Bihar Election: आठ दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरेगा इंडिया गठबंधन, कौन कितनी सीटों पर लड़ना चाह रहा? जानिए
इंडिया गठबंधन में आठ दल चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। हालांकि, कौन सा दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा यह अब तक साफ नहीं हुआ। सीटों को लेकर खींचतान जारी है। कांग्रेस ने साफ कहा है कि हर दल को सीट छोड़नी पड़ेगी, तभी इंडिया गठबंधन मजबूत होगा।


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विस्तार
बिहार विधानसभाा चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दलों सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। दोनों गठबंधन में से किसी में अब तक सीट बंटवारे का फैसला नहीं हुआ है। इधर, अब और दो राजनीतिक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और लोक जनशक्ति पार्टी (पारस गुट) इंडिया गठबंधन में जुड़ गए हैं। यानी अब इंडिया गठबंधन इस बार आठ दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरेगा। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि दो नए दलों के जुड़ने से इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों के माथे पर सीट बंटवारे का शिकन दिखने लगा है। क्योंकि, कांग्रेस पहले से 80 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है। मुकेश सहनी की पार्टी ने 50 सीट और डिप्टी सीएम का पद मांगा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट वामदल का ही रहा था। इसको देखते हुए वामदल भी पिछले बार से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है। ऐसे में सीटों का बंटवारे के लेकर इंडिया में समीकरण और उलझ गए हैं।
मुकेश सीट डिप्टी सीएम का पद और 50 सीट चाह रहे
इधर, सीट बंटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में कई बैठक कर चुकी है लेकिन सीट बंटवारें को लेकर कुछ जानकारी अब सामने नहीं आई है। इधर, विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी खुद को चुनाव में जीत पर डिप्टी सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मुकेश सहनी को 15 से 20 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि इस पर भी इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को आपत्ति होगी। क्योंकि वीआईपी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ चार सीट पर ही जीत मिली थी।
बिहार चुनाव में महागठबंधन नहीं INDIA उतरेगा

कांग्रेस 60 से कम सीटों पर लड़ना नहीं चाह रही
वहीं कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसमें से 19 पर ही जीत मिली थी। राजद और वामदल समेत अन्य दल भी चाहते हैं कि इस बार कांग्रेस के खाते में पिछली बार से कम सीट आए। लेकिन, कांग्रेस 60 से कम सीट पर मानेगी नहीं। हालांकि, खुद को कांग्रेसी बताने वाले सांसद पप्पू यादव कांग्रेस को 100 सीटें दिलाने की वकालत कर रहे हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने 80 सीटों की इच्छा जताई है। वहीं पिछले चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) छह सीटों पर चुनाड़ लड़ी थी। इसमें से दो सीटों पर जीत मिली थी। भाकपा माले ने 19 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसमें से 12 सीटों पर जीत मिली थी था। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी चार सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इसमें दो सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में वामदल 40 से कम सीट पर चुनाव लड़ना नहीं चाह रहा।
पासवान और आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी
इंडिया गठबंधन की योजना पशुपति पारस को शामिल कर पासवान वोटों में सेंध लगाने की है। पारस लंबे समय से अलौली (खगड़िया) से विधायक रहे हैं। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि गठबंधन में इन्हें दो से तीन सीटें मिल सकती हैं। वहीं झारखंड में राजद और कांग्रेस, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ चुनाव लड़ चुकी है। सरकार में भी है। बिहार में बांका, भागलपुर, पूर्णिया समेत कुछ जिलों आदिवासियों की संख्या है। बांका और भागलपुर के कुछ इलाके संथाल परगना से सटते हैं। इसलिए झारखंड से सटी हुई इन जिले के कुछ सीमावर्ती सीटों पर हेमंत सोरेन की पार्टी को मौका मिल सकता है। इससे आदिवासी वोट बैंक में भी सेंधमारी हो सकती है। हालांकि झामुमो ने बिहार की 16 विधानसभा सीटों- कटोरिया, चकाई, ठाकुरगंज, कोचाधामन, रानीगंज, बनमनखी, धमदाहा, रुपौली, प्राणपुर, छातापुर, सोनवर्षा, झाझा, रामनगर, जमालपुर, तारापुर, मनिहारी पर उतरने की इच्छा जताई है।