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Karnataka: मासिक धर्म अवकाश नीति पर विवाद, बंगलूरू होटल एसोसिएशन ने सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 01 Dec 2025 01:54 PM IST
सार

बंगलूरू होटल एसोसिएशन ने राज्य सरकार के मासिक धर्म अवकाश के फैसले को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने खुद सरकारी विभागों में कार्यरत महिलाओं को ऐसी छुट्टी नहीं दी है। आइए विस्तार से जानते हैं। 

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Controversy erupts over menstrual leave policy; Bengaluru Hotel Association challenges government order in HC
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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बंगलूरू के होटल एसोसिएशन ने राज्य सरकार की अनिवार्य मासिक धर्म अवकाश के आदेश के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया है। कर्नाटक सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश अनिर्वाय कर दिया है। 

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एसोसिएशन का आरोप सरकारी विभागों पर यह आदेश नहीं लागू

एसोसिएशन ने आदेश के आधार पर ही सवाल उठाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि राज्य सरकार ने खुद सरकारी विभागों में कार्यरत महिलाओं को ऐसी छुट्टी नहीं दी है।

महिला कर्मचारियों के लिए 12 दिन तक का अवकाश

श्रम विभाग ने 12 नवंबर, 2025 को  एक अधिसूचना जारी की। इसमें कारखाना अधिनियम 1948, कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम 1961, बागान श्रम अधिनियम 1951, बीड़ी और सिगार श्रमिक अधिनियम 1966 और मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम 1961 के अंतर्गत आने वाले सभी प्रतिष्ठानों को निर्देश दिया गया कि वे स्थायी, अनुबंध और आउटसोर्स कर्मचारियों सहित सभी महिला कर्मचारियों को प्रति माह एक दिन का मासिक धर्म अवकाश प्रदान करें, जो कि वर्ष में 12 दिन तक होगा।

राज्य सरकार का आदेश है भेदभावपूर्ण भरा

बीएचए की याचिका में कहा गया है कि इनमें से कोई भी कानून सरकार को मासिक धर्म अवकाश को अनिवार्य करने का अधिकार नहीं देता है। उन्होंने तर्क दिया गया है कि अवकाश नीतियां व्यक्तिगत संगठनों के आंतरिक प्रशासनिक क्षेत्र में आती हैं।

इसने आदेश को भेदभावपूर्ण बताया व कहा कि महिलाओं के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक होने के बावजूद, राज्य ने अपने कार्यबल के लिए ऐसा प्रावधान लागू नहीं किया है। इस मामले में एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता बी.के.प्रशांत कर रहे हैं। बीएचए के मानद अध्यक्ष पीसी राव के अनुसार, यह याचिका जल्द ही न्यायमूर्ति ज्योति मूलमणि की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होने की उम्मीद है।

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