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Toyota-Nissan: जब होंडा के साथ विलय की वार्ता हुई नाकाम, तब टोयोटा ने निसान से की बातचीत, रिपोर्ट में दावा
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Tue, 20 May 2025 02:15 PM IST
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सार
पिछले साल के आखिर में ग्लोबल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में होंडा और निसान के बीच विलय की चर्चा सबसे बड़ी सुर्खियों में से एक थी। दोनों जापानी कंपनियों ने दिसंबर में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें विलय की संभावनाओं को टटोलने की बात थी।

Toyota Prius PHEV
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिसंबर 2024 से लेकर फरवरी 2025 तक, ग्लोबल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सबसे बड़ी सुर्खियों में से एक थी होंडा और निसान के बीच विलय की चर्चा। दोनों जापानी कंपनियों ने दिसंबर में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें विलय की संभावनाओं को टटोलने की बात थी। हालांकि, यह बातचीत ज्यादा लंबी नहीं चली। फरवरी 2025 में दोनों कंपनियों ने आधिकारिक रूप से बातचीत खत्म कर दी। इसके पीछे एक कारण यह था कि निसान होंडा की सहायक कंपनी बनने के खिलाफ था।
फिलहाल, होंडा और निसान साथ मिलकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट पर काम कर रहे हैं, लेकिन फुल मर्जर (पूर्ण विलय) की कोई गुंजाइश नहीं बची है। इसी बीच टोयोटा ने निसान के साथ साझेदारी की संभावनाएं तलाशने के लिए संपर्क किया।
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फिलहाल, होंडा और निसान साथ मिलकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट पर काम कर रहे हैं, लेकिन फुल मर्जर (पूर्ण विलय) की कोई गुंजाइश नहीं बची है। इसी बीच टोयोटा ने निसान के साथ साझेदारी की संभावनाएं तलाशने के लिए संपर्क किया।
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टोयोटा ने भी दिखाई दिलचस्पी
जापान के प्रमुख अखबार माइनीचि शिंबुन ने दावा किया है कि होंडा और निसान की विलय बातचीत खत्म होने से पहले ही टोयोटा ने निसान से किसी तरह की साझेदारी को लेकर बातचीत की थी। हालांकि, अब तक टोयोटा और निसान, दोनों में से किसी ने इस बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है।
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जापान के प्रमुख अखबार माइनीचि शिंबुन ने दावा किया है कि होंडा और निसान की विलय बातचीत खत्म होने से पहले ही टोयोटा ने निसान से किसी तरह की साझेदारी को लेकर बातचीत की थी। हालांकि, अब तक टोयोटा और निसान, दोनों में से किसी ने इस बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है।
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टोयोटा, जो लगातार पांचवें साल दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी बनी हुई है, पहले से ही कई जापानी कार कंपनियों में हिस्सेदारी रखती है। इसमें सुबारू में 20 प्रतिशत, माजदा में 5.1 प्रतिशत, सुजुकी में 4.9 प्रतिशत और इसुजु में 5.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी शामिल है। वहीं, निसान पहले से रेनो और मित्सुबिशी के साथ एक मजबूत गठबंधन का हिस्सा है। अगर टोयोटा और निसान ने हाथ मिला लिया होता, तो वे विश्व स्तर पर एक और मेगा ऑटोमोबाइल ब्रांड बना लेते।
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भारत में निसान की योजनाएं बदल सकती हैं
इसी दौरान निसान ने अपने ग्लोबल ऑपरेशंस को दोबारा व्यवस्थित करने और खर्चों में कटौती करने की योजना बनाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्लान के तहत कंपनी भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशंस को बंद भी कर सकती है। हालांकि अब निसान की ओर से इस पर आधिकारिक बयान आ गया है। कंपनी भारतीय बाजार में वाहनों की बिक्री और बिक्री के बाद की सेवाएं देना जारी रखेगी।
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यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है जब रेनो ग्रुप ने इस साल की शुरुआत में यह घोषणा की थी कि वह रेनो-निसान ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (RNAIPL) में बची हुई 51% हिस्सेदारी भी खरीद लेगा। अभी तक इस कंपनी में बहुमत की हिस्सेदारी निसान मोटर कॉर्प के पास है। अगर यह सौदा पूरा होता है, तो रेनो को भारत में इस जॉइंट वेंचर प्लांट पर पूरी तरह से मालिकाना हक मिल जाएगा।
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