सात साल बाद 2019 में गोल्ड ईटीएफ में बढ़ा निवेश, 16 करोड़ का किया निवेश
- वैश्विक बाजार में मंदी के डर से निवेशकों ने पैसा लगाना ज्यादा सुरक्षित समझा
- 16 करोड़ रुपये का निवेश आया पिछले साल गोल्ड ईटीएफ में
- अमेरिका-ईरान तनाव और वैश्विक मंदी के कारण शेयर बाजार से सतर्कता बरत रहे निवेशक
विस्तार
निवेशकों ने सात साल के अंतराल के बाद 2019 में गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में पैसे लगाए। इससे पहले वे लगातार सात साल तक गोल्ड ईटीएफ से पूंजी की निकासी करते रहे हैं। हालांकि, वैश्विक बाजार में मंदी के डर और इक्विटी एवं ऋण बाजार में उतार-चढ़ाव से कारण निवेशकों ने पिछले साल गोल्ड ईटीएफ में 16 करोड़ रुपये का निवेश किया।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषक मैनेजर (रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका एवं ईरान के बीच तनाव में हालिया वृद्धि और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के खतरे संकेत को देखते हुए निवेशक इक्विटी और ऋण बाजार में पैसे लगाने में सतर्कता बरत रहे हैं। हालांकि, सुरक्षित निवेश और अधिक लाभ मिलने की संभावना के कारण गोल्ड ईटीएफ में पैसे लगाने को तवज्जो दे रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर, 2019 के अंत तक गोल्ड फंडों में प्रबंधन के तहत संपत्ति में 26 फीसदी की तेजी आई है। यह दिसंबर, 2018 के 4,571 करोड़ रुपये के मुकाबले बढ़कर 5,768 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
2012 में आया था आखिरी बार निवेश
पिछले कुछ वर्षों से खुदरा निवेशकों ने मजबूत रिटर्न मिलने के कारण गोल्ड ईटीएफ के मुकाबले इक्विटी में ज्यादा निवेश किया है। एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, निवेशकों ने पिछले साल 14 गोल्ड लिंक्ड ईटीएफ में 16 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि 2018 में उन्होंने 571 करोड़ रुपये की निकासी की थी। इससे पहले भी निवेशकों ने पैसे लगाने के लिए सुरक्षित गोल्ड ईटीएफ से 2013 में 1,815 करोड़, 2014 में 1,651 करोड़, 2015 में 891 करोड़, 2016 में 942 करोड़ और 2017 में 730 करोड़ रुपये निकाले। हालांकि, 2012 में गोल्ड ईटीएफ में 1,826 करोड़ रुपये का निवेश आया था।
वैश्विक बाजार में मंदी ने बढ़ाया आकर्षण
श्रीवास्तव का कहना है कि वैश्विक बाजार में मंदी के डर की वजह से हाल के समय में निवेशकों ने सोने में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित समझा। इसी कारण 2019 में सोने की कीमतों में काफी तेजी आई। इसके अलावा, सोने में पैसे लगाना निवेशकों के पोर्टफोलियो को अलग आयाम देता है। यही कारण है कि 2011 के बाद गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिहाज से 2019 सबसे बेहतर साल में से एक रहा। उन्होंने आगे कहा कि बाजार मूल्यांकन में बदलाव और पीली धातु की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से प्रबंधन के तहत संपत्ति में वृद्धि दर्ज की गई।
अतिरिक्त दिलचस्पी से बढ़ सकता है सोने का भाव
एसबीआई म्यूचुअल फंड के एमडी एवं सीईओ अश्विनी भाटिया ने कहा कि एसेट क्लास के रूप में गोल्ड ईटीएफ ज्यादा पसंद किया जाता है। आदर्श रूप में इसे हर निवेशक के पोर्टफोलियो का हिस्सा होना चाहिए क्योंकि यह अन्य एसेट के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश देखना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन मेरा मानना है कि गोल्ड ईटीएफ में अतिरिक्त दिलचस्पी पैदा करना इक्विटी और ऋण बाजार दोनों में अस्थिरता लाना है। साथ ही सोने की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है।