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Bihar: नवादा में महागठबंधन में दरार, बड़े नेताओं ने बदला पाला, हिसुआ और रजौली सीट पर बढ़ी सियासी हलचल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नवादा
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Sat, 25 Oct 2025 03:01 PM IST
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सार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नवादा जिले में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस और राजद के कई वरिष्ठ नेताओं ने पाला बदलकर विरोधी दलों का समर्थन कर दिया है।
भाजपा के पूर्व विधायक अनिल सिंह के समर्थन में प्रचार करती कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष आभा देवी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नवादा जिले में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। जिले में कांग्रेस और राजद के कई वरिष्ठ नेताओं ने पाला बदलकर विरोधी दलों का खुला समर्थन कर दिया है। इससे सियासी हलचल तेज हो गई है। हिसुआ सीट पर कांग्रेस में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जेठानी नीतू देवी के पक्ष में खुलकर मोर्चा संभालने वाली उनकी देवरानी और कांग्रेस की पूर्व जिला अध्यक्ष आभा देवी ने इस बार भाजपा के प्रत्याशी अनिल सिंह को समर्थन देने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस संगठन में अनदेखी और टिकट बंटवारे की नीति से आभा देवी नाराज़ थीं।
हिसुआ विधानसभा में पूर्व विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय आदित्य सिंह लंबे समय तक इस सीट पर काबिज रहे। 2005 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के अनिल सिंह ने हराया था। इसके बाद अनिल सिंह लगातार तीन बार विधायक रहे। 2020 में आदित्य सिंह की बहु नीतू देवी ने भाजपा के अनिल सिंह को हराया था। 2025 में हिसुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निर्वतमान विधायक नीतू देवी और भाजपा के पूर्व विधायक अनिल सिंह आमने-सामने हैं।
पढ़ें: पीएम मोदी ने महागठबंधन पर हमला बोला, कहा- राजद-कांग्रेस अपने आप में बड़ी समस्या है
वहीं, रजौली सीट पर राजद नेता और पूर्व विधायक बनवारी राम ने भी महागठबंधन को झटका देते हुए लोजपा के प्रत्याशी विमल राजवंशी का समर्थन करने की घोषणा की है। इससे राजद खेमे में हड़कंप मच गया है। गोविंदपुर विधानसभा में राजद ने पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि निवर्तमान विधायक मो. कामरान बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पूर्णिमा यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नवादा जिले में यह घटनाक्रम महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा करता है। हिसुआ, रजौली और गोविंदपुर विधानसभा सीटों पर सियासी समीकरण अब पूरी तरह बदलते नजर आ रहे हैं।
हिसुआ विधानसभा में पूर्व विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय आदित्य सिंह लंबे समय तक इस सीट पर काबिज रहे। 2005 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के अनिल सिंह ने हराया था। इसके बाद अनिल सिंह लगातार तीन बार विधायक रहे। 2020 में आदित्य सिंह की बहु नीतू देवी ने भाजपा के अनिल सिंह को हराया था। 2025 में हिसुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निर्वतमान विधायक नीतू देवी और भाजपा के पूर्व विधायक अनिल सिंह आमने-सामने हैं।
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वहीं, रजौली सीट पर राजद नेता और पूर्व विधायक बनवारी राम ने भी महागठबंधन को झटका देते हुए लोजपा के प्रत्याशी विमल राजवंशी का समर्थन करने की घोषणा की है। इससे राजद खेमे में हड़कंप मच गया है। गोविंदपुर विधानसभा में राजद ने पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि निवर्तमान विधायक मो. कामरान बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पूर्णिमा यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नवादा जिले में यह घटनाक्रम महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा करता है। हिसुआ, रजौली और गोविंदपुर विधानसभा सीटों पर सियासी समीकरण अब पूरी तरह बदलते नजर आ रहे हैं।