ी ई-बसें सौंप दी जाती हैं, जिससे हादसे हो रहे हैं।
ई-बसों की खामोशी भी वजह
एक और बड़ी समस्या यह है कि इलेक्ट्रिक बसें लगभग बिना आवाज के चलती हैं। ऐसे में पैदल चलने वालों और अन्य वाहन चालकों के लिए उन्हें सुनकर पहचानना मुश्किल हो जाता है। जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है।
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ड्राइवर ट्रेनिंग से नहीं मिली राहत
यात्रियों और राहगीरों की शिकायतों के बाद, बीएमटीसी ने इस साल की शुरुआत में ई-बस ड्राइवरों के लिए ट्रेनिंग वर्कशॉप कराई थी। इन वर्कशॉप्स का मकसद अचानक ब्रेक लगाने और तेज एक्सेलेरेशन की समस्या को कम करना था। लेकिन लगता है कि इसका असर खास नहीं हुआ।
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"तीन हादसों में ड्राइवर की गलती नहीं" - बीएमटीसी
बीएमटीसी के चीफ ट्रैफिक मैनेजर (ऑपरेशंस) जीटी प्रभाकर रेड्डी का कहना है कि चार मौतों में से तीन में ड्राइवर की गलती नहीं थी। उन्होंने बताया कि हर हादसे के बाद बसों में लगे सीसीटीवी फुटेज चेक किए जाते हैं और अगर ड्राइवर की गलती साबित होती है तो कार्रवाई की जाती है। लेकिन तीन मामलों में ड्राइवर निर्दोष पाए गए। रेड्डी ने यह भी कहा कि सड़क पर सभी लोग अगर ट्रैफिक नियम मानें तो हादसे नहीं होंगे।
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यात्रियों और राहगीरों की शिकायतों के बाद, बीएमटीसी ने इस साल की शुरुआत में ई-बस ड्राइवरों के लिए ट्रेनिंग वर्कशॉप कराई थी। इन वर्कशॉप्स का मकसद अचानक ब्रेक लगाने और तेज एक्सेलेरेशन की समस्या को कम करना था। लेकिन लगता है कि इसका असर खास नहीं हुआ।
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"तीन हादसों में ड्राइवर की गलती नहीं" - बीएमटीसी
बीएमटीसी के चीफ ट्रैफिक मैनेजर (ऑपरेशंस) जीटी प्रभाकर रेड्डी का कहना है कि चार मौतों में से तीन में ड्राइवर की गलती नहीं थी। उन्होंने बताया कि हर हादसे के बाद बसों में लगे सीसीटीवी फुटेज चेक किए जाते हैं और अगर ड्राइवर की गलती साबित होती है तो कार्रवाई की जाती है। लेकिन तीन मामलों में ड्राइवर निर्दोष पाए गए। रेड्डी ने यह भी कहा कि सड़क पर सभी लोग अगर ट्रैफिक नियम मानें तो हादसे नहीं होंगे।
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ड्राइवरों के लिए 'रिफ्रेशर ट्रेनिंग'
हादसों को रोकने के लिए बीएमटीसीअब अपने सभी 12,000 ड्राइवरों को ‘रिफ्रेशर ट्रेनिंग’ देने जा रहा है। इसमें तीन मुद्दों पर खास ध्यान दिया जाएगा - हादसे रोकना, ट्रैफिक नियम मानना और तनाव प्रबंधन। ट्रेनिंग के दौरान डैशकैम फुटेज और वीडियो के जरिए ड्राइवरों को वास्तविक उदाहरण दिखाए जाएंगे। यह ट्रेनिंग 50-50 के बैच में सात जोनल ऑफिसों में होगी।
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तन्वी कृष्णा का मामला और टू-व्हीलर की लापरवाही
बीएमटीसी के मुताबिक, तन्वी कृष्णा की मां के सामने एक टू-व्हीलर खड़ा था। अचानक ब्रेक लगाने पर उनका संतुलन बिगड़ गया और बस के नीचे आने से बच्ची की जान चली गई। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि सड़क पर इस तरह गाड़ी खड़ी करना ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है और इसके लिए 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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हादसों को रोकने के लिए बीएमटीसीअब अपने सभी 12,000 ड्राइवरों को ‘रिफ्रेशर ट्रेनिंग’ देने जा रहा है। इसमें तीन मुद्दों पर खास ध्यान दिया जाएगा - हादसे रोकना, ट्रैफिक नियम मानना और तनाव प्रबंधन। ट्रेनिंग के दौरान डैशकैम फुटेज और वीडियो के जरिए ड्राइवरों को वास्तविक उदाहरण दिखाए जाएंगे। यह ट्रेनिंग 50-50 के बैच में सात जोनल ऑफिसों में होगी।
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तन्वी कृष्णा का मामला और टू-व्हीलर की लापरवाही
बीएमटीसी के मुताबिक, तन्वी कृष्णा की मां के सामने एक टू-व्हीलर खड़ा था। अचानक ब्रेक लगाने पर उनका संतुलन बिगड़ गया और बस के नीचे आने से बच्ची की जान चली गई। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि सड़क पर इस तरह गाड़ी खड़ी करना ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है और इसके लिए 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम से मिल सकती है मदद
कर्नाटक के कई शहरों जैसे हासन, चिकमंगलुरु, तुमकुरु और चित्रदुर्ग में पुलिस माइक से लोगों को नियम तोड़ने पर मौके पर ही चेतावनी देती है। लेकिन बंगलूरू में यह तरीका लागू नहीं है, क्योंकि इसे शोर और सार्वजनिक असुविधा माना जाता है। अधिकारी मानते हैं कि यहां लोग अक्सर इन घोषणाओं को नजरअंदाज कर देते हैं।
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बीएमटीसी का सख्त फैसला
शुक्रवार को बीएमटीसी के शीर्ष अधिकारियों की बैठक में कई फैसले लिए गए-
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कर्नाटक के कई शहरों जैसे हासन, चिकमंगलुरु, तुमकुरु और चित्रदुर्ग में पुलिस माइक से लोगों को नियम तोड़ने पर मौके पर ही चेतावनी देती है। लेकिन बंगलूरू में यह तरीका लागू नहीं है, क्योंकि इसे शोर और सार्वजनिक असुविधा माना जाता है। अधिकारी मानते हैं कि यहां लोग अक्सर इन घोषणाओं को नजरअंदाज कर देते हैं।
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बीएमटीसी का सख्त फैसला
शुक्रवार को बीएमटीसी के शीर्ष अधिकारियों की बैठक में कई फैसले लिए गए-
- जिन ड्राइवरों की वजह से जानलेवा हादसे होंगे, उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
- ड्यूटी के दौरान मोबाइल इस्तेमाल करते पकड़े गए ड्राइवरों को 15 दिन के लिए सस्पेंड कर दूसरे डिपो में भेजा जाएगा।
- डिपो और रास्ते में अल्कोहल टेस्ट किए जाएंगे।
- हर दिन बस निकालने से पहले ड्राइवरों को ब्रीफिंग दी जाएगी।
- हफ्ते में दो दिन जोन स्तर पर ड्राइविंग ट्रेनिंग होगी।
- बीएमटीसी ने यात्रियों और टू-व्हीलर चालकों से भी अपील की है कि भारी वाहनों के बीच चलते समय सुरक्षा नियमों का पालन करें और कभी भी बस को बाईं ओर से ओवरटेक न करें।
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