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Fuel: क्या सुबह पेट्रोल भरवाने से बढ़ता है माइलेज? जानें इस वायरल दावे की सच्चाई
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Sat, 17 May 2025 06:11 AM IST
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सार
Petrol Diesel Density: लोगों का मानना है कि सुबह या रात में पेट्रोल भरवाने से गाड़ी ज्यादा माइलेज देती है। सोशल मीडिया पर ये बात तेजी से फैल रही है। लेकिन क्या ये सच है या सिर्फ एक अफवाह? आइए जानते हैं।

क्या आप भी देर रात भरवाते हैं पेट्रोल?
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
कई बार ऐसा होता है कि आपकी कार या बाइक सभी तकनीकी दृष्टिकोण से एकदम सही स्थिति में होती है, इसके बावजूद भी माइलेज उम्मीद से कम मिलता है। ऐसे में लोग अलग-अलग सलाह देने लगते हैं। कोई कहता है कि एक्सेलेटर को बार-बार छोड़ने से माइलेज सुधरता है, तो कोई गियर के जरिए ब्रेकिंग करने की सलाह देता है। वहीं, कुछ लोग पेट्रोल में एडिटिव मिलाने की बात करते हैं। इन्हीं चर्चाओं के बीच एक और बात अक्सर सुनने को मिलती है कि सुबह-सुबह या देर रात पेट्रोल डलवाने से माइलेज बेहतर मिलता है। यह विषय हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ है और कई लोग अब इसे फॉलो भी कर रहे हैं। लेकिन क्या इस दावे में वाकई कोई सच्चाई है या यह सिर्फ एक भ्रम है? आइए जानने की कोशिश करते हैं।
क्या है सुबह या देर रात पेट्रोल लेने का तर्क
सुबह या देर रात पेट्रोल लेने से फायदा पहुंचने की बात करने वाले लोग यह दावा करते हैं कि सुबह या रात में तापमान कम होने से फ्यूल की डेंसिटी ज्यादा होती है। उनका दावा होता है कि इस समय पेट्रोल लेने से आपको सही मात्रा में फ्यूल मिलेगा। तर्क दिया जाता है कि दिन में गर्मी के कारण फ्यूल फैलता है और उसकी डेंसिटी कम हो जाती है। यही वजह है कि कई लोग मानने लगे हैं कि सुबह या रात को फ्यूल भरवाना फायदेमंद है।

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क्या है सुबह या देर रात पेट्रोल लेने का तर्क
सुबह या देर रात पेट्रोल लेने से फायदा पहुंचने की बात करने वाले लोग यह दावा करते हैं कि सुबह या रात में तापमान कम होने से फ्यूल की डेंसिटी ज्यादा होती है। उनका दावा होता है कि इस समय पेट्रोल लेने से आपको सही मात्रा में फ्यूल मिलेगा। तर्क दिया जाता है कि दिन में गर्मी के कारण फ्यूल फैलता है और उसकी डेंसिटी कम हो जाती है। यही वजह है कि कई लोग मानने लगे हैं कि सुबह या रात को फ्यूल भरवाना फायदेमंद है।
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समझिए पेट्रोल-डीजल की डेंसिटी
- फोटो : AI
सच्चाई क्या है?
वास्तव में, पेट्रोल या डीजल की डेंसिटी पर मौसम का कोई असर नहीं होता क्योंकि पेट्रोल पंपों के टैंक जमीन के अंदर यानी अंडरग्राउंड होते हैं। ये टैंक बाहरी तापमान से प्रभावित नहीं होते और उनका तापमान स्थिर बना रहता है। इसलिए सुबह, दोपहर या रात, किसी भी समय पेट्रोल भरवाने से उसकी मात्रा या गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं पड़ता।
यह भी पढ़ें: ना एक्टिवा, ना जुपिटर, एक ऐसा स्कूटर विदेशों में मचा रहा धूम जो भारत में हो चुका है बंद
पेट्रोल-डीजल की डेंसिटी कितनी होनी चाहिए?
सरकारी मानकों के अनुसार, पेट्रोल की डेंसिटी लगभग 730 से 800 किलोग्राम प्रति घन मीटर के बीच होती है, जबकि डीजल की डेंसिटी 830 से 900 किलोग्राम प्रति घन मीटर के बीच मानी जाती है। यही डेंसिटी फ्यूल की शुद्धता की पहचान होती है। पेट्रोल पंपों पर आप डेंसिटी मीटर के जरिए इसे जांच भी सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि डेंसिटी में अंतर दिखता है, तो वह दिन या रात के समय की वजह से नहीं बल्कि फ्यूल में गड़बड़ी या मिलावट के कारण होता है।
वास्तव में, पेट्रोल या डीजल की डेंसिटी पर मौसम का कोई असर नहीं होता क्योंकि पेट्रोल पंपों के टैंक जमीन के अंदर यानी अंडरग्राउंड होते हैं। ये टैंक बाहरी तापमान से प्रभावित नहीं होते और उनका तापमान स्थिर बना रहता है। इसलिए सुबह, दोपहर या रात, किसी भी समय पेट्रोल भरवाने से उसकी मात्रा या गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं पड़ता।
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पेट्रोल-डीजल की डेंसिटी कितनी होनी चाहिए?
सरकारी मानकों के अनुसार, पेट्रोल की डेंसिटी लगभग 730 से 800 किलोग्राम प्रति घन मीटर के बीच होती है, जबकि डीजल की डेंसिटी 830 से 900 किलोग्राम प्रति घन मीटर के बीच मानी जाती है। यही डेंसिटी फ्यूल की शुद्धता की पहचान होती है। पेट्रोल पंपों पर आप डेंसिटी मीटर के जरिए इसे जांच भी सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि डेंसिटी में अंतर दिखता है, तो वह दिन या रात के समय की वजह से नहीं बल्कि फ्यूल में गड़बड़ी या मिलावट के कारण होता है।

Petrol Pump
- फोटो : AdobeStock
कितना पेट्रोल होता है बर्बाद
फ्यूल लेते समय पेट्रोल और डीजल जब हवा के संपर्क में आते हैं तो वे वेपर्स में बदल सकते हैं, जिससे मामूली मात्रा में फ्यूल वेस्ट होता है। हालांकि यह मात्रा इतनी कम होती है कि इससे वाहन के माइलेज पर कोई असर नहीं पड़ता। यह नुकसान ऐसा ही है जैसे एक बड़े तालाब से एक बूंद पानी निकाल लेना।
फ्यूल लेते समय पेट्रोल और डीजल जब हवा के संपर्क में आते हैं तो वे वेपर्स में बदल सकते हैं, जिससे मामूली मात्रा में फ्यूल वेस्ट होता है। हालांकि यह मात्रा इतनी कम होती है कि इससे वाहन के माइलेज पर कोई असर नहीं पड़ता। यह नुकसान ऐसा ही है जैसे एक बड़े तालाब से एक बूंद पानी निकाल लेना।