Bihar: मौन उपवास के बाद फूटा पीके का गुस्सा, बोले- वोट खरीदे गए, वादे अधूरे रहे; अब जनता के साथ नई लड़ाई शुरू
Bettiah News: प्रशांत किशोर ने उपवास समाप्त होते ही चुनाव में वोट खरीदने, प्रशासनिक मिलीभगत और नई कैबिनेट पर गंभीर आरोप लगाए। वे अपनी संपत्ति जनसुराज आंदोलन को समर्पित करेंगे और 2026 से बिहार के सभी वार्डों में अभियान चलाएंगे। इसे उनके आंदोलन का नया चरण माना जा रहा है।
विस्तार
बेतिया के भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिवसीय मौन उपवास समाप्त करते ही प्रशांत किशोर (पीके) ने बिहार सरकार, नीतीश कैबिनेट और भाजपा पर तीखा राजनीतिक हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि हालिया चुनाव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पैसे के दम पर प्रभावित किया गया और मतदाताओं तक को 10,000 रुपये तक देकर वोट खरीदे गए। पीके ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ कई प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल रहे। उनके अनुसार, यह चुनाव ‘खरीद-फरोख्त का खेल’ साबित हुआ और परिणाम ‘अनैतिक जीत’ की श्रेणी में आते हैं।
वोट खरीदने के आरोप और छह महीने की चेतावनी
पीके ने दावा किया कि राज्य की जनता को समझना चाहिए कि उनका वोट खरीदा गया है और अब सरकार अपने मन मुताबिक फैसले लेगी, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार महिलाओं को 2-2 लाख रुपये देने के वादे को छह महीने में पूरा नहीं करती, तो वे संबंधित हर मंत्री और अधिकारी का व्यक्तिगत स्तर पर घेराव करेंगे।
जनसुराज अभियान के लिए जनता से आर्थिक सहयोग की अपील
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले तीन वर्षों में जनसुराज अभियान पर भारी खर्च हुआ है, जिससे उनकी व्यक्तिगत कमाई लगभग समाप्त हो चुकी है। पहली बार उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वे बिहार के हर व्यक्ति से साल में 1,000 रुपये का सहयोग मांगेंगे। पीके ने कहा कि जो चाहे इससे अधिक राशि भी दे सकता है, क्योंकि बिहार का बदलाव जनता के हाथों में है। उन्होंने बताया कि आने वाले पांच वर्षों में वे अपनी कुल आय का 90% जनसुराज आंदोलन में लगाएंगे और लगभग अपनी पूरी संपत्ति इसी अभियान को समर्पित कर रहे हैं, दिल्ली स्थित एक फ्लैट को छोड़कर।
नई कैबिनेट पर गंभीर आरोप
नीतीश कुमार की नई कैबिनेट पर पीके ने आरोप लगाया कि इसमें ऐसे लोगों को शामिल किया गया है, जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं और कुछ मंत्री अत्यंत कमजोर शैक्षणिक योग्यता के बावजूद वंशवाद के आधार पर पद पाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलकर यह संदेश दे दिया है कि हमने वोट खरीदे हैं, अब बिहार पर अपनी मर्जी चलाएंगे। पीके के अनुसार, यह बिहार के घाव पर नमक छिड़कने जैसा कदम है।
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नए चरण का एलान- हर वार्ड में पहुंचेंगे पीके
अपने आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि 15 जनवरी 2026 से वे बिहार के सभी 1,18,000 वार्डों में जाएंगे। यह कार्यक्रम बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान के नाम से चलेगा, जिसमें हर वार्ड में जन-संवाद, पंचायत रिपोर्ट, वादों की समीक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही पर बैठकों का आयोजन किया जाएगा। पीके ने कहा कि बिहार का नवनिर्माण गांवों से शुरू होगा और गांधी जी की प्रेरणा से यह संघर्ष फिर गति पकड़ रहा है।
गांधी आश्रम का प्रतीकात्मक संदेश
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, भितिहरवा गांधी आश्रम का चयन प्रतीकात्मक था, जहां महात्मा गांधी ने बेतिया आंदोलन की नींव रखी थी। यह गांधीवादी संघर्ष की वैचारिक पुनर्स्थापना का संकेत देता है और दर्शाता है कि पीके अब इस आंदोलन को जनांदोलन के रूप में खड़ा करने की तैयारी में हैं। जानकारों का मानना है कि यह उपवास और प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रशांत किशोर के आंदोलन का एक तरह से ‘री-लॉन्च’ है। जनता से आर्थिक सहयोग मांगना और अपनी संपत्ति आंदोलन के लिए दान करना राजनीतिक सक्रियता का नया मॉडल माना जा रहा है। आने वाले महीनों में गांव-गांव चलने वाले अभियान से यह तय होगा कि बिहार की राजनीति में पीके की वापसी कितनी प्रभावी होगी।
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