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Bihar Election Result: सामने आए प्रशांत किशोर, अब राजनीति छोड़ने की नई मियाद और शर्त बताई; मौन व्रत का एलान भी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: आदित्य आनंद Updated Tue, 18 Nov 2025 12:18 PM IST
सार

Prashant Kishor : जदयू को 25 सीटें आने पर राजनीति छोड़ने और खुद बिहार विधानसभा की 243 में से 125 सीटें का दावा करने के बाद परिणाम में शून्य पर रहे जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने अब प्रायश्चित के लिए मौन उपवास का एलान किया है।

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जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार विधानसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली जनसुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आखिरकार सामने आ ही गए। पटना में उन्होंने प्रेस वार्ता की। उन्होंने पार्टी की हार की जिम्मेदारी ली। उन्होंने कहा कि हमलोगों से जरूर कुछ गलती हुई है। इसलिए ऐसा परिणाम दिया। जनता ने हमलोगों को नहीं चुना। जनता ने हमलोगों पर विश्वास नहीं दिखाया। इस हार की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरी है। जिस प्रयास से हमलोग जुड़े थे, उनका विश्वास नहीं जीत पाया। हमलोग सामूहिक तौर पर हारे हैं। जो लोग जीतकर आए, उन्हें मैं बधाई देता हूं। सीएम नीतीश कुमार और भाजपा को बधाई। हमलोग बिहार से गरीबी दूर करने और पलायन कम होने की कामना करते हैं। मैं बिहार की जनता की अपेक्षाओं पर खड़ा नहीं उतर सका, इसके लिए मैं माफी चाहता हूं। प्रायश्चित के तौर पर मैं भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिन का मौन उपवास रखूंगा। जो भी जनसुराज के साथी हैं, सभी लोग भितिहरवा गांधी आश्रम में 24 घंटे का उपवास रखूंगा। 

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प्रशांत किशोर ने कहा कि गलती हो सकती है। लेकिन, हमने गुनाह नहीं किया है। मैं सिर उठाकर कह सकता हूं कि मैंने कोई गुनाह नहीं किया है। मैंने जातियों का जहर फैलाने का गुनाह नहीं किया। मैंने जनता का मत खरीदने की कोशिश नहीं की। जिस तरह महाभारत में अभिमन्यु को घेरकर छल से मार दिया गया। लेकिन, महाभारत नहीं जीता नहीं गया। जीत उसकी ही हुई जो धर्म के साथ थे। हमलोग फिर से खड़े होंगे। हमलोग जब तक जीतेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं। जब तक व्यवस्था को सुधार नहीं देते तब तक पीछे नहीं हटेंगे। अब दोगुनी मेहनत से बिहार की जनता के लिए काम करेंगे।
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प्रशांत किशोर ने कहा कि 10 हजार रुपये की बड़ी चर्चा हो रही है। यह बात सही नहीं है। 10 हजार रुपये के लिए जनता अपने बच्चों का भविष्य नहीं बेच सकते हैं। लोगों ने सिर्फ 10 हजार रुपये के लिए अपना वोट नहीं बेचा। चुनाव आयोग पर भी टीका-टिप्पणी करने का वक्त नहीं है। पूरा सरकारी तंत्र लगाया गया यह बताने में कि अगर आप एनडीए को वोट करते हैं, आप दो लाख रुपये दिया जाएगा। इसके लिए 10 हजार रुपये बयाना के तौर पर दिया गया। हर विधानसभा जीविका, आंगनबाड़ी, ममता, प्रवासी मजदूरों को करीब 29 हजार करोड़ रुपये सरकार ने बांट दिए। 40 हजार करोड़ रुपये की योजना लाई।



हमलोग आपके लिए लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं
प्रशांत किशोर ने कहा कि सरकार से मैं अपील करता हूं कि आपने जिन्हें 10 हजार रुपये दिए, उन सभी महिलाओं को दो लाख रुपये दे दीजिए। ताकि वह अपना रोजगार खड़ा कर सके। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 10 हजार रुपये केवल वोट के लिए खरीदे गए। मैंने जदयू को 25 सीटों से अधिक आने पर मैंने राजनीति से संन्यास लेने की बात कही थी। मैं इस पर अब भी अडिग हूं। नीतीश कुमार को 25 सीट से ज्यादा न आनी चाहिए थी और न आती। लेकिन, 10 हजार रुपये देकर उन्होंने वोट खरीदा। मैंने आज एलान करता हूं कि अगले छह महीने में एनडीए सरकार ने 10 हजार देने वालों को दो लाख रुपये दे देगी तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। मैंने आपको शिकायत करने के लिए नंबर भी जारी कर दिया। यह चौबीसों घंटे सातों दिन चालू रहेगा। अगर आपके खाते में दो लाख रुपये छह महीने के अंदर नहीं आते हैं तो आप इस पर फोन कर जानकारी दें। हमलोग आपके लिए लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। 

'मैं जनसुराज में किसी पद पर नहीं हूं, इसलिए संन्यास नहीं ले सकता'
वहीं जदयू को 25 सीटों से अधिक आने पर सन्यास लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं जनसुराज में किसी पद पर नहीं हूं। इसलिए मैं किस हक से संन्यास लूं। मैंने राजनीति छोड़ने की बात कही थी। मैं इस बात पर अडिग हूं। मैंने राजनीति नहीं कर रहा हूं। नीतीश सरकार ने डेढ़ करोड़ लोगों को 10-10 हजार रुपये दिए हैं। पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान पैसे बांटने दिए, यह उनकी गलती है? इस पर मैंने टिप्पणी नहीं करूंगा। प्रशांत किशोर ने दावा किया कि हमलोग हारे नहीं हैं। हमलोग तो रेस में ही नहीं हैं। 

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पीके ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी पर भी उठाया सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि मधुबनी क्षेत्र में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का सिंबल कोई नहीं जानता है। लेकिन, उस क्षेत्र में सवा लाख वोट आया। जो लोग कई साल से वहां राजनीति कर रहे हैं, उन्हें हजार में वोट आया है। कई सीटें ऐसी है कि चुनाव से 10 दिन पहले तय हुआ कि इस सीट से कौन सी पार्टी चुनाव लड़ेगी? इसके बाद उस पार्टी उन सीटों पर एक लाख से ज्यादा वोट आया है। मेरा यही सवाल है कि ऐसी कौन सी विधा है कि यह लोग ऐसा कर दिए। हमलोग तीन साल से उस क्षेत्र में घूमे। करीब 30 प्रतिशत लोगों को उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का सिंबल नहीं पता था। ऐसे में एक लाख से ज्यादा वोट कैसे आ गया? यह बड़ा सवाल है। 

पाकिस्तान के इमरान खान का भी पीके ने दिया उदाहरण
प्रशांत किशोर ने पाकिस्तानी में इमरान खान के चुनाव लड़ने के मॉडल का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान में इमरान खान ने करीब 25-30 साल पहले अपनी पार्टी शुरू की। उनकी पार्टी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ी थे। सभी सीटों पर इमरान खान की पार्टी हार गई। तो मेरे चुनाव लड़ने या नहीं लड़ना फैसला एक अलग विषय है लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि पिछले तीन साल में जनसुराज ने जो भी प्रयास किया, उसे जनता ने स्वीकार नहीं किया। मुझे लालू यादव, नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी, अशोक चौधरी जैसे धुरंधर नेताओं की तरह बिहार की समझ नहीं है। क्योंकि, मैंने भ्रष्टाचार नहीं किया। मुझे नहीं समझ है कि बिहार को जातियों, धर्म के नाम पर बिहार को कैसे बांटा जाए? मुझे नहीं समझ है कि बिहार में 10 हजार रुपया देकर वोट कैसे खरीदे जाए।

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