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एसबीआई की रिपोर्ट: बैंकों के लिए खुशखबरी! कंपनियों के आईपीओ का पैसा खत्म, अब फिर बढ़ेगी लोन की रफ्तार

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 01 Dec 2025 12:17 PM IST
सार

SBI Report: एसबीआई ने साफ किया है कि हाल ही में लोन की मांग में जो कमी आई थी, वो कोई बड़ी परेशानी नहीं थी, बल्कि बस कुछ समय की बात थी। चीजें फिर बदलने लगी हैं। ऐसे में लोन की मांग अब फिर बढ़ने का अनुमान है। भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी रिपोर्ट में क्या-क्या कहा है, आइए जानते हैं विस्तार से। 

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SBI Predicts Credit Growth to Pick Up as IPO Liquidity Dries Up and Working Capital Demand Rises
एसबीआई, प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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बैंकिंग सेक्टर के लिए एक अच्छी खबर है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक नई रिपोर्ट आई है जो कहती है कि बैंकों का लोन बांटना जो पिछले कुछ समय से थोड़ा धीमा पड़ गया था, अब फिर से तेजी पकड़ने वाला है। रिपोर्ट का कहना है कि जैसे-जैसे कंपनियों को अपने रोज़मर्रा के काम-काज के लिए पैसों की ज़रूरत पड़ेगी, लोन की मांग भी बढे़गी।

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लोन की रफ्तार क्यों धीमी पड़ी? 

एसबीआई ने साफ किया है कि हाल ही में लोन की मांग में जो कमी आई थी, वो कोई बड़ी परेशानी नहीं थी, बल्कि बस कुछ समय की बात थी। इसका सबसे बड़ा कारण था शेयर बाज़ार में आईपीओ (IPOs) की बाढ़!  ढेर सारी कंपनियों ने आईपीओ लाकर बाज़ार से खूब पैसा उठा लिया। जब जेब में आईपीओ का सस्ता पैसा आ गया, तो कंपनियों ने सोचा, "बैंक से लोन लेकर ब्याज़ क्यों भरें?" उन्होंने उसी पैसे से अपने काम निपटा लिए और पुराने लोन भी चुका दिए। इसी वजह से बैंकों का धंधा थोड़ा मंदा हो गया था। एसबीआई की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, "वो आईपीओ वाला पैसा अब लगभग खर्च हो चुका है, तो अब कंपनियों को फिर से बैंकों के दरवाजे खटखटाने ही पड़ेंगे!"

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एसबीआई ने पुराने रिकॉर्ड खंगाले तो एक दिलचस्प बात सामने आई। वैसे तो आईपीओ और बैंक लोन में कोई सीधा 'एक-के-बदले-एक' वाला कनेक्शन नहीं है, लेकिन अक्सर ऐसा देखा गया है कि ये दोनों उल्टी दिशा में चलते हैं। जिस साल कंपनियों ने आईपीओ से अधिक पैसा जुटाया, उस साल उन्होंने बैंकों से कम उधार लिया। जब शेयर बाज़ार से पैसा मिल रहा हो, तो बैंक के पास कौन जाएगा? आंकड़े बताते हैं कि जिन सेक्टर्स ने आईपीओ में धूम मचाई, उन्होंने ही बैंक लोन कम लिए। इन क्षेत्रों में फाइनेंस, ऑटोमोबाइल, दवाइयां, टेलीकॉम, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और इन्फास्ट्रक्चर आदि शामिल हैं।

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अब वर्किंग कैपिटल की मांग फिर क्यों बढ़ रही?

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार अब फिर बदलाव दिखने लगा है। कंपनियां अब 'वर्किंग कैपिटल' यानी रोज के खर्चों के लिए पैसा मांग रही हैं। यह इस बात का पक्का सबूत है कि लोन की डिमांड वापस आ रही है। देश की इकोनॉमी बढ़िया चल रही है, जीडीपी के आंकड़े मजबूत हैं और फैक्ट्रियों में उत्पादन बढ़ रहा है। जब काम बढ़ेगा, तो कच्चा माल खरीदने और सप्लाई चेन चलाने के लिए नकद पैसा तो चाहिए ही। कंपनियों का अपना पैसा और आईपीओ का फंड अब इस्तेमाल हो चुका है। अब नए काम के लिए उन्हें फिर से बैंक से लोन लेना ही पड़ेगा। एसबीआई का मानना है कि कंपनियां अब अपनी क्रेडिट लिमिट का ज्यादा इस्तेमाल कर रही हैं, जो बताता है कि आने वाले दिनों में लोन की ग्रोथ शानदार होगी।

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ऐसे हालात में आरबीआई का क्या रोल?

अब ऐसे माहौल में आरबीआई (RBI) का रोल बहुत अहम हो जाता है। एसबीआई का कहना है कि केंद्रीय बैंक को बस यह ध्यान रखना होगा कि सिस्टम में पैसों की कमी न हो। आरबीआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंकों के पास बांटने के लिए पर्याप्त नकद हो। अगर सिस्टम में लिक्विडिटी (तरलता) बनी रही, तो ब्याज दरें काबू में रहेंगी और लोन लेना आसान होगा।

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