CareEdge Report: बैंकों का एनपीए दूसरी तिमाही में घटकर 2.1%, लोन देने की रफ्तार 11.7 फीसदी तक बढ़ी
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग सेक्टर की वित्तीय सेहत और मजबूत होती दिख रही है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में बैंकों के गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। वहीं बैंक ऋण वितरण में 11.7% सालाना वृद्धि दर्ज की गई।
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देश के बैंकिंग सेक्टर की वित्तीय सेहत और मजबूत होती दिख रही है। केयरएज रेटिंग्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में बैंकों के गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का सकल एनपीए (GNPA) अनुपात घटकर 2.1% पर आ गया है। यह पिछले वर्ष इसी अवधि में 2.6% था। इसमें बताया गया है कि बैंकों का सकल एनपीए 11.1% सालाना गिरावट के साथ ₹4.05 लाख करोड़ पर पहुंच गया है।
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बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार
रेटिंग एजेंसी ने बताया कि बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार मजबूत रिकवरी, उपयुक्त अपग्रेड, कम नई स्लिपेज, और पोर्टफोलियो की सफाई, जिसमें बड़े पैमाने पर राइट-ऑफ और एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों (एआरसी) को बिक्री शामिल है।
इसके विपरीत, शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात लगातार तीसरी तिमाही में 0.5% पर स्थिर रहा, जबकि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में यह 0.6% था। रिपोर्ट के अनुसार, नेट एनपीए में सालाना आधार पर 9.9% गिरावट आई है, जिससे यह घटकर ₹0.88 लाख करोड़ रह गया।
तिमाही आधार पर भी सुधार जारी रहा। एससीबी के सकल एनपीए में 4.2% और नेट एनपीए में 5.1% की गिरावट दर्ज की गई। यह मुख्य रूप से कम स्लिपेज, प्रभावी रिकवरी, अपग्रेड, और एआरसी बिक्री के जरिए एनपीए समाधान में तेजी के कारण हुआ है।
क्रेडिट ग्रोथ बनी हुई है मजबूत
रिपोर्ट के अनुसार, क्रेडिट ग्रोथ मजबूत बनी हुई है। दूसरी तिमाही में बैंक ऋण वितरण में 11.7% सालाना वृद्धि दर्ज की गई, जो जमा वृद्धि के 9.7% से तेज रही। उम्मीद है कि दूसरी छमाही में जमा संग्रह में सुधार होगा, हालांकि समग्र क्रेडिट ग्रोथ मध्यम स्तर पर बनी रह सकती है।
परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि नियंत्रित स्लिपेज और जारी रिकवरी के चलते बैंकिंग सिस्टम मजबूत स्थिति में रहेगा। हालांकि रिपोर्ट ने चेतावनी भी दी है कि कम राशि वाले अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन और माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में तनाव बरकरार है। इसके अलावा, अमेरिका की टैरिफ नीतियों, वैश्विक आर्थिक सुस्ती, और घरेलू नियामकीय बदलावों के संभावित असर से आने वाले महीनों में क्रेडिट विस्तार और परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव बढ़ सकता है।