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Top 100 Bank: दुनिया के शीर्ष-100 बैंकों में जल्द शामिल होंगे और भारतीय बैंक; अभी सिर्फ SBI और HDFC ही शामिल
अमर उजाला ब्यूरो/एजेंसी
Published by: शिवम गर्ग
Updated Fri, 21 Nov 2025 06:07 AM IST
सार
भारत के और बैंक जल्द ही दुनिया के शीर्ष-100 बैंकों में शामिल हो सकते हैं। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर की मजबूत ग्रोथ और आर्थिक विस्तार से भारत के कई बैंक वैश्विक स्तर पर उभर रहे हैं।
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आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा
- फोटो : PTI
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विस्तार
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा को उम्मीद है कि आर्थिक विस्तार एवं बैंकिंग प्रणाली में वृद्धि की रफ्तार को देखते हुए देश के और बैंक भी जल्द ही दुनिया के शीर्ष-100 बैंकों की सूची में शामिल होंगे। वर्तमान में सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और एचडीएफसी बैंक ही दुनिया के शीर्ष-100 बैंकों की सूची में शामिल हैं। ये दोनों बैंक क्रमशः 43वें और 73वें स्थान पर हैं।
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मल्होत्रा ने बृहस्पतिवार को दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में वीकेआरवी राव स्मृति व्याख्यान के बाद छात्रों से बातचीत में कहा, आरबीआई भारत के कई बड़े बैंकों को वैश्विक सूची में शामिल नहीं कर सकता, जबकि इसमें उन्हें शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में कई बैंक हैं। जिस रफ्तार से वे बढ़ रहे हैं, मुझे लगता है कि यह सिर्फ समय की बात है कि दुनिया के शीर्ष-100 बैंकों में हमारे कई बैंक शामिल होंगे।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, देश को बड़े और वैश्विक स्तर के बैंकों की जरूरत है। यह नए बैंक बनाने से नहीं हो सकता। विलय भी एक रास्ता हो सकता है। इस संबंध में आरबीआई और वित्तीय संस्थानों से बातचीत जारी है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, तेज रफ्तार से बढ़ रहे कई सरकारी व निजी क्षेत्र के बैंक वित्त मंत्री भी दे चुकी हैं वैश्विक स्तर के बैंकों की जरूरत पर जोर
26 फीसदी बढ़ा पीएसबी का लाभ
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंेकों (पीएसबी) को वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 1.78 लाख करोड़ रुपये का कुल मुनाफा हुआ था। यह एक साल पहले की तुलना में 26 फीसदी अधिक है। 2023-24 के दौरान 12 सरकारी बैंकों ने कुल 1.41 लाख करोड़ का मुनाफा कमाया था।
रुपये के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं डॉलर की मांग से आ रही गिरावट
आरबीआई गवर्नर ने कहा, केंद्रीय बैंक ने रुपये के लिए किसी भी स्तर का लक्ष्य नहीं बनाया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में हाल में आई गिरावट की वजह डॉलर की मांग में तेजी है। मल्होत्रा ने कहा, भारतीय रुपये का हालिया अवमूल्यन व्यापारिक गतिविधियों और अमेरिकी टैरिफ के कारण है। हम किसी स्तर को लक्ष्य नहीं बनाते। रुपये में गिरावट क्यों आ रही है? ऐसा मांग के कारण है। डॉलर की मांग है और यह बढ़ती है, तो रुपये में गिरावट आती है। आरबीआई के पास विदेशी मुद्रा का काफी अच्छा भंडार है। बाह्य क्षेत्र को लेकर चिंता की जरूरत नहीं है।