Bihar SIR: 99.5% मतदाताओं ने कराया दस्तावेज सत्यापन, 30 सितंबर को फाइनल लिस्ट; BJP-RJD ने भी दर्ज की आपत्तियां
Bihar SIR: भाजपा ने मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए 16 आपत्तियां दर्ज कराई हैं। नाम हटाने की मांग करने वाली भाजपा एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है। भाकपा-माले (लिबरेशन) ने 103 नाम हटाने की मांग की है। यह बिहार की एक मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय पार्टी है। इसके अलावा, भाकपा-माले और राजद ने मिलकर 25 नाम मतदाता सूची में जोड़ने की मांग की है।
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बिहार में मतदाता सूची से नाम जोड़ने और हटाने के लिए एक महीने तक चला विशेष अभियान सोमवार को समाप्त हो गया। इस दौरान 36 हजार से अधिक लोगों ने अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाने के लिए आवेदन दिया। वहीं, 2.17 लाख से अधिक लोगों ने ऐसे नाम हटाने की मांग की, जिनके बारे में उनका दावा है कि उन्हें गलत तरीके से प्रारूप मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया है।
भाजपा ने मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए 16 आपत्तियां दर्ज कराई हैं। नाम हटाने की मांग करने वाली भाजपा एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी है। भाकपा-माले (लिबरेशन) ने 103 नाम हटाने की मांग की है। यह बिहार की एक मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय पार्टी है। इसके अलावा, भाकपा-माले और राजद ने मिलकर 25 नाम मतदाता सूची में जोड़ने की मांग की है। राजद भी बिहार की मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय पार्टी है।मतदाता सूची का प्रारूप 1 अगस्त को प्रकाशित किया गया था और 1 सितंबर तक व्यक्तियों व राजनीतिक दलों को उस पर ‘आपत्ति और दावा’ करने का अधिकार था।
चुनाव कानून के तहत लोगों और पार्टियों को यह अधिकार है कि वे ऐसे नामों पर आपत्ति दर्ज करा सकें जिन्हें वे अयोग्य मानते हैं। इसी तरह, जो लोग खुद को योग्य मानते हैं लेकिन प्रारूप सूची में उनका नाम शामिल नहीं है, वे नाम जोड़ने की मांग कर सकते हैं। संभावित रूप से नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
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1 सितंबर के बाद भी दाखिल किए जा सकते हैं सुधार-दावे और आपत्तियां
इसी बीच, चुनाव आयोग ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान तैयार प्रारूप मतदाता सूची में दावे, आपत्तियां और सुधार 1 सितंबर के बाद भी दाखिल किए जा सकते हैं। हालांकि, इन्हें अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद ही विचार में लिया जाएगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनाव आयोग की इस दलील पर गौर किया। आयोग ने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक दावे और आपत्तियां ली जा सकती हैं।
शीर्ष अदालत ने बिहार SIR को लेकर बनी भ्रम की स्थिति को भरोसे का मुद्दा बताते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह पैरा लीगल वालंटियर नियुक्त करे ताकि व्यक्तिगत मतदाताओं और राजनीतिक दलों को दावे और आपत्तियां दाखिल करने में मदद मिल सके। आयोग के अनुसार, बिहार के 7.24 करोड़ मतदाताओं में से अब तक 99.5 प्रतिशत ने सत्यापन के लिए अपने दस्तावेज जमा किए हैं।
शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह मतदाता सूची में नाम जोड़ने के इच्छुक लोगों से पहचान के लिए आधार कार्ड या अन्य 11 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से किसी को भी स्वीकार करे। चुनाव आयोग ने अदालत से अपील की है कि बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से संपन्न कराने के लिए उस पर भरोसा किया जाए।