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Tariff: भारत ने अमेरिकी टैरिफ के असर से खुद को बचाया, रूसी तेल आयात घटाकर व्यापार समझौते में बनाई मजबूत स्थिति
अमर उजाला ब्यूरो/एजेंसी
Published by: शिवम गर्ग
Updated Fri, 21 Nov 2025 06:33 AM IST
सार
भारत ने 50% अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से खुद को बचाया और रूसी क्रूड आयात में कटौती कर अमेरिका की चिंताओं को कम किया। निर्यात पर सीमित असर के कारण भारत अब व्यापार समझौते की वार्ता में मजबूत स्थिति में है।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के व्लादिमीर पुतिन और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था और 50 फीसदी उच्च टैरिफ का निर्यात पर अनुमान से कम असर पड़ने के चलते अमेरिका से व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत में भारत बेहतर स्थिति में है। सूत्रों एवं विश्लेषकों का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच वार्ता तब भी जारी है, जब जापान और दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई देश टैरिफ घटाने के लिए डील कर रहे हैं। इसके अलावा, भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात में भारी कटौती कर अमेरिका की चिंताएं भी काफी हद तक दूर कर दी है।
मामले से जुड़े सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत ने 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ के सबसे बुरे असर से खुद को बचा लिया है। हालांकि, टेक्सटाइल जैसे कुछ क्षेत्र को अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर में गिरावट आई है। लेकिन, कुल मिलाकर टैरिफ का असर बहुत सीमित रहा है। ऐसे में भारत व्यापार समझौते को लेकर कोई जल्दबाजी करेगा। वह किसानों, मछुआरों और छोटे उद्योगों के हितों का जरूर ध्यान रखेगा।
अधिकारियों एवं विश्लेषकों ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि भारत के रूसी क्रूड आयात में भारी कटौती करने के बाद अमेरिका 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ को खत्म कर देगा और आखिर में कुल 15 फीसदी शुल्क की ओर से बढ़ेगा। उधर, भारत भी 80 फीसदी से ज्यादा वस्तुओं पर आयात शुल्क में कटौती करने के लिए तैयार है। हालांकि, कृषि, छोटे उद्योगों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को बचाए रखेगा।
विश्लेषकों को उम्मीद
अधिकारियों ने कहा, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ संपन्न व्यापार समझौते, कच्चे माल पर टैक्स छूट और निर्यातकों की मदद के लिए 5.1 अरब डॉलर के राहत पैकेज के जरिये भारतीय कंपनियों को नए बाजारों तक पहुंचने में आसानी हो रही है। अमेरिका को निर्यात में आई गिरावट के असर को कम करने के लिए भारतीय निर्यातक अब अफ्रीकी और यूरोपीय बाजारों में माल बेच रहे हैं।
अमेरिकी खरीदारों को साधने पर जोर
फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, भारतीय निर्यातक छूट और लंबी डिलीवरी टाइमलाइन के साथ अमेरिकी खरीदारों को बनाए रखने पर जोर दे रहे हैं। कपड़ा और फुटवियर कंपनियां इसके लिए 20 फीसदी तक खर्च उठा रही हैं।
चीन के सस्ते उत्पाद बढ़ा रहे चिंता
निर्यातकों का कहना है कि तमाम राहतों के बावजूद चीन के सस्ते उत्पाद प्रतिस्पर्धा के लिहाज से चिंता बढ़ा रहे हैं। कई ऐसे बाजार सस्ते चीनी वस्तुओं से भर गए हैं, जहां भारतीय निर्यात प्रतिस्पर्धा करते हैं।
मुंबई की स्पेशलिटी केमिकल बनाने वाली कंपनी ऑप्टिम के सीईओ राहुल टिकू ने कहा, चीनी कंपनियां अच्छी तरह से जमी हुई हैं और उनके घरेलू हालात ने उन्हें वैशि्वक स्तर पर बहुत प्रतिस्पर्धी बना दिया है। अक्तूबर में भारत के गैर-अमेरिकी बाजार में निर्यात में सालाना आधार पर 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो अमेरिका के मुकाबले ज्यादा है। इसकी वजह इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम और आभूषण निर्यात में गिरावट है।
सरकारी राहत प्रतिस्पर्धा में मददगार
निर्यातक संगठनों का कहना है कि सरकार और आरबीआई की शॉर्ट-टर्म लोन मोरेटोरियम समेत टारगेटेड राहत की घोषणा से भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिल रही है। इसके अलावा, सैकड़ों उपभोक्ता वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती से घरेलू मांग भी बढ़ रही है। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव एन थिरुकुमारन ने कहा, मैन-मेड फाइबर जैसे इनपुट पर टैक्स में कटौती से कपड़ा निर्यातकों को मदद मिली है। वे स्टाइल और शिपमेंट साइज के आधार पर कपड़ों पर 10 से 20 फीसदी डिस्काउंट दे रहे हैं।
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मामले से जुड़े सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत ने 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ के सबसे बुरे असर से खुद को बचा लिया है। हालांकि, टेक्सटाइल जैसे कुछ क्षेत्र को अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर में गिरावट आई है। लेकिन, कुल मिलाकर टैरिफ का असर बहुत सीमित रहा है। ऐसे में भारत व्यापार समझौते को लेकर कोई जल्दबाजी करेगा। वह किसानों, मछुआरों और छोटे उद्योगों के हितों का जरूर ध्यान रखेगा।
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अधिकारियों एवं विश्लेषकों ने कहा, उन्हें उम्मीद है कि भारत के रूसी क्रूड आयात में भारी कटौती करने के बाद अमेरिका 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ को खत्म कर देगा और आखिर में कुल 15 फीसदी शुल्क की ओर से बढ़ेगा। उधर, भारत भी 80 फीसदी से ज्यादा वस्तुओं पर आयात शुल्क में कटौती करने के लिए तैयार है। हालांकि, कृषि, छोटे उद्योगों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को बचाए रखेगा।
विश्लेषकों को उम्मीद
- 25% अतिरिक्त टैरिफ खत्म कर सकता है अमेरिका
- 80% से ज्यादा वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाने को भी भारत तैयार
अधिकारियों ने कहा, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ संपन्न व्यापार समझौते, कच्चे माल पर टैक्स छूट और निर्यातकों की मदद के लिए 5.1 अरब डॉलर के राहत पैकेज के जरिये भारतीय कंपनियों को नए बाजारों तक पहुंचने में आसानी हो रही है। अमेरिका को निर्यात में आई गिरावट के असर को कम करने के लिए भारतीय निर्यातक अब अफ्रीकी और यूरोपीय बाजारों में माल बेच रहे हैं।
अमेरिकी खरीदारों को साधने पर जोर
फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, भारतीय निर्यातक छूट और लंबी डिलीवरी टाइमलाइन के साथ अमेरिकी खरीदारों को बनाए रखने पर जोर दे रहे हैं। कपड़ा और फुटवियर कंपनियां इसके लिए 20 फीसदी तक खर्च उठा रही हैं।
चीन के सस्ते उत्पाद बढ़ा रहे चिंता
निर्यातकों का कहना है कि तमाम राहतों के बावजूद चीन के सस्ते उत्पाद प्रतिस्पर्धा के लिहाज से चिंता बढ़ा रहे हैं। कई ऐसे बाजार सस्ते चीनी वस्तुओं से भर गए हैं, जहां भारतीय निर्यात प्रतिस्पर्धा करते हैं।
मुंबई की स्पेशलिटी केमिकल बनाने वाली कंपनी ऑप्टिम के सीईओ राहुल टिकू ने कहा, चीनी कंपनियां अच्छी तरह से जमी हुई हैं और उनके घरेलू हालात ने उन्हें वैशि्वक स्तर पर बहुत प्रतिस्पर्धी बना दिया है। अक्तूबर में भारत के गैर-अमेरिकी बाजार में निर्यात में सालाना आधार पर 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो अमेरिका के मुकाबले ज्यादा है। इसकी वजह इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम और आभूषण निर्यात में गिरावट है।
सरकारी राहत प्रतिस्पर्धा में मददगार
निर्यातक संगठनों का कहना है कि सरकार और आरबीआई की शॉर्ट-टर्म लोन मोरेटोरियम समेत टारगेटेड राहत की घोषणा से भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिल रही है। इसके अलावा, सैकड़ों उपभोक्ता वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती से घरेलू मांग भी बढ़ रही है। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव एन थिरुकुमारन ने कहा, मैन-मेड फाइबर जैसे इनपुट पर टैक्स में कटौती से कपड़ा निर्यातकों को मदद मिली है। वे स्टाइल और शिपमेंट साइज के आधार पर कपड़ों पर 10 से 20 फीसदी डिस्काउंट दे रहे हैं।