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Bihar: सहरसा में स्वास्थ्य व्यवस्था ने दो परिवारों को मौत के बाद भी दी तड़प, कंधे और स्ट्रेचर से ढोना पड़ा शव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सहरसा Published by: शबाहत हुसैन Updated Thu, 04 Dec 2025 02:47 PM IST
सार

Bihar: सहरसा सदर अस्पताल में एंबुलेंस न मिलने से दो अलग-अलग मामलों में परिजनों को शव खुद ले जाना पड़ा। एक बुजुर्ग के शव को परिवारवालों ने कंधे पर उठाकर तो दूसरे मृतक को स्ट्रेचर पर ढकेलते हुए करीब 600 मीटर दूर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया। 

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Saharsa Shocking Incident Families Forced to Carry Bodies as Hospital Denies Ambulance
कंधे पर मरीज का शव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सहरसा सदर अस्पताल में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही और संवेदनहीनता देखने को मिली। अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए मृतकों के परिवहन हेतु सरकारी एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई, जिसके कारण दो अलग-अलग मामलों में परिजनों को अपने रिश्तेदारों के शव कंधे और स्ट्रेचर पर ढोकर पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाना पड़ा। एंबुलेंस न मिलने के कारण परिजनों को 500 से 600 मीटर तक पैदल चलने की मजबूरी झेलनी पड़ी।

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पहला मामला: कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ा शव
इस मामले में पतरघट थाना क्षेत्र के बुजुर्ग छोटे लाल यादव की मौत के बाद पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाई थी। परिजनों ने एंबुलेंस की मांग की, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने साफ कह दिया कि अभी एंबुलेंस नहीं है, प्राइवेट एंबुलेंस कर लीजिए। इसके बाद परिजन रोते-बिलखते शव को कंधे पर उठाकर करीब 600 मीटर दूर पोस्टमार्टम रूम तक ले गए। परिजन प्रवीण कुमार ने कहा कि अस्पताल में कई एंबुलेंस होते हुए भी शव ले जाने के लिए एक भी उपलब्ध नहीं थी यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।

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दूसरा मामला: स्ट्रेचर पर लाश ढोने को मजबूर
दूसरी घटना रेलवे स्टेशन पर बेहोश मिले एक व्यक्ति की थी, जिसे अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मृतक के भाई सुजीत कुमार ने बताया कि रात में पहुंचने पर शव बाहर स्ट्रेचर पर पड़ा मिला। रेल थाना की औपचारिकताओं के बाद जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की बात आई, तो अस्पताल ने फिर वही जवाब दिया कि ड्राइवर नहीं है, एंबुलेंस नहीं मिलेगी। मजबूर परिजनों ने खुद स्ट्रेचर को धक्का देकर पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाया। उनके अनुसार मौत के बाद भी अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई संवेदना या सहयोग नहीं मिला। परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है और कहा कि यह व्यवस्था नहीं, बल्कि इंसानियत की हार है।


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