{"_id":"692cd8d14c4ca96e510c40b5","slug":"banks-play-a-trick-raising-interest-rates-on-new-loans-by-0-18-from-october-2025-12-01","type":"story","status":"publish","title_hn":"नुकसान: बैंकों का खेल, अक्तूबर से नए कर्जों पर 0.18 फीसदी तक बढ़ाया ब्याज","category":{"title":"Business Diary","title_hn":"बिज़नेस डायरी","slug":"business-diary"}}
नुकसान: बैंकों का खेल, अक्तूबर से नए कर्जों पर 0.18 फीसदी तक बढ़ाया ब्याज
अजीत सिंह, अमर उजाला
Published by: लव गौर
Updated Mon, 01 Dec 2025 05:23 AM IST
सार
एसबीआई की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी बैंक समूहों ने नए ऋणों पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। जबकि इसी दौरान नई जमा मिलने वाली ब्याज दरों में 0.04 से 0.05 फीसदी तक की कमी की है। इसका मतलब यह है कि बैंकों ने दोनों ओर से ग्राहकों को घाटा दिया है। कर्ज लेने वाले को ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है तो जमा करने वालों को कम ब्याज मिल रहा है।
विज्ञापन
भारतीय रिजर्व बैंक
- फोटो : एएनआई (फाइल)
-
- 1
-
Link Copied
विज्ञापन
विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की इस साल रेपो दर में भारी कटौती के बाद भी कर्ज लेने वाले ग्राहकों को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाया है। उल्टे बैंकों ने अक्तूबर में नए ऋणों पर 0.09 से 0.18 फीसदी तक ब्याज दरें बढ़ा दी है। इससे ग्राहकों को अब किसी भी तरह के लोन के लिए ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ रहा है।
एसबीआई की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी बैंक समूहों ने नए ऋणों पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। जबकि इसी दौरान नई जमा मिलने वाली ब्याज दरों में 0.04 से 0.05 फीसदी तक की कमी की है। इसका मतलब यह है कि बैंकों ने दोनों ओर से ग्राहकों को घाटा दिया है। कर्ज लेने वाले को ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है तो जमा करने वालों को कम ब्याज मिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल फरवरी से लेकर जून तक के बीच आरबीआई ने रेपो दर में एक फीसदी की भारी कटौती की थी। इसके बाद बैंकों ने उधारी और जमा दोनों पर ब्याज दरों में कमी की थी।
हालांकि, फिर भी पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिल पाया था। पर अगस्त और अक्तूबर में रेपो दर अपरिवर्तित रखने के बाद अक्तूबर में दरों को बैंकों ने बढ़ाना शुरू कर दिया। विश्लेषकों का मानना है कि अब दिसंबर में होने वाली मौैद्रिक नीति समिति की बैठक में आरबीआई दरों को कम भी नहीं कर सकता। क्योंकि एक तो महंगाई काफी नीचे है और दूसरे देश की अर्थव्यवस्था की भी रफ्तार अच्छी खासी है।
11.5 फीसदी थी अक्तूबर के अंतिम पखवाड़े में उधारी की वृद्धि दर, जमा की 9.5 फीसदी
प्रमुख बैंकों के होम लोन की ब्याज दरें
ऋण वृद्धि में 11.4 फीसदी की तेजी
आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि 14 नवंबर के अंत तक बैंकों की सालाना कर्ज वृद्धि बढ़कर 11.4 फीसदी हो गई है। जमा की वृद्धि इसी दौरान 10.2 फीसदी की रही है। आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर के अंतिम पखवाड़े में यह 11.5 फीसदी और 9.5 फीसदी थी। हालांकि, इसी दौरान सोने के एवज में लिए जाने वाले कर्ज में 129 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई और यह 41,409 करोड़ रुपये हो गया।
ये भी पढ़ें: Fixed Deposit: आपके पास समय और जोखिम लेने की क्षमता है तो... एफडी के लिए बैंक के अलावा और भी हैं विकल्प
बैंकों में 2.60 लाख करोड़ की नकदी आई
आरबीआई ने जून की बैठक में नकद आरक्षित अनुपाच यानी सीआरआर में एक फीसदी की भारी कटौती की थी। इसे चार बार में बैंकों के पास आना था। इसकी अंतिम किस्त 29 नवंबर को पूरी हो गई। इससे बैंकों के लिए कुल लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये की नकदी जारी की गई। इससे बैंकों को कर्जों की ब्याज दरों में कमी करने का अवसर मिला, पर उल्टे बैंकों ने कर्जों को महंगा कर दिया।
Trending Videos
एसबीआई की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी बैंक समूहों ने नए ऋणों पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। जबकि इसी दौरान नई जमा मिलने वाली ब्याज दरों में 0.04 से 0.05 फीसदी तक की कमी की है। इसका मतलब यह है कि बैंकों ने दोनों ओर से ग्राहकों को घाटा दिया है। कर्ज लेने वाले को ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है तो जमा करने वालों को कम ब्याज मिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल फरवरी से लेकर जून तक के बीच आरबीआई ने रेपो दर में एक फीसदी की भारी कटौती की थी। इसके बाद बैंकों ने उधारी और जमा दोनों पर ब्याज दरों में कमी की थी।
विज्ञापन
विज्ञापन
हालांकि, फिर भी पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिल पाया था। पर अगस्त और अक्तूबर में रेपो दर अपरिवर्तित रखने के बाद अक्तूबर में दरों को बैंकों ने बढ़ाना शुरू कर दिया। विश्लेषकों का मानना है कि अब दिसंबर में होने वाली मौैद्रिक नीति समिति की बैठक में आरबीआई दरों को कम भी नहीं कर सकता। क्योंकि एक तो महंगाई काफी नीचे है और दूसरे देश की अर्थव्यवस्था की भी रफ्तार अच्छी खासी है।
11.5 फीसदी थी अक्तूबर के अंतिम पखवाड़े में उधारी की वृद्धि दर, जमा की 9.5 फीसदी
प्रमुख बैंकों के होम लोन की ब्याज दरें
- भारतीय स्टेट बैंक: 7.50-8.70 फीसदी
- पंजाब नेशनल बैंक: 8.25-10.65 फीसदी
- बैंक ऑफ बड़ौदा: 7.45-9.20 फीसदी
- आईसीआईसीआई बैंक: 8.75-8.85 फीसदी
- एचडीएफसी बैंक: 7.90-13.20 फीसदी
- एक्सिस बैंक: 8.35-9.10 फीसदी
ऋण वृद्धि में 11.4 फीसदी की तेजी
आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि 14 नवंबर के अंत तक बैंकों की सालाना कर्ज वृद्धि बढ़कर 11.4 फीसदी हो गई है। जमा की वृद्धि इसी दौरान 10.2 फीसदी की रही है। आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर के अंतिम पखवाड़े में यह 11.5 फीसदी और 9.5 फीसदी थी। हालांकि, इसी दौरान सोने के एवज में लिए जाने वाले कर्ज में 129 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई और यह 41,409 करोड़ रुपये हो गया।
ये भी पढ़ें: Fixed Deposit: आपके पास समय और जोखिम लेने की क्षमता है तो... एफडी के लिए बैंक के अलावा और भी हैं विकल्प
बैंकों में 2.60 लाख करोड़ की नकदी आई
आरबीआई ने जून की बैठक में नकद आरक्षित अनुपाच यानी सीआरआर में एक फीसदी की भारी कटौती की थी। इसे चार बार में बैंकों के पास आना था। इसकी अंतिम किस्त 29 नवंबर को पूरी हो गई। इससे बैंकों के लिए कुल लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये की नकदी जारी की गई। इससे बैंकों को कर्जों की ब्याज दरों में कमी करने का अवसर मिला, पर उल्टे बैंकों ने कर्जों को महंगा कर दिया।