रुपया धड़ाम: तीन महीने की सबसे बड़ी गिरावट, डॉलर के मुकाबले 89 के ऑल-टाइम लो पर- जानिए बाजार में हलचल क्यों?
Rupee All Time Low: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.67 पर खुला और 82 पैसे गिरकर 89.50 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। बाजार बंद होने के दौरान यह अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 89.40 पर कारोबार करता दिखा। गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 20 पैसे गिरकर 88.68 पर बंद हुआ था। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
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विस्तार
घरेलू और वैश्विक शेयर बाजारों से नकारात्मक संकेतों के बीच शुक्रवार को कारोबार के दौरान रुपये में तीन महीने से अधिक समय में सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट देखी गई। इस गिरावट के बाद रुपया पहली बार 89 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया। रुपये में 78 पैसे की गिरावट आई और यह 89.46 रुपये प्रति डॉलर पर कारोबार करता दिखा।
रुपये में 82 पैसे की सबसे तेज गिरावट
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.67 पर खुला और 82 पैसे गिरकर 89.50 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। बाजार बंद होने के दौरान यह अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 89.40 पर कारोबार करता दिखा। गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 20 पैसे गिरकर 88.68 पर बंद हुआ था।
रुपये में गिरावट के प्रमुख कारण?
- अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की दर कटौती की उम्मीदों में कमी: पहले बाजार को उम्मीद थी कि फेड दरों में कटौती करेगा, जिससे डॉलर कमजोर होता। लेकिन जब यह उम्मीद फीकी पड़ी, तो डॉलर मजबूत हुआ और रुपये पर दबाव बढ़ा।
- अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता: व्यापार समझौते पर स्पष्टता न होने से विदेशी निवेशकों का भरोसा कम हुआ, जिससे पूंजी का बहिर्गमन बढ़ा।
- अमेरिकी टैरिफ का असर: अगस्त के अंत से भारतीय निर्यात पर भारी अमेरिकी टैरिफ लगने के बाद से रुपये पर लगातार दबाव बना हुआ है। इससे भारत का व्यापार संतुलन प्रभावित हुआ और विदेशी मुद्रा की मांग बढ़ी।
- विदेशी निवेशकों की निकासी: इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी से लगभग $16.5 बिलियन निकाल लिया है, जिससे डॉलर की मांग बढ़ी और रुपये कमजोर हुआ।
- आरबीआई की ओर से रुपये को थामने में बरती गई नरमी: पहले आरबीआई ने 88.80 स्तर पर रुपये को बचाने की कोशिश की थी, लेकिन अब उसने 89.50 के आसपास हस्तक्षेप किया। इस बदलाव से बाजार में रुपये के खिलाफ शॉर्ट पोज़िशन और बढ़ गई।
- आयातकों की हेजिंग और निर्यातकों की कम गतिविधि: आयातकों की डॉलर खरीदारी और निर्यातकों की कम बिक्री ने भी रुपये पर दबाव डाला।
रुपये में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट जुलाई में दिखी थी
इससे पहले रुपया 30 सितंबर को 88.85 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंचा था। इससे पहले इसका सबसे निचला बंद स्तर 14 अक्तूबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.81 दर्ज किया गया था। भारतीय मुद्रा में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट 30 जुलाई को देखी गई थी, जब इसमें 89 पैसे की गिरावट आई थी। इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.04 प्रतिशत बढ़कर 100.05 पर पहुंच गया।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 62.64 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 360.40 अंक या 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85,272.28 पर कारोबार करता दिखा, जबकि निफ्टी 111.05 अंक या 0.41 प्रतिशत की गिरावट के साथ 26,081.10 पर पहुंचा।
एफआईआई ने गुरुवार को 283.65 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने गुरुवार को शुद्ध आधार पर 283.65 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी खरीदी। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि देश के आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में वृद्धि की गति अक्तूबर में साल-दर-साल स्थिर रही, क्योंकि पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों, उर्वरक और इस्पात के उत्पादन में वृद्धि के बावजूद कोयला और बिजली उत्पादन में कमी आई। कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, बिजली, उर्वरक और इस्पात के आठ प्रमुख उद्योगों में सितंबर में 3.3 प्रतिशत और अक्टूबर 2024 में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।