Chaitra Navratri: 9वें दिन सिद्धिदात्री के दरबार में उमड़े श्रद्धालु, पूरे जिले में गूंजा जय माता दी का जयकारा
Chaitra Navratri: मुजफ्फरपुर के मंदिरों में नवरात्र के नवें दिन उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने माता के अंतिम रूप सिद्धिदात्री देवी के दर्शन किए। वहीं, महिलाएं भी विशेष रूप से खोईंछा भरने की परंपरा निभाने मंदिरों में पहुंचीं। अहले सुबह से ही भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा।
रामनवमी ने बढ़ाई नवरात्र की गरिमा
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का नवां दिन रामनवमी के शुभ अवसर के साथ पड़ने से इसकी धार्मिक महत्ता और भी बढ़ गई। श्रद्धालु आज माता दुर्गा के अंतिम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा के साथ-साथ प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव में भी भागीदार बने। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन जो भी श्रद्धा से माता की उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लग गईं और श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति भाव से पूजा-अर्चना की।
शहर के प्रमुख मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
मुजफ्फरपुर शहर के गोला रोड स्थित दुर्गा स्थान मंदिर, मोतीझील के संतोषी माता मंदिर, महामाया मंदिर, बंगलामुखी महा तंत्र सिद्धि शक्तिपीठ, राज राजेश्वरी मंदिर और ब्रह्मपुरा चौक के दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखने को मिली। महिलाएं विशेष रूप से खोईंछा भरने की परंपरा निभाने मंदिरों में पहुंचीं। श्रद्धा और विश्वास के साथ महिलाओं ने माता के चरणों में नारियल, चुनरी, सिंदूर, चूड़ी और मिठाई अर्पित कर आशीर्वाद मांगा। इन दृश्यों से सम्पूर्ण धार्मिक आस्था और परंपरा का सजीव चित्रण देखने को मिला।
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सुबह पांच बजे से खुले मंदिर, पूजन का विशेष विधान
गोला रोड स्थित दुर्गा स्थान मंदिर के पुजारी ने बताया कि नवमी तिथि को माता के नवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस अवसर पर भोर पांच बजे से ही मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। श्रद्धालुओं ने अखंड श्रद्धा से माता का पूजन, पाठ, हवन और आरती की।
पुजारी ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों तक की गई साधना और उपासना का पूर्ण फल नवमी के दिन ही मिलता है। अगर कोई व्यक्ति केवल इस दिन सच्चे मन से माता की भक्ति करता है, तो उसे भी माता सिद्धिदात्री का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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श्रद्धा और सौहार्द का उत्सव बना नवरात्रि का समापन
चैत्र नवरात्रि का यह अंतिम दिन पूरे जिले के लिए आस्था, विश्वास और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बन गया। मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भक्ति और संस्कृति आज भी जन-जन के हृदय में जीवित है। इस पूरे आयोजन में प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।